मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज - Ayurvedic Treatment Of Epilepsy!
आधा कप दूध और पानी को मिलाकर इनमें 5 लहसन की कलियाँ डालकर उबाल लें. तब तक उबालें जब तक मिश्रण आधा न हो जाए. इस मिश्रण को नियमित रूप से पीने पर दौरे नहीं पड़ेंगे.
मिर्गी उन बिमारियों में से है जिनका पहचान काफी पहले ही हो चुकी थी. आज हम मिर्गी के लक्षण, कारण और उपचार को लेकर बात करेंगे. विशेषज्ञों के अनुसार मिर्गी की बीमारी तंत्रिका तंत्र में विकार आने के कारण होती है. तंत्रिका तंत्र का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से है. जब मस्तिष्क में विकार आता है तो इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है. फिर मिर्गी का अटैक आता है और पीड़ित का शरीर अकड़ जाता है. इस बीमारी को लेकर पहले समाज में कई तरह की भ्रांतियां प्रचलित थीं. हलांकि अब भी कई लोग इसे भुत-प्रेत से जोड़कर देखते हैं. कई बार तो मिर्गी के मरीज को पागल की तरह भी ट्रीट किया जाता है. यहाँ ये बताना आवश्यक है कि मिर्गी भी बस एक बीमारी के सिवा कुछ नहीं है. इस लिए इसके मरीजों को तुरंत किसी चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए. हम मिर्गी के के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं.
क्या हैं मिर्गी के लक्षण?
जाहिर है हर बिमारी के कुछ न कुछ लक्षण होते हैं जिसके आधार पर हम इसकी पहचान करते हैं. ठीक उसी तरह मिर्गी के भी कुछ प्रारंभिक लक्षण हैं. इन लक्षणों के नजर आते ही आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए. हलांकि जब मिर्गी के दौरे पड़ते हैं तो एकदम स्पष्ट हो जाता है.
1. मरीज का पूर्ण रूप से बेहोश हो जाना या आंशिक रूप से मूर्छित हो जाना.
2. अपना जीभ खुद से काटना या असंयमित हो जाना.
3. सर और आँख की पुतलियों का लगातार घूमना.
4. हाथ पैर और चेहरे की मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होना.
5. मूर्छा से उठने के बाद मरीज का उलझन में होना
6. पेट में गड़बड़ी होना.
7. चिकित्सकीय पहचान: एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन सब लक्षणों के बावजूद मरीज का मेडिकल करने के बाद ही उसके रोग का निर्धारण किया जाता है. डॉक्टर मरीज़ के पल्स रेट और ब्लड प्रेशर को चेक करते हैं. फिर इसके बाद न्यूरोलॉजिकल साइन का भी परिक्षण करते हैं. इसके साथ ही इस रोग का पता ई.ई.जी, सी.टी.स्कैन या एम.आर.आई और पेट के द्वारा लगाते हैं.
ये रहा मिर्गी का आयुर्वेदिक उपचार
1. लहसुन
लहसुन भारतीय औषधियों में कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तमाल में लाया जाता रहा है. इससे शरीर की एैठन भी दूर होती है. इसमें एंटी-स्पास्म, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री विशेषता होती है जिससे दौरों से बचाव होता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको लहसुन की 5 कलियों को आधा कप दूध एवं पानी के मिश्रण में डालकर तब तक उबालना होगा जब तक कि ये मिश्रण आधा न हो रह जाए. अब आप इस मिश्रण का सेवन प्रत्येक दिन करें.
2. ब्रह्मी
ब्रह्मी एक ऐसा ही हर्ब है जिसे आयुर्वेद लेने की सलाह देता है. इससे तनाव भी कम होता है और शरीर को फ्री रैडिकल से बचाता है. यह दिमाग सम्बन्धी बीमारियों के उपचार के लिये काफी लाभदायक है. यह दिमाग में न्यूरोन का तालमेल ठीक करता है जिससे एपिलेप्सी के इलाज में मदद मिलती है. जिस इंसान को दौरे आते हैं उसे रोज़ ब्रह्मी के 5-6 पत्ते खाने चाहिए. इसके बाद एक ग्लास गर्म दूध पी लेना चाहिए. ऐसा करने से धीरे धीरे दौरे आना बंद हो जाएंगे.
3. तुलसी
भारतीय घरों में यह मिलना आम बात है तुलसी पूज्यनीय पेड़ है. यह दौरों को खत्म करने में भी काफी मददगार साबित होता है. इससे तनाव भी दूर होता है. तुलसी के पत्तों को रोज़ चबाना या एक चम्मच तुलसी का जूस पीने से दिमाग में न्यूरोन का तालमेल बैठता है और दौरे नहीं पड़ते.
4. ऐश गॉर्ड
इसे सफेद कद्दू या पेठा भी कहते हैं और इसका विवरण इसके रोगनाशक गुण की कारण 'चरक संहिता' में भी किया गया है. यह दौरे के इलाज के रूप में काफी असरदार सिद्ध हो सकता है. ऐश गॉर्ड को घिसकर इससे आधा कप जूस निकाल लें. सुबह उठकर यह जूस पीएं. इससे दौरे पड़ना बंद हो जाएंगे.
5. नारियल तेल
नारियल तेल से दौरों में काफी फायदा होता है. इससे दिमाग में न्यूरोन को ऊर्जा मिलती है और ब्रेन वेव पर इसका शांतिदायक असर पड़ता है. नारियल में जो फैटी ऐसिड होते हैं वह एपिलेप्सी से निजात पाने में मदद करते हैं. दिन में एक चम्मच नारियल का तेल खाएं. आप चाहें तो खाना नारियल तेल में ही बनाएं या सलाद पर डाल कर खाएं.