दृष्टि को बचाए रखने के 10 कारगर टिप्स
आंखें हमारे शरीर औऱ हमारे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।इनकी देखरेख और अच्छी सेहत हमारे बेहतर जीवन के लिए ज़रूरी है।दृष्टि तेज़ होना एक वरदान से कम नहीं । पर आजकल के लाइफस्टाइल और दिनरात तकनीक के इस्तेमाल के कारण हम इस वरदान को तेज़ी से खोते जा रहे हैं। हम अपनी आंखों का उपयोग दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए करते हैं जैसे कि भोजन तैयार करना, शारीरिक गतिविधि में संलग्न होना, सही दवा और खुराक लेना, खुद को गिरने से बचाना, और भी बहुत कुछ। इसलिए उन्हें स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है । यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हमारी दृष्टि की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है ।हालात ये हैं कि जिधर भी देखें,हर दूसरा व्यक्ति नज़र का चश्मा पहने दिखता है। इससे भी बुरा हाल स्कूलों का है जहां बिना चश्मे के बच्चे कम औऱ कमज़ोर आंखों वाले चश्मा लगाए बच्चों की संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है।नीचे दिए गए सरल दिशानिर्देश आपकी दृष्टि के स्वास्थ्य को बनाए रखने में आपकी सहायता कर सकते हैं।पेश हैं कुछ आसान और अचूक टिप्स—
1- स्वस्थ दृष्टि के लिए अच्छा और संतुलित भोजन करें :
पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करने से आपकी दृष्टि तेज़ करने में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ओमेगा -3 फैटी एसिड उम्र से संबंधित आंखों की बीमारियों की समस्या कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं।आइए जानते हैं कि यह ओमेगी 3 किन खाद्य पदार्थों में मौजूद होता है जिन्हें आप अपने आहार में शामिल कर सकते हैं:
पत्तेदार साग जैसे पालक, अखरोट, गोभी, मछली, ब्रसल स्प्राउट , सार्डिन, चिया सीड्स और अलसी, (फ्लैक्स सीड्स)
2- धूप का चश्मा करें प्रयोग :
तेज़ धूप में मौजूद अल्ट्रा वायलेट किरणों को आंखों के लिए बहुत नुक्सान दायक होती है।इन यूवी किरणों के सम्पर्क में लंबे समय तक रहना आपकी आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है, जिससे अस्थाई या स्थाई क्षति हो सकती है।जब आप बाहर हों तो अपनी आंखों को धूप से बचाने के लिए, यूवी संरक्षण के साथ सुरक्षात्मक धूप का चश्मा और टोपी पहनें जिससे सूरज की किरणें सीधे आंखों पर ना पड़ें।
3 स्क्रीन समय करें सीमित :
दृष्टि की परेशानी को कम करने के लिए अपना स्क्रीन समय सीमित करें। कोई शो देखने, क्म्प्यूटर पर स्ट्रीमिंग करने, गेम खेलने और परिवार और दोस्तों से जुड़ने के लिए हमारे स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर का उपयोग करना रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। हालांकि लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने से आंखों में खिंचाव, धुंधली दृष्टि और आंखेों में सूखापन हो सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए अपने उपकरणों का उपयोग करते समय ब्रेक लेना ज़रूरी है। आप 20-20-20 नियम का पालन कर सकते हैं : यानी हर 20 मिनट में, 20 सेकंड के लिए अपने सामने लगभग 20 फीट दूर देखें। इस त्वरित व्यायाम को करने से तनाव कम होता है। यदि आप देखने में असुविधा का अनुभव करना शुरू करते हैं, तो अपने नेत्र चिकित्सक से बात करना सुनिश्चित करें।
4 धूम्रपान को कहें ना :
धूम्रपान करने से आपके फेफड़े ही नहीं आपकी दृष्टि पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान से आपको मोतियाबिंद की आशंका हो सकती है, आपकी ऑप्टिक नर्व को नुकसान हो सकता है, और आंखों से जुड़ी कई और समस्याएं हो सकती है।इसलिए अगर आप चेन स्मोकर हैं तो धीरे धीरे इस लच के कम करते हुए पूरी तरह छोड़ने का प्रयास करें। यदि आप दोस्तों की देखादेखी इस आदत के तरफ बढ़ रहे हैं तो इसपर तुरंत विराम लगा दें।
5 आंखों का नियमित चेकअप कराएं :
भले ही आपकी दृष्टि स्वस्थ प्रतीत होती हो पर ये वाकई 100 प्रतिशत सही है ये जानने का कोई निश्चित तरीका तब तक नहीं है जब तक कि कोई प्रशिक्षित चिकित्सक आपकी आंखों का निरीक्षण न करे। केवल एक नेत्र परीक्षण यह निर्धारित कर सकता है कि आपको चश्मे की आवश्यकता है या नहीं । साथ ही इस परीक्षण के ज़रिए यह आपकी आंखों की खराब स्थिति का पता लगा सकता है जिसका यदि जल्दी पता चल जाए तो प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। अगर आपकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है तो आपकी पुतलियां डायलेट कर की जाने वाली जांच की सिफारिश की जाती है। ऐसा इसलिए कि उम्र के लिहाज़ से आप कुछ नेत्र रोगों के बढ़ते जोखिम में हैं।इस जांच के लिए आपकी आंखों में दवा डाली जाती है। एक बार फैल जाने पर, अधिक प्रकाश आंख में प्रवेश करता है, जो नेत्र चिकित्सकर को मैक्युला, रेटिना और ऑप्टिक तंत्रिका को देखने और किसी भी तरह की क्षति और बीमारी के लक्षण की पहचान करने में सक्षम बनाता है।
6 अपने पारिवारिक नेत्र स्वास्थ्य इतिहास को जानें :
कुछ आंखों की बीमारियां वंशानुगत यानी हैरिडिटरी होती है। इसलिए आपके माता-पिता या दादा-दादी की आंखों की स्थितियों से अवगत होने से आपको सावधानी बरतने में मदद मिल सकती है।जो आंखों की बीमारियां वंशानुगत में शामिल हैं वो हैं:
- ग्लॉकोमा
- रेटिना का डिजनरेशन
- उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन
- ऑप्टिक अट्राफी(दोष)
अपने परिवार के इतिहास को समझने से आपको शुरुआती सावधानी बरतने में मदद मिल सकती है
7 अपने हाथों को और लेंस को साफ रखें :
आपकी आंखें विशेष रूप से कीटाणुओं और संक्रमणों की चपेट में आ सकती हैं। यहां तक कि जिन चीजों से आपकी आंखों में जलन होती है, वे भी आपकी दृष्टि को प्रभावित कर सकती हैं। इन कारणों से आपको हमेशा अपनी आंखों को छूने या अपने कॉन्टैक्ट लेंस को संभालने से पहले अपने हाथ धोना चाहिए। निर्देशों के अनुसार अपने हाथों को धोना और अपने कॉन्टैक्ट लेंस को कीटाणुरहित करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। आपको निर्माता या आपके डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपने कॉन्टैक्ट लेंस को भी बदलना चाहिए। आपके कॉन्टैक्ट लेंस में मौजूद कीटाणु आंखों के जीवाणु संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
8 खुद को फिट रखें :
व्यायाम करने और खुद को फिट रखने से ना सिर्फ आपका वजन नियंत्रित रहेगा बल्कि आपकी आंखें भी फिट रहेंगी। खासकर टाइप 2 मधुमेह की बात करें तो यह बीमारी अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त लोगों में आम है।यह बीमारी आंखों में छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। इस स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। आपके रक्तप्रवाह में बहुत अधिक चीनी का संचार होना आपकी धमनियों की नाजुक दीवारों को नुकसान पहुंचाता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी आपके रेटिना में बहुत छोटी धमनियों का कारण बनती है - आंख का हल्का-संवेदनशील पिछला हिस्सा - आंखों में रक्त और तरल पदार्थ का रिसाव करने के लिए, आपकी दृष्टि को नुकसान पहुंचाता है।इसलिए अपने ब्लड शुगर के स्तर की नियमित रूप से जाँच करवाते रहिए।ऐसा करने से टाइप 2 मधुमेह और इसकी कई जटिलताओं की आशंका कम हो सकती है।
9 अपनी आंखों को बार बार छूने से परहेज़ करें :
अगर आपको अपनी आंखें बार बार छूने की आदत है तो इसे तुरंत छोड़ दें क्योंकि यह आपकी आंखों को संक्रमण की चपेट में ला सकता है। आपकी आंखों में जलन पैदा करने वाली कोई भी चीज आपकी दृष्टि को प्रभावित कर सकती है। अपनी आंखों को छूने से पहले आपको हमेशा अपने हाथ साफ करने चाहिए। साथ ही अपनी आंखों को जोर से न रगड़ें। इसके परिणामस्वरूप आपके कॉर्निया में खरोंच आ सकती है। अगर आपकी आंखों में कुछ चला गया है, तो उन्हें रगड़ने के बजाय साफ पानी से धो लें । और अगर समस्या बनी रहती है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ।
10 कम्प्यूटर पर काम करते वक्त रोशनी का करें पूरा इंतेज़ाम :
जब भी आप क्प्यूटर पर काम करते हों तो इस बात का खास ध्यान रखें कि उस कमरे में रोशनी भरपूर हो। साथ ही ये भी ध्यान देने की बात है कि कंप्यूटर स्क्रीन की रोशनी अधिक चमकदार ना हो।ऐसा करने से आपकी आंखों पर ज़ोर कम पड़ेगा और आंखों को कम थकान होगी।साथ ही कोशिश करें कि स्क्रीन से आपकी दूरी इतनी हो कि उससे निकलने वाली हानिकारख किरणें आपकी आंखों में डायरेक्ट ना पड़ें