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Last Updated: Oct 23, 2019
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Baadh Ke Baad Kerala Main Faila Leptospirosis Rog, Aise Karen Bachav - बाढ़ के बाद केरल में फैला लैप्टोस्पायरोसिस रोग, ऐसे करें बचाव

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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भारत में हर साल मानसून के दौरान बाढ़ जैसी समस्या उत्पन्न होती है. इस साल भी केरल समेत देश के कई राज्यों में बाढ़ ने कहर बरपा रखा हैं. अबतक इस बाढ़ के कारण सैकड़ो लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग राहत शिविर में रहने को मजबूर हो गए हैं. इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में जलजमाव के कारण विभिन्न प्रकार के संक्रमण रोगों के फैलने का खतरा बढ़ गया हैं. 

इस बाढ़ जैसी महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य केरल रहा है, जहाँ अधिकांश हिस्सा जलमग्न हो गया है. हालाँकि बारिश होना बंद हो चुका है और जलस्तर भी धीरे-धीरे नीचे आने लगा है, लेकिन असली समस्या बाढ़ के बाद उत्पन्न सामने आ रही है. जैसे-जैसे बाढ़ का पानी कम हो रहा है, उसके साथ ही कई जानलेवा बीमारियां पैदा हो रही है. हाल के दिनों में केरल से 86 लोगो में लैप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी के लक्षण पाए गए है. इसलिए सरकार ने भी कई दिशानिर्देश जारी कर दिए है और डॉक्टरों की पूरी टीम भी इस बीमारी के रोकथाम और बचाव के लिए लोगो को जागरूक कर रही है. इसलिए यह जरुरी है कि आप भी लैप्टोस्पायरोसिस रोग से बचाव के बारे में जरूरी जानकारी रखें. 

क्या होता है लैप्टोस्पायरोसिस?

लैप्टोस्पायरोसिस रोग एक बैक्टीरियल रोग है, जो जंगली अथवा पालतू दोनों प्रकार के जानवरों से फैलता है. यह आपके घर में रह रहे कुत्ते, चूहे, भैंस, गाय, बकरी आदि जानवरों से फैलता है. यह संक्रमण जानवरों के मूत्र द्वारा पानी में मिलता है. बाढ़ के दौरान संक्रमण रोग का फैलना अधिक प्रवण होता है. इसलिए जब जानवरों के मूत्र बाढ़ के पानी में मिलते है, तो इससे प्रभावित होने का खतरा भी अधिक लोगों तक पहुंच जाता है. जानवरों के मूत्र में लेप्टोस्पायर्स जीवाणु होते है, जब यह जीवाणु आपके मुंह, नाक, आँख या कटी हुई त्वचा के संपर्क में आता है, तो आप लैप्टोस्पायरोसिस रोग से ग्रसित होने के लिए प्रवण हो जाते है. हालाँकि, लैप्टोस्पायरोसिस रोग कोई गंभीर बिमारी नहीं है. आप कुछ सामान्य देखभाल के साथ इस रोग से अपना बचाव कर सकते हैं. 

लैप्टोस्पायरोसिस रोग के लक्षण में सिरदर्द या शरीर में दर्द, तेज बुखार, आँखों में लाली, पीलिया, त्वचा पर चकत्ते, खांसी में खून निकलना, उल्टी, दस्त इत्यादि शामिल हैं. यद्यपि यह लक्षण जानलेवा नहीं होता है, लेकिन अगर सही समय पर इन लक्षणों का उपचार नहीं किया जाता है, तो यह किडनी या लीवर जैसे अंगो को गंभीर क्षति पहुंचा सकती है. इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप इसके बचाव के लिए पूरी तरह से तैयार रहें.   

कैसे करें इससे बचाव, जानें तरीके -

आपको लैप्टोस्पायरोसिस रोग से बचाव के लिए कोई अधिक परिश्रम करने की जरुरत नहीं है, आप कुछ सामान्य  देखभाल के साथ इस रोग से अपना बचाव कर सकते हैं. आप कुछ महत्वपूर्ण चीजों को ध्यान में रखें जैसे साफ़ सफाई, दूषित पानी से बचना इत्यादि. निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जिनसे आप इस रोग से अपना बचाव कर सकते है. 
 

  • इस रोग से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रयास आपको संक्रमित पशुओं से दूरी बना कर रखना है. पशुओं के साथ सीधा संपर्क करने से बचे. आप दस्ताने आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं. सम्पर्क में आने के बाद हाथों को अच्छे से साबुन से साफ करें. 
  • इसका उपचार एंटीबायोटिक दवा के साथ की जाती है. कुछ मामलों में पेन किलर भी रोगी को दी जाती है. 
  • कभी भी बाढ़ के पानी के साथ सीधे संपर्क में आने से बचें. 
  • अपने आसपास के जगह की साफ सफाई नियमित रूप से करें और पानी को जमा होने ना दें. 
  • घर में चूहे ना पनपने दें, यह इस रोग को फैलाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होते है. 
  • दूषित पानी से बचने के लिए हमेशा पानी को उबाल कर पीएं. 
  • कही भी त्वचा में कट लगने पर उसे सही तरह से ढँक कर रखें.

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