बेसल सेल कार्सिनोमा के लक्षण - Besal Cell Carcinoma Ke Lakshan!
पेट में विकसित होने वाली गाँठ को ही हम बेसल सेल कार्सिनोमा के नाम से जानते हैं. हालांकि कुछ लोग इसे सीधे सीधे पेट की गांठ भी कहते हैं. बेसल सेल कार्सिनोमा एक ऐसी समस्या है जो कई बार परेशानी का कारण बन जाती है. पेट में बनने वाली गाँठ को कुछ लोग बेसल सेल कार्सिनोमा भी कहते हैं. दरअसल इस बीमारी में पेट के अंदर किसी अंग में गाँठ बन सकती है. आपको बता दें कि पेट में बनने वाली गाँठ की समस्याएं ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है. दरअसल महिलाओं की शारीरिक बनावट ऐसी है कि उनके पेट में बच्चेदानी स्थित होती है. यही पेट में गाँठ की वजह भी बन सकती है. आपको बता दें कि बेसल सेल कार्सिनोमा दरअसल पेट के अंग विशेष का नाम है जिसके आधार पर बेसल सेल कार्सिनोमा को नाम दिया जाता है. जैसे यदि बच्चेदानी में गाँठ बनी तो उसे बच्चेदानी की बेसल सेल कार्सिनोमा, यदि गुर्दे में वही तो गुर्दे की बेसल सेल कार्सिनोमा इत्यादि की तरह नामकरण में उसकी सहायता ली जाती है. आइए इस लेख के माध्यम से हम बेसल सेल कार्सिनोमा के विभिन्न लक्षणों को जानें ताकि इस विषय में लोगों को जागरूक किया जा सके.
बेसल सेल कार्सिनोमा का पता लगाने का तरीका-
चिकित्सक पेट में होने वाली बेसल सेल कार्सिनोमा का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के टेस्ट व जांच करते हैं. इन्हीं जाँच और टेस्ट के आधार पर इस बात का पता लगाया जाता है कि बेसल सेल कार्सिनोमा किस अंग विशेष में हुई है. इसके लिए चिकित्सक मरीज का HB, ESR, TLC/DLC, यूरिन टेस्ट, पेट का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, IVP (गुर्दे के रंगीन एक्सरे) सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन इत्यादि करके इसका पता लगाते हैं. इसके अलावा पेट के किसी अन्य हिस्से या अंग में यदि बेसल सेल कार्सिनोमा उत्पन्न हुई है तो उसको जानने के लिए चिकित्सक द्वारा पेट को कई भागों में बांट कर उसका पता लगाया जाता है. पेट की बेसल सेल कार्सिनोमा से ग्रसित व्यक्ति जो चिकित्सक के पास अपनी परेशानी लेकर जाता है तो डॉक्टर का प्रयास यही होता है कि वह इस बात का पता लगाएं कि बेसल सेल कार्सिनोमा पेट के किस हिस्से में हुई होगी और इसके लिए जांच करनी पड़ती है.
बेसल सेल कार्सिनोमा के लक्षण-
जैसा की हमने आपको बताया कि बेसल सेल कार्सिनोमा को पेट के अंग विशेष में उत्पन्न होने के आधार पर ही विभाजित करते हैं अर्थात पेट के जिस हिस्से में गाँठ उत्पन्न होता है उसका लक्षणों को भी उसी के के आधार पर बताया जा सकता है. आइए निंलिखित बिन्दुओं के आधार पर इसे ठीक से समझें -
खाने की थैली में यानी आंतों में उत्पन्न बेसल सेल कार्सिनोमा के लक्षण: - इसमें रोगी को खाना निगलने में परेशानी का अनुभव होता है. कब्ज से पीड़ित होने की संभावना इस बीमारी का एक लक्षण है. इस दौरान मरीज के पेट में दर्द का अनुभव भी हो सकता है. इस दौरान मरीज के पाचन क्रिया भी कमजोर हो जाती है.
गुर्दे से संबंधित बेसल सेल कार्सिनोमा के लक्षण: - इस दौरान मरीज को पेशाब करते समय जलन का अनुभव होता है. मरीज के पेशाब में खून आने की भी संभावना बनती है. इस दौरान पेट में दर्द भी हो सकता है.
लीवर एवं बेसल सेल कार्सिनोमा के लक्षण: - इस दौरान रोगी की पाचन क्षमता प्रभावित हो सकती है. ये भी हो सकता है कि मरीज को पीलिया की बीमारी पकड़ ले. यही नहीं इस दौरान पेट में दर्द भी हो सकता है.
बच्चेदानी में उत्पन्न होने वाले गाँठ के लक्षण: - किसी महिला के बच्चेदानी में गाँठ होती है तो उसकी अधिक मासिक आने की संभावना बनती है और इस दौरान पेट में दर्द भी आम बात है.
बेसल सेल कार्सिनोमा के प्रकार-
बेसल सेल कार्सिनोमा की बीमारी को हम आमतौर पर दो हिस्सों में बांट सकते हैं. ये दोनों ही वर्गिकरण इसके लक्षणों के आधार पर किया जाता है. आइए जानें कि ये दो प्रकार कौन से हो सकते हैं.
कैंसर: - यदि बेसल सेल कार्सिनोमा बहुत आकार में बहुत बड़ी है और स्वभावतः बहुत स्वभाव में सख्त हो और इसके साथ ये पेट से चिपका हुआ महसूस होता हो तो ऐसे गाँठ के कैंसर होने की ज्यादातर संभावना बनती है.
साधारण: - इस प्रकार की बेसल सेल कार्सिनोमा अर्थात बेसल सेल कार्सिनोमा सामान्य होती है. इनसे कैंसर होने की संभावना तो नहीं होती लेकिन फिर भी इसका इलाज किया जाना आवश्यक है. इसका इलाज दूरबीन विधि द्वारा ऑपरेशन करके आसानी से किया जा सकता है.