एनेस्थीसिया क्या है? - Anesthesia Kya Hai?
एनेस्थीसिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द “an” अर्थात “बिना” और “aethesis” अर्थात “संवेदना” से बना है. इस प्रकार शब्द से ही इसका अर्थ स्पष्ट है “संवेदना के बिना”. एनेस्थीसिया या निश्चेतना चिकित्सा विज्ञान का वह महत्वपूर्ण शाखा है जिसमें किसी भी प्रकार के सर्जरी या ऑपरेशन में मरीज को दर्द के अनुभव के बिना ऑपरेशन सफलता पूर्वक किया जाता है. इस प्रक्रिया में मरीज होश में रहकर ऑपरेशन देख भी सकता है पर उसे दर्द या कष्ट का अनुभव नहीं होता है. इसके बिना जटिल ऑपरेशन संभव नहीं होते हैं. एनेस्थीसिया के प्रक्रिया को करने वाले चिकित्सक को एनेस्थीसियोलॉजिस्ट या एनेस्थेटिस्ट तथा इसमें प्रयोग किए जाने वाले दवाओं को एनेस्थेटिक दवा कहते हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम एनेस्थीसिया के प्रकार और कुछ अन्य तथ्यों पर नजर डालें.
एनेस्थीसिया के प्रकार
1. लोकल एनेस्थीसिया: लोकल एनेस्थीसिया में सर्जरी करने वाले हिस्से के पास के उत्तकों को इंजेक्शन के माध्यम से सुन्न किया जाता है. जिसमें मरीज उस हिस्से में हो रहे ऑपरेशन को देख तो सकते हैं पर वहाँ के उत्तक सुन्न होने के वजह से उसे दर्द का अनुभव नहीं हो पाता है और इस प्रकार ऑपरेशन सफलता पूर्वक कर लिया जाता है. समान्यतः कटे स्थानों पर टांका लगाना व अन्य छोटे-मोटे ऑपरेशन इसके अंतर्गत आते हैं.
2. लोकल एनेस्थीसिया: लोकल एनेस्थीसिया में शरीर के किसी प्रमुख नसों के बंडलों के चारों तरफ के एक हिस्से को सुन्न किया जाता है. क्षेत्रीय एनेस्थीसिया के मदद से हाथ, पैर, पेट इत्यादि क्षेत्र के ऑपरेशन को किया जाता है. जिसमें मरीज होश में तो रहता है पर उसे दर्द का अनुभव नहीं होता है. इसमें एनेस्थेटिक दवाओं का असर 12-18 घंटे तक रहता है जिस कारण ऑपरेशन के बाद भी उस स्थान पर दर्द का अनुभव नहीं होता है. पर दवाओं का असर समाप्त होने पर दर्द वापस आ सकता है तब ऐसी स्थिति में दर्द दूर करने के लिए अन्य वैकल्पिक उपाय या दवा का प्रयोग किया जाता है. जब तक दवाओं का प्रभाव रहता है तब तक उस स्थान पर सुन्नता या झनझनाहट भी महसूस हो सकता है या उस अंग को हिलाना या उठाना भी असंभव हो सकता है या ऐसे करने में दिक्कत हो सकता है.
3. सामान्य या सर्वदैहिक एनेस्थीसिया: इस प्रकार के एनेस्थीसिया में मरीज को बेहोश कर दिया जाता है. आमतौर पर इसके लिए मरीज के मांसपेशी में इंजेक्शन के माध्यम से एनेस्थेटिक दवा दिया जाता है. जिससे मरीज बेहोश हो जाता है. फिर सावधानी पूर्वक शल्य प्रक्रिया पूरी की जाती है. मरीज को किसी भी प्रकार का दर्द का अनुभव नहीं होता है तथा होश आने पर मरीज को शल्य प्रक्रिया का कोई बात याद भी नहीं रहता है. इस एनेस्थीसिया में मरीज को बेहोश होते ही मुँह पर मास्क लगाकर ऑक्सीजन दिया जाता है. साथ ही बेहोशी बनाए रखने के लिए मुँह में एंडोट्रेकियल ट्यूब डालकर ऑक्सीजन के साथ कुछ अन्य गैसें भी दी जाती हैं. ऑपरेशन यानि शल्य प्रक्रिया समाप्त होने के बाद मरीज को कुछ दवाएँ देकर होश में लाया जाता है.
ऑपरेशन से पहले मरीज के प्री-एनेस्थेटिक जाँच
किसी भी प्रकार के सर्जरी या ऑपरेशन में एनेस्थेटिक दवा का प्रयोग करने से पहले मरीज के प्री-एनेस्थेटिक जाँच कर यह जान लिया जाता है कि मरीज का शरीर या अंग विशेष एनेस्थीसिया के प्रभाव व ऑपरेशन के सहन कर पाएगा या नहीं. यदि मरीज इसके लिए फिट नहीं पाया जाता है तो एनेस्थीसियोलॉजिस्ट पहले मरीज को फिट होने के लिए इसका उपचार कराने का निर्देश देते हैं ताकि बेहोश होने पर फिर बिना किसी दिक्कत के उसे दुबारा होश में लाया जा सके. एनेस्थीसिया के प्रभाव व ऑपरेशन के सहन के लिए फिट होने पर ही मरीज का ऑपरेशन किया जाता है. इसके बावजूद पूरे शल्य प्रक्रिया के दौरान मरीज के बेहोशी बनाए रखने के लिए एनेस्थीसियोलॉजिस्ट हमेशा मरीज पर नजर रखे रहते हैं व बेहोशी के अवस्था को नियंत्रित किए रहते हैं. एनेस्थीसियोलॉजिस्ट पर ही सारा शल्य क्रिया निर्भर रहता है जिस कारण ये ही सम्पूर्ण शल्य क्रिया के सूत्रधार होते हैं.