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Last Updated: Jun 10, 2024
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गठिया का आयुर्वेदिक इलाज - Ayurvedic Treatment Of Arthritis!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 16 Years Exp.BAMS
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कम प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण हो रही जोड़ों की सूजन को गठिया कहा जाता है. आयुर्वेद के अनुसार गठिया मुख्यतः ख़राब वात दोष के कारण होता है और गठिया को इसके मूल कारणों और वात दोषों के आधार पर आयुर्वेद में तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है. एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं या पेन किलर्स आपके गुर्दे, पेट, लिवर और हृदय पर गंभीर दुष्प्रभाव छोड़ सकती हैं, वहीं आयुर्वेद दवाएं काफी सुरक्षित हैं और वह रोग के मूल कारणों को कम करके रोग का इलाज करती हैं . अमा (ख़राब पाचन के कारण पैदा हुए विषाक्त पदार्थ) पूरे शरीर में फैल कर कमजोर जोड़ों पर जमा होता है, फिर वात तेज हो जाता है. इससे सूजन पैदा होती है जो आखिर में गठिया या आमवात में परिवर्तित हो जाता है.

1. योगराज गुग्गुलु

योगराज गुग्गुलु सभी प्रकार के गठिया के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोगी आयुर्वेदिक उपचारों में से एक है. यह तीनों दोष (वात, पित्त और कफ) को शांत करता है और दर्द और सूजन से राहत देता है. प्रतिदिन भोजन से पहले या बाद में इसकी एक या दो गोलियां 2-3 बार ले सकते हैं या डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसका सेवन कर सकते हैं. इस दवा का सेवन करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करना सबसे अच्छा है.

2. पंचकर्म

पंचकर्म उपचार में विभिन्न प्रकार के उपचार शामिल हैं जो शरीर को शुद्ध करने में मदद करते हैं और उस दोष को संतुलित करते हैं जो बीमारी का कारण होते हैं. कुछ पंचकर्म उपचार ऐसे हैं जो गठिया के इलाज में बहुत उपयोगी हैं जैसे अभ्यंगा (औषधीय तेल मालिश), जणू वस्ति आदि. इस उपचार में सबसे पहले हर्बल पत्ते पर औषधीय तेल लगाकर पत्ते को गर्म किया जाता है, उसके बाद राहत प्रदान करने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाता है.

3. आमवातारि रस

आमवातारि रस में शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जैसे अमृतु, दशमूला, पुनर्नवा, त्रिफला, गुग्गुलु इत्यादि शामिल हैं जो रुमेटी गठिया के मूल कारणों पर अपना प्रभाव डालते हैं और दर्द, सूजन और जकड़न को कम करते हैं. आमवातारि रस जोड़ों की गतिशीलता को भी सुधारता है और इस गंभीर बीमारी से तुरंत राहत पाने में मदद करता है. इसका सेवन हमेशा डॉक्टर की देखरेख में किया जाना चाहिए.

4. कोट्टमचुकादि तेल

कोट्टमचुकादि तेल आयुर्वेदिक मालिश तेल है जो व्यापक रूप से वात विकारों से संबंधित जोड़ों और स्नायु संबंधी दर्द को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है. यह दर्द से राहत प्रदान करने के लिए एक कुशल मालिश तेल है और यह जोड़ों के काम काज में भी सुधार करता है. यह अपने श्रेष्ठ एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों और गठिया के इलाज में प्रभावित होने के कारण जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए जाना जाता है.

5. रसनादि कषायम

रसनादि कषायम गठिया के लिए एक और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जो तरल रूप में पाई जाती है. यह गठिया के मूल कारणों पर अपने प्रभाव के लिए जानी जाती है. इसका प्रभावी गुण गठिया रोगियों को गठिया के दर्द और सूजन से राहत पाने में मदद करता है, साथ-साथ उनके जोड़ों की गतिशीलता में सुधार करता है. रसनादि कषायम का उपयोग करने के लिए 12-24 मिलीलीटर रसनादि कषायम में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर इसका सेवन करें.

6. धन्वंतरम तेल

आयुर्वेदिक तरीके से तैयार किया गया धन्वंतरम तेल एक आयुर्वेदिक औषधीय तेल है जो गठिया रोगियों के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है. इसमें सूजन को कम करने और रुमेटी गठिया की प्रगति को होने से रोकने के गुण हैं. इसलिए यह रूमेटाइड अर्थराइटिस और ओस्टियोआर्थराइटिस के लिए एक प्रभावी मालिश तेल है. यह अन्य प्रकार के गठिया के लिए भी प्रभावी है और आयुर्वेद की दुनिया में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है ताकि गठिया के दर्द से आराम मिल सके. इस तेल को प्रतिदिन नियमित रूप से मालिश के लिए उपयोग किया जा सकता है.

7. मुरिवेन्ना ऑयल

मुरिवेन्ना ऑयल सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधीय तेलों में से एक है जो जोड़ों में दर्द और सूजन से ग्रसित लोगों के लिए तैयार किया जाता है. मुरिवेन्ना ऑयल विशिष्ट रूप से सबसे शक्तिशाली जड़ी-बूटियों का मिश्रण है जो गठिया के दर्द से राहत दिलाता है और वात दोष को संतुलित करके जोड़ों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है.

8. महानारायण तेल

महानारायण तेल जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से राहत के लिए एक विशेष आयुर्वेदिक दवा है. इस तेल की मालिश से सभी प्रकार के गठिया जैसे रुमेटी या गाउट में राहत मिलती है. यह जोड़ों की कठोरता को कम करके उनके लचीलेपन में सुधार करता है. यह एक दर्द निवारक भी है. यदि आप इसे बाहरी रूप से मालिश करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं तो आप इसका लंबे समय तक उपयोग कर सकते हैं. लेकिन मौखिक रूप से सेवन करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें क्योंकि यह 3-4 महीने उपयोग करने के बाद कुछ दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है.
 

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