Anal Fissure Treament!
दोस्तों आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों की जीवनशैली कुछ ऐसी हो गयी है की लोगो को बवासीर से ज्यादा फिशर हो रहा है,
फिशर अक्सर तब होता है, जब आप मल त्याग के दौरान कठोर और बड़े आकार का मल निकालते हैं। फिशर के कारण आमतौर पर मल त्याग करने के दौरान दर्द होना और मल के साथ में खून भी आता है।
फिशर के दौरान आपको अपनी गुदा के अंत में मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। फिशर छोटे बच्चों में काफी सामान्य स्थिति होती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
फिशर के सामान्य तौर पर दो प्रकार होते हैं:
तीव्र (acute) – त्वचा की ऊपरी सतह पर छेद या दरार को एक्यूट फिशर कहा जाता है।
दीर्घकालिक (chronic) - अगर त्वचा की सतह पर हुआ छेद या दरार ठीक ना हो पाए, तो समय के साथ-साथ क्रॉनिक फिशर विकसित होने लगता है।
गुदा में फिशर के लक्षण व संकेतों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
मल त्याग के दौरान दर्द, कभी-कभी गंभीर दर्द होना।
मल त्याग करने के बाद दर्द होना जो कई घंटों तक रह सकता है।
मल त्याग के बाद मल पर गहरा लाल रंग दिखाई देना।
गुदा के आसपास खुजली या जलन होना।
गुदा के चारों ओर की त्वचा में एक दरार दिखाई देना।
गुदा फिशर के पास त्वचा पर गांठ या स्किन टैग दिखाई देना।
फिशर के अन्य संभावित कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
लगातार डायरिया (दस्त) रहना।
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (ibd), जैसे क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस।
लंबे समय तक कब्ज रहना।
कभी-कभी यौन संचारित संक्रमण (sti), जैसे कि सिफिलिस या हर्पीस, जो गुदा व गुदा नलिका को संक्रमित और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एनल स्फिंक्टर की मांसपेशियां असामान्य रूप से टाइट होना, जो आपकी गुदा नलिका में तनाव बढ़ा सकती हैं। जो आपको एनल फिशर के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है।
एनल फिशर से बचाव
आप कब्ज की रोकथाम करके एनल फिशर विकसित होने के जोखिमों को कम कर सकते हैं। अगर पहले कभी आपको फिशर की समस्या हुई है, तो कब्ज की रोकथाम करना बहुत जरूरी है।
आप निम्न की मदद से कब्ज की रोकथाम कर सकते हैं:
एक संतुलित आहार खाएं, जिसमें अच्छी मात्रा में फाइबर, फल और सब्जियां शामिल होती हैं।
पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीएं। नियमित रूप से व्यायाम करते रहें।
यह महत्वपूर्ण है कि आप मल त्याग करने के बाद अपने गुदा को धीरे-धीरे पोंछें।
जब शौचालय जाने की इच्छा महसूस हो तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि आंतों को खाली ना करना बाद में कब्ज का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आंतों में जमा होने वाला मल कठोर बन जाता है, जो गुदा के अंदर से गुजरने के दौरान दर्द व गुदा में दरार (खरोंच) पैदा कर कर सकता है।
टॉयलेट में अधिक देर तक ना बैठें और अधिक जोर ना लगाएं। ऐसा करने से गुदा नलिका में दबाव बढ़ता है। अगर आपको कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जो फिशर होने के जोखिम को बढ़ाती है, तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। वे आपसे इस बारे में बात करेंगे कि इस स्थिति को कैसे मैनेज करना है और एनल फिशर होने के जोखिमों को कैसे कम करना है।
फिशर का परीक्षण कैसे किया जाता है?
डॉक्टर आमतौर पर गुदा के आस-पास के क्षेत्र की जांच करके फिशर का परीक्षण कर सकते हैं। लेकिन वे परीक्षण की पुष्टी करने के लिए गुदा का भी परीक्षण कर सकते हैं। परीक्षण के दौरान डॉक्टर मरीज की गुदा में एंडोस्कोप (endoscope) डालते हैं, जिससे वे दरार को आसानी से देख पाते हैं। एंडोस्कोप एक मेडिकल उपकरण होता है, यह एक पतली ट्यूब होती है जिसकी मदद से डॉक्टर गुदा नलिका की जांच करते हैं। एंडोस्कोप के प्रयोग की मदद से डॉक्टर गुदा व गुदा नलिका से जुड़ी अन्य बीमारियों का पता भी लगा सकते हैं, जैसे बवासीर।
अनल फिशर के लिए नवीनतम आधुनिक उपचार
लेटरल इंटरनल स्फिंक्टरोटॉमी anal fissure का नया आधुनिक उपचार है, इसमें पेशेंट मात्र 7 से 15 दिन में बिलकुल ठीक हो जाता है साथ में anal dilatation करना होता है ताकि गुदा की मासपेशिया नरम मुलायम बने और गुदा की चिकनाहट बड़े,