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Last Updated: Aug 28, 2020
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Benefits of Neem Datun - नीम का दातुन के यें है फायदे

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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दांतों की नियमित सफाई हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरुरी है. आज दांतों की सफाई के लिए कई तरह के साधन उपलब्ध हैं. इसके साथ ही कई तरह के दन्त मंजन भी हैं जिन्हें हमारे दांतों के लिए बेहद उपयोगी बताया जाता है. पहले केवल दातुन का ही इस्तेमाल किया जाता था. अब दातुन के लिए कई पेड़ों की पतली टहनियों को इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इसके चुनाव के लिए हम देखते हैं कि किस पेड़ के टहनी से अच्छी कुची तैयार होती है. इसके साथ ही उसमें कोई और औषधीय गुण मौजूद हों तो उसे ज्यादा बेहतर माना जाता है.

इन सभी पैमानों पर यदि नीम को परखें तो नीम इन पैमानों पर खरा उतरता है. इसलिए नीम के दातुन का इस्त्तेमाल प्राकृतिक चिकित्सा में भी उपयोगी माना गया है. नीम की दातुन बनाने के लिए उस टहनी का प्रयोग करे जो सूखी हुई ना हो. इसे अच्छी तरह से पानी से धो लें. फिर इसके एक सिरे को दांतों से अच्छी तरह चबाते हुए टूथब्रश के रेशे बनाएं. आइए अब नीम के दातुन के फायदों को जानते हैं.

Benefits of Neem Datun in Hindi - नीम का दातुन के यें है फायदे

  1. आँतों और खून की सफाई
    शायद आपको ये पढ़कर हैरानी हो लेकिन ये काफी हद तक सच है. इसके लिए जब आप दातुन बनाने के लिए दांतों से टहनी को चबाते हैं तो उस समय जो रस मुंह में बनते हैं उन्हें थूके नहीं बल्कि निगल लें. इससे आंतों की सफाई और ब्लड प्यूरीफाई होता है, साथ ही त्वचा संबंधी रोग भी नहीं होते.
  2. मसूड़ों की मजबूती
    नीम के दातुन से मुंह धोने का एक फायदा ये भी है कि इससे मसूड़ों को मजबूती मिलती है. दातुन को ऊपर के दांतों में ऊपर से नीचे की ओर और नीचे के दांतों में नीचे से ऊपर की ओर करें. इससे आपके मसूड़े मजबूत होंगे.
  3. पायरिया का उपचार
    यदि आप नियमित रूप से नीम के दातुन से दांतों की सफाई करते हैं तो आपको पायरिया की समस्या नहीं सताएगी. इसके लिए आपको दातुन को दांतों के में चारों तरफ अच्छे से घुमाना चाहिए जिससे सफाई ठीक से हो सके.
  4. प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर
    नीम की दातुन नेचुरल माउथफ्रेशनर का भी काम करती है जिससे मुंह से दुर्गध नही आती. दातुन को आप पांच मिनट से लेकर 15 मिनट तक कर सकते हैं. अगर आप दातुन करने के बाद एक से दो मिनट कुल्ला नहीं करते हैं तो इसका प्रभाव ज्यादा होता है. सुबह व रात को दो बार दातुन की जा सकती है.
  5. कफ नाशक है
    आयुर्वेद के अनुसार नीम, बबूल आदि पेड़ों की डंडी की दातुन करने के लिए कहा गया है. यह सभी दातुन कटु/तिक्त रस की होती हैं. अब प्रश्न उठता है कि कटु या तिक्त रसों से प्रधान दातुन ही क्‍यों? दरअसल, मधुर, अम्ल, लवण रस कफ दोष की वृद्धि करते हैं, जबकि कटु, तिक्त, कसैला रस कफ दोष का नाश करते हैं. आयुर्वेद में मुख प्रदेश को कफ का आधिक्य स्थान कहा गया है. सुबह का काल भी कफ प्रधान होता है एवं पूरी रात सोने के कारण मुख के अंदर कफ जमा हो जाता है. कफ दोष का नाश करने वाले कटु, तिक्त एवं कसैला प्रधान रस वाली दातुन का प्रयोग करें.
  6. शुद्धता रहेगी बरकरार
    जाहिर है आजकल निजी कम्पनियाँ अपने लोक-लुभावन विज्ञापनों को दिखाकर लोगों को भ्रमित भी कर देते हैं. कई मंजनों में नमक एवं अम्ल रस भी मिलाया जा रहा है. अम्ल या लवण रस दांतों को साफ कर देंगे, किंतु यह रस हमारे मसूड़ों को क्षति पहुंचा सकते हैं. लेकिन यदि आप इसकी जगह नीम के दातुन का प्रयोग करेंगे तो आपको कोई नुकसान नहीं होता है. आपकी मौखिक शुद्धता भी बरकरार रहती है. इसलिए नियमित रूप से नीम का दातुन प्रयोग करें.