Many couples are reaching IVF clinics due to infertility problems. IVF is a very useful process for those couples who are unable to conceive. A few tests will be done on both male and female, and then the treatment for infertility will start. Many people reach out to the doctor with a low AMH count. What actually is AMH count and how does it affect IVF treatment? Continue reading to know more about AMH:
What is an AMH test?
In the ovarian follicles, cells produce a protein called AMH or Anti Mullerian Hormone. AMH levels can be classified as below:
Many people have a misconception that low or very low levels of AMH do not indicate that the IVF treatment is suitable for the woman. Some women may have a low quantity of eggs due to low AMH levels, but the quality of the egg can be good and hence the chances of pregnancy are good.
Why is an AMH test important for IVF treatment?
Why do AMH levels drop?
There are many factors that are responsible for the AMH levels to drop and one of them is aging. Other factors include hormonal imbalance, low blood circulation to the ovaries, unhealthy food choices, stress, autoimmune diseases, genetic factors and your lifestyle.
One single test of AMH levels will not give you the exact results. You need to get the test done a few times to know the exact values. Though your birth control pills may not affect the AMH levels, you can stop them for a few months and then get the test done. Talk to the doctor regarding the other medications you take and other fertility drugs you have used in the past or presently. This helps the doctor to give you the right advice. In case you have a concern or query you can always consult an expert & get answers to your questions!
Today, prenatal testing can help pinpoint your unborn child’s risk to a number of genetic conditions. NIPT or non-invasive prenatal testing is a modern form of prenatal testing that does not harm the mother or child. NIPT involves a simple blood test that can be performed as an outpatient procedure in any doctor’s office. Blood for this test is collected from a vein in the mother’s arm. The DNA from this blood sample is then studied in a laboratory to look for signs of abnormalities. These results are them compared to your first trimester ultrasound results to determine if further testing is required.
There are a number of advantages to this form of testing
However, you should remember that NIPT cannot be used to replace diagnostic tests such as amniocentesis. Also, it does not detect all chromosomal abnormalities. If you wish to discuss about any specific problem, you can consult an IVF Specialist.
प्रेगनेंसी जांचने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे कि यदि आप बच्चे नहीं चाहते हैं लेकिन सुरक्षित तरीका इस्तेमाल नहीं किया तब भी गलती हो सकती है. या कई बार दुसरे कारण भी हो सकते हैं. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि प्रेगनेंसी को आसानी से जांचा जा सकता है. इसे जांचने के कई उपाय उपलब्ध हैं. यहाँ तक की बाजार में कई तरह के प्रेगनेंसी कीट भी उपलब्ध हैं जो कि आसानी से आपको इसकी जानकारी दे सकते हैं. आइए जानें उन तरीकों को-
1. सरसों से जांचें, प्रेग्नेंट हैं कि नहीं
आसानी से सबके घरों में उपलब्ध सरसों को पीरियड्स शुरू करने का एक कारगर नुस्खा माना जाता है. इसके लिए आपको करना बस इतना है कि एक टब में दो कप सरसों के बीज का पाउडर मिला लीजिए. फिर इस टब में कुछ देर तक अपना गर्दन डूबा कर रखिए. ध्यान रहे कि बर्दाश्त करने भर ही. इसके बाद गर्म पानी से स्नान कर लीजिए. ऐसा करने के एक या दो दिन में पीरियड्स फिर से शुरू हो जाए तो समझिए कि आप प्रेग्नेंट नहीं हैं और यदि दो हफ्ते तक भी पीरियड्स शुरू नहीं हुए तो समझिए कि आप गर्भ से हैं.
2. चीनी से भी कर सकते हैं जांच
जाहिर है कि चीनी भी बहुत आसानी से सबके घरों में उपलब्ध है. चीनी की सहायता से प्रेगनेंसी जांचने के लिए सुबह का पहला मूत्र तीन चम्मच लें और फिर इसे कटोरी में रखी एक चम्मच चीनी पर डालें. फिर कुछ देर तक इसका निरीक्षण करें. यदि चीनी कुछ समय बाद घुल जाती है तो आप प्रेग्नेंट नहीं हैं लेकिन जब नहीं घुले तो समझ जाइए कि आप गर्भवती हैं. इसके पीछे का लॉजिक ये है कि प्रेग्नेंट होने पर जो हार्मोन निकलता है वो वो चीनी को घुलने से रोकता है.
3. पेशाब से करें पता
ये भी एक बेहद आसन तरीका है. इसमें आपको एक छोटी सी कटोरी या डिबिया लेनी है. इसक कटोरी या डिबिया में आपको अपना मूत्र भरकर 3-4 घंटों के लिए छोड़ देना है. ध्यान रहे डिबिया को हिलाना-डुलाना बिलकुल नहीं है. इसके बाद यदि पेशाब की सतह पर सफ़ेद रंग की एक पतली सतह बनती है तो समझिए कि आप गर्भ से हैं. लेकिन यदि पेशाब की सतह पर कोई परत नहीं है तो सझिए कि आप प्रेगनेंट नहीं हैं.
4. गेहूं और जौ
यह एक परम्परागत तरीका है. इसमें प्रेगनेंसी जांचने के लिए आपको जौ और गेहूं का इस्तेमाल करना पड़ता है. कहा जाता है कि मुट्ठी भर जौ और गेहूं के दाने लेकर उनपर पेशाब करना होता है. उनपर पेशाब करने से यदि वो अंकुरित हो जाते हैं तो समझिए कि आप गर्भवती हैं. लेकिन यदि दोनों में से कोई भी अंकुरित नहीं होता है तो समझिए कि आप प्रेग्नेंट नहीं हैं.
5. सफ़ेद सिरका
सफ़ेद सिरके की सहायता से भी आप अपनी प्रेगनेंसी की जांच कर सकती हैं. जाहिर है ये भी एक आसान तरीका है. इसमें आपको एक कटोरी में आधा कप सफेद सिरका लेना है और इसमें आधा कप सुबह का सफ़ेद मूत्र डालना है. इसके बाद इसका निरिक्षण करना है. इसमें देखना ये है कि इसका रंग बदलता है या नहीं. यदि रंग बदल जाता है तो आप प्रेग्नेंट हैं लेकिन यदि नहीं बदलता है तो इसका मतलब है कि आप गर्भ से नहीं हैं.
6. टूथपेस्ट भी आता है काम
रोजाना इस्तेमाल होने वाला टूथपेस्ट भी आपके गर्भ की जांच कर सकता है. लेकिन इसमें एक बात का जरुर ध्यान रखना है कि टूथपेस्ट का रंग सफेद हो. यानी कि कोलगेट या पेप्सोडेंट जैसा. क्लोजप या मैक्स फ्रेश जेल नहीं चलेगा. आपको इस टूथपेस्ट को एक डिब्बी में डालना है और उसमें थोड़ी सी अपने पेशाब डालें. इसके कुछ घंटे बाद इसे देखें कि इसका रंग बदलता है या इसमें झाग बनता है या नहीं? यदि इसका जवाब हाँ में है तो आप गर्भवती हैं और यदि नहीं में है तो आप गर्भवती नहीं हैं.
7. ब्लीच से जांच
ब्लीचिंग पाउडर के प्रयोग से भी प्रेगनेंसी को जांचा जा सकता है. इसके लिए आपको सुबह का अपना पहला मूत्र एक कटोरी में लेना है. इसके बाद इसमें थोड़ा सा ब्लीचिंग पाउडर मिलाना है. फिर इसका निरिक्षण कीजिए. यदि इसमें से बुलबुले उठते हैं या झाग बनती है तो समझिए कि आप प्रेग्नेंट हैं लेकिन यदि ऐसा कुछ नहीं होता है तो आप प्रेग्नेंट नहीं हैं.
8. गुप्तांग का रंग देखकर
प्रेगनेंसी को जांचने का एक और भी आसान तरीका है. इसके अनुसार आपको अपने गुप्तांग का रंग देखना है. यदि आपके गुप्तांग का रंग गहरा नीला या बैंगनी लाल है तो इसका मतलब ये हुआ कि आप गर्भवती हैं. इसका कारण ये है कि गर्भ के दौरान खून का दौरा तेज हो जाता है. लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है.
9. प्रेगनेंसी किट
हलांकि सबसे बेहतर उपाय यही है कि आप बाजार से प्रेगनेंसी किट ले आएं और उसकी सहायता से ही जांच करें. इसकी कीमत भी कोई बहुत ज्यादा नहीं होती है. इसका परिणाम सबसे ज्यादा विश्वसनीय है.
डीएनए की खोज वर्ष 1953 में जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने की थी जिसके लिए उन्हें वर्ष 1962 में नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. डीएनए, दरअसल सभी जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में मौजूद तंतुनुमा अणु के डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल को कहते हैं. डीएनए में ही सभी जीवों के आनुवांशिक गुण मौजूद होते हैं. आमतौर पर क्रोमोसोम के रूप में हमारे शरीर में मौजूद रहने वाला डीएनए सभी जीवित कोशिकाओं के लिए अनिवार्य है. इस लेख के माध्यम से हम डीएनए टेस्ट के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.
डीएनए टेस्ट क्या है?
डीएनए टेस्ट एक प्रकार का चिकित्सा परिक्षण होता है जो क्रोमोजोम, प्रोटीन या जीन्स में हो रहे परिवर्तन को पता लगाता है. डीएनए टेस्ट का परिणाम एक संदेहास्पद जेनेटिक स्थिति का पता लगाता है या किसी व्यक्ति में जेनेटिक डिसऑर्डर विकसित होने की संभावनाओं को निर्धारित करता है. जेनेटिक काउंसलर रोगी को टेस्ट के फायदे और नुकसान से संबंधित जानकारी देते हैं और टेस्ट के सामाजिक तथा भावनात्मक विषयों पर बात करते हैं. इस समय विज्ञान के पास करीब 1200 प्रकार के डीएनए टेस्ट मौजूद हैं. डीएनए टेस्ट की मदद से अब हम नवजात शिशु में मौजूद किसी भी बीमारी का पता लगा सकते हैं. इस टेस्ट का ज़्यादातर इस्तेमाल किसी भी खानदान का उत्तराधिकारी घोषित करने और कई बार अपराधों को सुलझाने में भी किया जाता है.
डीएनए टेस्ट के विभिन्न इस्तेमाल-
मनुष्य के जींस में 46 गुणसूत्र पाए जाते हैं. ये जिन को आप आनुवांशिक की मूलभूत इकाई है जो कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती रहती है. कहने का अर्थ ये हुआ कि ये एक किताब की तरह है जिसमें आपकी सभी आनुवांशिक जानकारियाँ मौजूद रहती हैं. यही नहीं उन्हें होने वाली बीमारियों का लेखा-जोखा भी इसमें मौजूद होता है. इसलिए ही कहते हैं कि इंसान का डीएनए अमर रहता है यानि उसकी मृत्यु नहीं होती है. आपको बता दें कि यदि किसी के डीएनए में पररिवर्तन पाया जाता है तो उसे हम म्यूटेशन कहते हैं. यह परिवर्तन कोशिकाओं में उपस्थित किसी दोष की वजह से संभव हो पाता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से होता है. इसके अतिरिक्त ये किसी रासायनिक तत्व या किसी विषाणु के वजह से भी हो सकता है. आइए अब हम डीएनए टेस्ट के विभिन्न उपयोगों के बारे में जानें.
नवजात शिशु की जांच के लिए – शिशु के जन्म लेने के तुरंत बाद नवजात शिशु की जांच की जाती है, इसकी मदद से उन आनुवांशिक विकारों का पता लगाया जा सकता है जिनका समय पर इलाज संभव होता है.
नैदानिक टेस्टिंग – किसी विशिष्ट जेनेटिक या क्रोमोजोम संबंधी समस्या को पता करने के लिए क्लिनिकल टेस्टिंग की जाती है. आमतौर पर जब शारीरिक संकेतों और लक्षणों के आधार पर किसी विशेष समस्या स्थिति पर संदेह होता है तो जेनेटिक टेस्टिंग का उपयोग निदान की पुष्टि के लिए किया जाता है.
जन्मपूर्व टेस्टिंग – पैदा होने से पहले भ्रूण के क्रोमोजोम या जीन्स के परिवर्तनों का पता लगाने के लिए प्री-बर्थ टेस्टिंग की जाती है. अगर नवजात में क्रोमोजोम या जेनेटिक संबंधी डिसऑर्डर होने की अधिक जोखिम है तो, इस प्रकार की परिक्षण अक्सर प्रेगनेंसी के दौरान की जाती है.
कैरियर आइडेंटिफिकेशन – अगर आप किसी जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, तो कैरियर आइडेंटिफिकेशन की मदद से इसका पता लगाया जाता है. इसमें यह पता लगाना होता है कि आप वाहक हैं या नहीं, क्योंकि यह जानकारी आपको बच्चे पैदा करने से संबंधित निर्णय लेने में आपकी मदद कर सकता है.
प्रेगनेंसी महिलाओं के जीवन में बेहद खास और महत्वपूर्ण लम्हा होता है। मां बनने का सुख सिर्फ एक महिला ही समझ सकती है। प्रेगनेंसी का दौर एक महिला के लिए उसके जीवन का सबसे खास लम्हा होता है। ये पति और पत्नी की जिंदगी में नया रंग लेकर आता है। जब महिला प्रेग्नेंसी की तैयारी करती है, उसके लिए एक-एक दिन इसी इंतजार में गुजरता है कि कब उसे अपनी प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट पॉजिटिव देखने को मिलेगी।
Many couples are reaching IVF clinics due to infertility problems. IVF is a very useful process for those couples who are unable to conceive. A few tests will be done on both male and female, and then the treatment for infertility will start. Many people reach out to the doctor with a low AMH count. What actually is AMH count and how does it affect IVF treatment? Continue reading to know more about AMH:
What is an AMH test?
In the ovarian follicles, cells produce a protein called AMH or Anti Mullerian Hormone. AMH levels can be classified as below:
Many people have a misconception that low or very low levels of AMH do not indicate that the IVF treatment is suitable for the woman. Some women may have a low quantity of eggs due to low AMH levels, but the quality of the egg can be good and hence the chances of pregnancy are good.
Why is an AMH test important for IVF treatment?
Why do AMH levels drop?
There are many factors that are responsible for the AMH levels to drop and one of them is aging. Other factors include hormonal imbalance, low blood circulation to the ovaries, unhealthy food choices, stress, autoimmune diseases, genetic factors and your lifestyle.
One single test of AMH levels will not give you the exact results. You need to get the test done a few times to know the exact values. Though your birth control pills may not affect the AMH levels, you can stop them for a few months and then get the test done. Talk to the doctor regarding the other medications you take and other fertility drugs you have used in the past or present. This helps the doctor to give you the right advice.
जीवन के बेहतरीन अनुभवों में से एक अनुभव है माँ बनने का अनुभव। एक माँ और बच्चे से ज्यादा निजी और क्लोज कोई और रिश्ता नहीं होता। पर कई बार इसी रिश्ते की शुरुआत यानी प्रेगनेंसी का पता करना हीकंफ्यूजन से भरा होता है। कई बार तो प्रेग्नेंट होने की जानकारी ना होने पर हम खुदके साथ सावधानी नहीं बरतते हैं जिसकी वजह से बाद में मिसकैरेज या मां शिशु के स्वास्थ्य समस्या होने का खतरा बन जाता है। पर अब चिंता करने की जरूरत नहीं। शरीरिक संबन्ध बनाने के दौरान जिस भी महीने का आपका पीरियड मिस हो उल्टी, पीठ में दर्द, आलस कगने जैसे कुछ शारीरिक बदलाव होने पर बिना किसी कंफ्यूजन के हमारे बताए गए घरेलू नुस्खों से पता कर लें कि आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं।
लेकिन हां किसी भी घरेलू प्रेगनेंसी टेस्टकी शुरुवात करने से पहले कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखें।
आज के दौर में टेक्नोलॉजी इस कदर बढ़ गई है कि इसकी मदद से हमनें लगभग हर नामुमकिन सवालो के जवाब ढूंढ लिए हैं| ये हमारी तकनिक का ही वरदान है की हम सूरज चाँद जैसे रहस्यमयी विषयों की वास्तविकता का पता लगा पाए है| हमने एटम बम बनाने से लेकर सौर मंडल तक का सफ़र तय कर लिया है|
तकनीकिय स्तर पर हमारा इस कदर विकास हुआ है की कल तक जिसे केवल किस्मत का खेल और भगवान की मर्जी पर छोड़ दिया जाता था आज उन सभी इच्छाओं को या यूँ कहें जरूरतों को टेक्नोलॉजी के सहारे हासिल कर लिया है| आज से कुछ साल पहले पेरेंट्स बनना न बनना स्वास्थ्य पर निर्भर हुआ करता था पर आज के इस दौर में शरीर ना साथ दे या किसी भी वजह से माँ बाप बनने में परेशानी हो रही हो तो कोई बात नहीं टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से मशहूर तकनीक है हमारे पास जिसके माध्यम से बच्चा पैदा किया जाता है और इसे इन वरतो फर्टिलाइजेशन (IVF) या टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जानते हैं|
जो कपल गर्भ नहीं धारण कर पाते उन्हें टेस्टट्यूब बेबी की इस तकनिकी के सहारे औलाद का सुख मिलता है| टेस्टट्यूब बेबी के बारे में जानने के पहले हम जानते हैं कंसीव न कर पाने के मुख्य कारण|
सामान्यतः एक नेचुरल गर्भ धारण प्रक्रिया में पुरुष का स्पर्म महिला के ओवरी में मौजूद अंडे के अंदर जाकर उसे फर्टिलाइज करता है| ओवुलेशन के बाद अंडा फर्टिलाइज होकर ओवरी से निकलकर महिला के यूटेरस में चला जाता है और वह धीरे धीरे इंसान का रूप लेता है। जो महिला नैचुरली कंसीव नही कर पाती है तो उनके लिए IVF की तकनिकी वरदान की तरह है|
इस प्रक्रिया से बच्चे को जन्म देना काफी महँगा भी होता है इसलिए सभी सस्ते प्रक्रियाओ के असफल होने के बाद ही इसका सहारा लें|