Bhringraj Benefits and Side Effects in Hindi - भृंगराज के फायदे और नुकसान
आयुर्वेद में भृंगराज के बहुत सारे गुड्डू को बताया गया है. आयुर्वेद में इसे रसायन कह कर संबोधित किया गया है. भारत में यह कवि जगहों पर पाया जाता है. विशेष रुप से दर्शनीय स्थानों पर भृंगराज के किसानों का वर्गीकरण इसके फूलों के रंगों के आधार पर किया जाता है. इनमें से सर्वाधिक प्रचलित सफेद भृंगराज यानि सफ़ेद एक्लिपटा एल्बा है. भृंगराज में लोगों को ऊर्जावान बनाने और बढ़ती उम्र के लक्षणों को घटाने का विशेष गुण होता है.
स्वाद में कड़वा और तीखा लगने वाला भृंगराज कफ दोष और वाद दोस्त को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बालों के झड़ने को रोकना हो या उसे घना बनाना हो, सूजन को कम करने की बात हो या पेट दर्द की परेशानियों से निपटारे की बात हो, सबमें लाभकारी है. इसके अलावा भी कई अन्य परेशानियों को दूर करने में यह काफी उपयोगी है. भृंगराज के फायदे और नुकसान निम्नलिखित हैं
1. पेशाब में इंफेक्शन रोकने में
अपने जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण भृंगराज मुत्र संक्रमण को रोकने में काफी कारगर साबित होता है. दरअसल भृंगराज मूत्राशय के सामान्य कार्यों को बनाए रखने के लिए जीवाणुओं के असर को खत्म करता है. पेशाब में संक्रमण की ज्यादातर समस्याएं महिलाओं में पाई जाती हैं इसके लिए भृंगराज के पत्तों में थोड़ा सा पानी डाल कर इसे पीस लें. फिर इसे छानकर, रस को दिन में दो बार नियमित रूप से पीने से लाभ मिलता है.
2. श्वसन के संक्रमण में
भृंगराज के पत्तों के रस को तिल की बराबर मात्रा के साथ उबाल कर इसे छान लें. इसे दिन में दो बार सेवन करने से आपको श्वसन संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है. भृंगराज का नियमित सेवन आपके श्वसन और फेफड़ों की परेशानियों को दूर करने में भी उपयोगी साबित हो जाए होता है. भृंगराज के अर्थ में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं इसके अलावा भृंगराज के फायदे आपको सर्दी खांसी आदि में भी मिलते हैं
3. लीवर की परेशानियां दूर करने में
लीवर से संबंधित विभिन्न परेशानियों को दूर करने के लिए भृंगराज का प्रयोग प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है. दरअसल इसके लिए लगभग 10 ग्राम भृंगराज के पत्ते तथा 2 ग्राम साबुत काली मिर्च को एक साथ पीस लें फिर इस पृष्ठ में छाछ में मिलाकर दिन में दो बार इसका सेवन करें ऐसा करने से आपको पीलिया से छुटकारा मिलता है. पीलिया सीधे सीधे सीधे लीवर और उसके कार्य क्षमता को प्रभावित करता है.
4. बालों के लिए
यदि भृंगराज को बालों के लिए वरदान कहा जाए तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी बालों से जुड़ी तमाम समस्याओं के निदान में भृंगराज की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. बालों को झड़ने, बालों में रूसी जैसी समस्यायों को भृंगराज और इसमें कई अन्य पदार्थों को मिलाकर दूर की जा सकती हैं. बालों की लंबाई बढ़ाने में भी भृंगराज का तेल काफी प्रभावशाली है. भृंगराज का तेल बालों की त्वचा में रक्त प्रवाह को भी बढ़ाता है और जोड़ों को भी मजबूत बनाता है. इसके लिए आप विराज के तेल में तिल अथवा नारियल का तेल भी मिला सकते हैं.
5. पाचन शक्ति को सही करने में
भृंगराज हमारे शरीर के बड़ी आंत में पाए जाने वाले तमाम जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में हमारी मदद करता है. यह कब्ज और पेट की अन्य समस्याओं को ठीक करने का सबसे उत्तम उपाय माना जाता है. इस के लिए भृंगराज के चार से पांच पत्ते प्रतिदिन सुबह में लिया जाए तो कब जी जैसी समस्याएं काफी हद तक कम हो जाती है.
6. आंखों के लिए
भृंगराज में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. इसके साथ ही भृंगराज की पत्तियों में कैरोटीन भरपूर मात्रा में पाई जाती है. जो की आंखों की स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. कैरोटीन मुक्त कणों को खत्म करने का काम करती है. जिससे कि मोतियाबिंद जैसी समस्याएं खत्म होती है. यदि आप भी चाहते हैं कि आपकी आंखें सालों-साल सुरक्षित और स्वस्थ रहें तो आज ही से आपको भी भृंगराज का सेवन शुरू कर देना चाहिए.
इसके लिए भृंगराज की पत्तियों को सुखाकर उसका चूर्ण बनाएं. इसमें लगभग 3 ग्राम शहद और 3 ग्राम गाय की घी मिलाकर प्रतिदिन सोने से पहले रात में 40 दिन तक इसका सेवन करें. इससे आंखों की कमजोरी और आंखों से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं.
7. ऊर्जा के स्रोत के रूप में
भृंगराज कई रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है. इसके साथ ही भृंगराज का रस कायाकल्प करने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है. इस दौरान मरीज को दूध के साथ पका हुआ चावल खाने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से शरीर में ताकत प्रतिरक्षा और प्रजनन आदि में काफी सुधार आता है.
भृंगराज का नुकसान
- भृंगराज के सेवन से लोगों को किसी विशेष परिस्थितियों के कारण एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
- गर्भवती महिलाएं भृंगराज के इस्तेमाल किसी चिकित्सा के परामर्श के बाद ही करें
- भृंगराज की सेवन नियमित रूप से करें.