बच्चे को मिट्टी खाने की आदत
बच्चों को लॉन या ज़मीन पर बैठकर खेलना बहुत पसंद होता है। ऐसे में वो अकसर अपने आसपास पड़ी चीज़ों को मिंह में भी डाल लेते हैं।यह काफी स्वाभाविक बात है। मिट्टी खाना एक बच्चे के लिए काफी स्वाभाविक लग सकता है, लेकिन यह उनके स्वास्थ्य और सेहत के लिए समस्या पैदा कर सकता है।
माता-पिता अक्सर इस बात को लेकर परेशान होते रहते है कि बच्चे को मिट्टी खाने से कैसे रोका जाए। बच्चे का मिट्टी खाना परेशानी का कारण इसलिए भी है क्योंकि मिट्टी में कई तरह के बैक्टीरिया, वायरस और कीटाणु होते हैं। ये आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
इसलिए बच्चे को मिट्टी खाने से कैसे रोका जाए यह माता-पिता के लिए एक बहुत ही स्वाभाविक चिंता का विषय बन जाता है। तो आइए आपको बताते हैं किस तरह आप अपने बच्चे की इस आदत को छुड़ा सकते हैं।
क्य़ों है बच्चे को मिट्टी खाने की आदत
बच्चे के जीवन के शुरुआती चरण में यह काफी स्वाभाविक है कि वह अपने आस-पास की हर चीज को समझने और जानने की कोशिश करेगा। बच्चा अपने आस-पास आने वाली हर चीज को छूएगा, महसूस करेगा, चखेगा, देखेगा और सूँघेगा। हालांकि ये कभी-कभी उत्सुकता खतरनाक हो सकती है।
दरअसल बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और वे जल्दी ही कीटाणुओं और अन्य प्रदूषकों का शिकार हो सकते हैं। हालांकि, अगर यह समस्या बच्चे को थोड़ा समझदार होने तक भी बनी रहती है तो यह माता-पिता के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय बन जाती है। वैसे तो एक बच्चे का कागज और गत्ते जैसी चीज़ें खाना सामान्य बात मानी जा सकती है।
लेकिन अगर कोई बच्चा तीन से चार साल का हो गया हो और तब भी ऐसा कर रहा हो तो डॉक्टर इसे और विशेषज्ञ इसे पाइका नाम की बीमारी के रूप में वर्गीकृत करते हैं। यह विकार आयरन, जिंक या कैल्शियम की कमी के कारण हो सकता है। पाइका की में बच्चे को विभिन्न गैर-खाद्य पदार्थों को खाने की इच्छा होती है।
बच्चे के लिए मिट्टी खाने से जुड़े खतरे क्या हैं?
मिट्टी खाने वाले बच्चे को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम से संबंधित कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। मूल रूप से, ये वस्तुएं बच्चे की आंत को अवरुद्ध कर सकती हैं और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा कर सकती हैं। बच्चे अक्सर अपने मुंह में मिट्टी डाल लेते हैं। आजकल मिट्टी कीटनाशकों और विभिन्न रसायनों से भरी हुई होती है । मिट्टी में मौजूद प्लास्टिक के अवशेष बड़े स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं जैसे कि चोकिंग और हार्मोनल असंतुलन पैदा करना। इसके अलावा कुछ और सावास्थ्य समस्याएं भी हैं जो मिट्टी खाने से हो सकती हैं जैसे:
- पेट में दर्द
- कब्ज
- भूख में कमी
- उल्टी
- फूड प्वॉइज़निंग
- सीसा विषाक्तता
- दस्त
विभिन्न प्रकार के संक्रमण
- बच्चे की मिट्टी खाने की लत कैसे छुड़ाएं
- कुछ आसान टिप्स पर अमल कर के आप अपने बच्चे की मिट्टी खाने की लत को छुड़ा सकते हैं।
- अपने घर की अच्छी तरह साफ सफाई करें ताकि किसी भी तरह की मिट्टी या धूल हट जाए।
- अगर आपके पास पालतू जानवर हैं तो अपने बगीचे को जानवरों के मल से साफ रखें।
- गमले में लगे पौधों को अपने बच्चे की पहुँच से दूर रखें।
- अपने बगीचे के बाहर बाड़ लगाएं और जब बच्चा बगीचे में खेल रहा हो तो उस पर नजर रखें।
- अपने बच्चे को मिट्टी में खेलने के बाद स्वच्छता और हाथ धोने के महत्व के बारे में शिक्षित करें।
- मिट्टी खाना अक्सर बच्चों में पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि मिट्टी खाने वाले बच्चे कैल्शियम की कमी का संकेत दे सकते हैं। अपने बच्चे के बाल रोग विशेषज्ञ से जाँच करवाएं, और यदि आवश्यक हो तो आप अपने बच्चे को पूरक आहार देना शुरू कर सकते हैं।
- कभी-कभी पेट के कीड़े भी बच्चों को मिट्टी खाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, हालांकि इसका कारण पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। आप फिर से अपने बच्चे के डॉक्टर से बात कर सकते हैं और अपने बच्चे को पेट के कीड़ों को दूर करने की दवा का एक कोर्स दे सकते हैं।
- अपने बच्चे से बात करें और मिट्टी खाना बंद करने की आवश्यकता पर लगातार जोर दें। जब वे आपकी बात सुनें तो आप उन्हें खिलौनों या उनकी पसंद की किसी चीज़ से पुरस्कृत कर सकते हैं।
- सुनिश्चित करें कि जब भी आपका बच्चा मिट्टी या कीचड़ में हो तो सतर्क रहें। अगर आपके बच्चे ने मिट्टी खा ली है और वह बीमार महसूस कर रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यदि इस सारे एहतियात के बाद भी बच्चे में सुधार नहीं आता तो उसे पाइका है या नहीं ये जानने के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।अगर बच्चे को पाइका है तो निम्नलिखित तरीकों से उसे ठीक किया जा सकता है।
- पोषण पर ध्यान: ज्यादातर मामलों में, आहार में परिवर्तन के माध्यम से खनिज या पोषक तत्वों की कमी को दूर करने से बच्चे में पाइका की समस्या का समाधान हो सकता है।
- मनोवैज्ञानिक से परामर्श: मनोचिकित्सा की सिफारिश उन व्यक्तियों के लिए की जा सकती है जिनमें पाइका को भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
- फार्मोकोलॉजिकल परामर्श : यदि पाइका को किसी बच्चे में बौद्धिक या विकासात्मक अक्षमता से जोड़ा जाता है, तो असामान्य खाने के पैटर्न को कम करने के लिए दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं।
- व्यवहार संबंधी हस्तक्षेप: यदि पाइका को व्यवहार संबंधी मुद्दों से जुड़ा पाया जाता है, तो डॉक्टर मनोवैज्ञानिक से परामर्श की सिफारिश कर सकते हैं। हालाँकि, यह विकासात्मक रूप से विकलांग बच्चों के लिए अधिक उपयोगी माना जाता है।
- सेंसरी हस्तक्षेप: एक गैर-खाद्य पदार्थ को खाने की इच्छा के कारण की पहचान होने पर इसका विकल्प खोजने में मदद मिल सकती है, जो स्थिति का इलाज करने में मदद कर सकती है।