Benefits of Radish in Hindi - मूली के फायदे
मुली का वैज्ञानिक नाम रफानस सैटाईवस है. इसका इस्तेमाल हम अक्सर सलाद या सब्जियों में मिलाकर करते रहते हैं. रसदार मुली स्वाद में तीखी या मीठी होती है. इसके कई रंग जैसे सफेद, लाल, बैंगनी या काले होते हैं. इसका आकार लंबा, बेलनाकार या गोल हो सकता है. कच्चा मुली, इसका बीज या इसके बीज से निकला तेल औषधीय गुणों से युक्त होता है. इसकी पत्तियां भी कई स्वास्थ्यवर्धक तत्वों से युक्त होती हैं. आइए मुली के फायदों को विस्तारपूर्वक समझें.
1. सफेद दाग से छुटकारा
मूली में मौजूद डिटॉक्सिफ़िकेशन और एंटी-कॉर्सनोजिनिक गुणों के कारण इसे ल्यूकोडर्मा के उपचार में उपयोग किया जाता है. मूली के बीज इसके उपचार में उपयोग किए जाते हैं. बीजों का पाउडर बनाए और सिरके, अदरक के रस या गायों के मूत्र में भिगोए और फिर सफेद पैच पर लगाएँ.
2. पीलिया रोग में
मूली पीलिया के इलाज में यह बेहद उपयोगी होती है क्योंकि यह बिलीरुबिन को निकालती है और इसके उत्पादन के स्तर को सामान्य भी रखती है. यह लाल रक्त कोशिकाओं को भी नष्ट होने से रोकती है. रोजाना सुबह एक कच्ची मूली खाते रहने से कुछ ही दिनों में ही पीलिया रोग ठीक हो जाता है.
3. कब्ज को दूर
मूली में मौजूद भरपूर मात्रा में फाइबर के कारण यह कब्ज के लक्षणों को दूर करता है. इसके इस्तेमाल से ढीले आंतों को मजबूती और ढीली मल या दस्त से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है. इसके अलावा, मूली पित्त के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है.
4. गुर्दे के लिए उपयोगी
मूली रस भी पेशाब के दौरान सूजन और जलन का इलाज करता है. यह गुर्दों को साफ भी करता है और गुर्दे और मूत्र प्रणाली में संक्रमण को रोकता है, इस प्रकार यह विभिन्न मूत्र संबंधी विकारो के उपचार में मदद करता है.
5. उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में
मूली में पाया जाने वाला पोटेशियम इसे उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए उपयोगी बनाता है. यह रक्त के प्रवाह को चौड़ा करके रक्तचाप को कम करता है. इसके अलावा मुली में एक खास तरह का एंटी-हायपरटेन्सिव नामक तत्व पाया जाता है, जो कि हमारे उच्च रक्तचाप के स्तर को कंट्रोल करता है.
6. प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार
मुली में मौजूद विटामिन सी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को न सिर्फ बढ़ावा देता है बल्कि यह शरीर पर अन्य सभी उच्च प्रभावों के कारण भी सुपर विटामिन माना जाता है. यह आपके चयापचय को विनियमित करने में मदद करता है.
7. शुगर के उपचार में
मूली लंबे समय से कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के लिए जानी जाती है. यानी इसका सेवन रक्त शर्करा के स्तर पर असर नहीं डालता है. यह खून की मात्रा में शर्करा के अवशोषण को नियंत्रित करने में भी मददगार है.
8. बवासीर के उपचार में
मूली पाचन, वॉटर रिटेन्शन में मदद करती है और कब्ज को ठीक करती है, जो बवासीर के प्रमुख कारणों में से एक है. एक अच्छे डीटाक्सफाइर के रूप में, यह बहुत जल्दी बवासीर के लक्षणों को ठीक करने में मदद करती है.
9. वजन कम करने में
मूली में पचने योग्य कार्बोहाइड्रेट्स कम होते हैं और इसमें बहुत अधिक पानी होता है. इस वजह से ये वजन कम करने वाले लोगों के लिए बहुत अच्छा आहार माना जाता है. इसके अलावा, यह फाइबर में उच्च और ग्लाइकेमिक इंडेक्स में भी कम ही होती है. जिससे इसका सेवन वजन घटाने में मदद करता है.
10. त्वचा के लिए
इसमें पाया जाने वाला विटामिन-सी, फास्फोरस, जिंक और विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स त्वचा के लिए काफी उपयोगी है. मूली में मौजूद पानी भी त्वचा में स्वस्थ नमी के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है. कच्ची मूली को कस कर आप अच्छी तरह से अपने चेहरे को साफ कर सकते हैं और यह एक बहुत ही अच्छे फेस पैक के रूप में कार्य करती है.
11. लिवर के लिए
मूली का इस्तेमाल लिवर और पित्ताशय की थैली के कार्यों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है. यह पित्त और बिलीरूबिन, एसिड और एंजाइम के उत्पादन और प्रवाह को विनियमित करती है. इसके अलावा यह रक्त से अधिक बिलीरुबिन को भी हटा देती है. मूली संक्रमण और अल्सर से आपके जिगर और पित्ताशय की थैली की सुरक्षा रखती है.
12. बचाए हृदय रोग से
मूली में ऐंथोसाइनिन नाम का एक प्रकार का फ्लेवोनोइड्स मौजूद होता है. ये मुली को रंग देने के साथ ही हमें कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है. ये सकारात्मक तरीके से हृदय रोग की घटना को कम करने के साथ जुड़ा हुआ है इसलिए मूली के सेवन से हृदय विकारों का ख़तरा कम हो जाता है.
13. कैंसर में लाभकारी
मूली एक डीटाक्सफाइर तो है ही इसमें विटामिन सी, फोलिक और ऐंथोसाइनिन भी पाया जाता है जिससे ये कई प्रकार के कैंसर विशेष रूप से कोलन, किडनी, आंतों, पेट और मौखिक कैंसर के उपचार में लाभकारी है. इसके अलावा, मूत्राशय में पाए जाने वाले आइसोथियोसाइनेट का कैंसर कोशिकाओं के आनुवंशिक मार्गों पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है.
14. श्वसन तंत्र के लिए
मूली श्वसन तंत्र की रुकावट को कम कर देता है जिसमें नाक, गले, वायु-पाइप और फेफड़ों में जलन होती है जो सर्दी, संक्रमण, एलर्जी और अन्य कारणों से हो सकती है. मूली में मौजूद इसका तीखापन एक मजबूत, प्राकृतिक मसाला होता है जो सांसों की बीमारी को रोकने के लिए बहुत अच्छा है और यह गले में अतिरिक्त बलगम को भी समाप्त कर देता है.