बाइपोलर डिसऑर्डर इन हिंदी - Bipolar Disorder In Hindi!
बाइपोलर डिसऑर्डर डिप्रेशन से जुड़ी एक जटिल ही और गंभीर बीमारी है. इसको कई लोग गहरा अवसाद के नाम से भी जानते हैं. जब ये चरम पर होता है तो ये अत्यधिक मूड स्विंग का कारण भी बन जाता है. जाहिर है ये भावोत्तेजना का उच्च स्तर तथा निम्न स्तर का सम्मिलित रूप है. आप जब भी अवसादग्रस्त होते हैं, तो खुद को निराश या उदास महसूस करते हैं. इस दौरान आप ज्यादातर गतिविधियों से अपनी रुचि धीरे-धीरे खोते जाते हैं. लेकिन जैसे ही आपका मूड बदलता है तो आप खुद को जश्न और ऊर्जा से भरा पाते हैं. आपके मूड में इस तरह का परिवर्तन साल में कुछ ही बार, या फिर हफ्ते में ही कई बार हो सकता है. आइये इससे जुड़ी बातों को विसतारपूर्वक जानें.
बाइपोलर डिसआर्डर के नुकसान-
कुछ लोग ट्रीटमेंट के साथ अच्छी तरह से काम या पढ़ाई आदि कर सकते हैं और सक्षम जिंदगी जी सकते हैं. हालांकि, कुछ लोग दवाइयां लेना भी बंद या कम कर देते हैं. कुछ स्टडी के अनुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित रोगियों की रचनात्मकता में वृद्धि हो सकती है. हालांकि, मूड में परिवर्तन उनको किसी प्रोजेक्ट पर ध्यान फोकस करने या किसी परियोजना को अमल करने में कठिनाई पैदा कर सकता है. इसके परिणामस्वरुप व्यक्ति कई प्रोजक्ट या काम शुरू कर लेते हैं, लेकिन उनको खत्म नहीं कर पाते है. हालांकि, बाइपोलर डिसऑर्डर एक हानिकारक और लंबी समय की स्थिति है, आप किसी उपचार योजना का अनुसरण करके मूड बदलने से रोक सकते हैं. ज्यादातर मामलो में, बाइपोलर डिसऑर्डर को दवाओं और मनोवैज्ञानिक परामर्श की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है.
बाइपोलर डिसआर्डर के लक्षण-
बाइपोलर डिसऑर्डर किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है. विशेष कर, इसे युवावस्था और 20 साल की उम्र या उससे पहले होते देखा गया है. इसके लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं और इसके लक्षण समय के साथ बदलते भी रहते हैं.
मैनिया और हाइपोमैनिया-
ये दो अलग-अलग प्रकार के मैनिया हैं, पर इनके लक्षण समान होते हैं. इनमे मैनिया को ज्यादा गंभीर माना गया है, इसके कारण से काम, पढ़ाई और सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने में परेशानी महसूस होने लगती है. मैनिया मनोवकृति को भी शुरू कर सकता है, जिससे हॉस्पिटल में एडमिट होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. मैनिक और हाइपोमैनिक दोनों में निम्न लक्षणों को देखा जाता है.
1. असामान्य रूप से उत्साहित, चिड़चिड़ा या अजीबोगरीब महसूस होना,
2. उर्जा या व्याकुलता में वृद्धि
3. आत्मविश्वास की भावना बढ़ना
4. नींद की कम जरूरत महसूस होना
5. असाधारण वार्तालाप
6. कुछ ना कुछ सोचते रहना.
प्रमुख डिप्रेसिव प्रकरण-
एक प्रमुख अवसादग्रस्त प्रकरण में जो लक्षण होते हैं वे बहुत गंभीर होते हैं, जिनसे दैनिक गतिविधियां पूरी करने में बहुत कठिनाई होती है. इसमें होने वाली परेशानियां बहुत ध्यान देने योग्य होती हैं जैसे स्कूल, काम व अन्य सामाजिक गतिविधि पूरा करने में परेशानी या व्यक्तिगत संबंध आदि. इस प्रकरण के लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल हो सकते हैं.
1. अवसादग्रस्त मूड जैसे, उदास, अकेलापन, निराशाजनक और दुखी महसूस होना
2. किसी भी प्रकार के गतिविधियो में कोई रूचि या इच्छा ना रखना.
3. वजन बढ़ना या घटना,
4. भूख में बदलाव
5. थकान या एनर्जी में कमी
6. खुद को दोषी महसूस करना
बाइपोलर डिसऑर्डर की अन्य विशेषताएं-
1.अनिद्रा या फिर बहुत ज्यादा नींद आना
2. बेचैनी या धीमी गतिविधि थकान या उर्जा में कमी महसूस होना
3. ध्यान देने की क्षमता में कमी होना
4. निश्चय करने में कठिनाई
5. खुदखुशी करने की योजना बनाना या प्रयास करना
बच्चों और किशोरावस्था में-
बच्चों और किशोरावस्था में प्रमुख अवसादग्रस्तता, मैनिक या हाइपोमैनिक के एपिसोड अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन उनके पैटर्न बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित वयस्कों से अलग हो सकते हैं. प्रकरण के दौरान मूड में तीव्रता से बदलाव हो सकता है. कुछ बच्चों के प्रकरण के दौरान कुछ अवधि बिना मूड के लक्षणों कि बिना भी हो सकती है.
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए-
मूड के चरम सीमाओं पर होने के बावजूद भी, बाइपोलर से ग्रसित लोग यह नहीं समझ पाते कि उनकी भावनात्मक अस्थिरता उनकी और उनके प्रियजनों के जीवन में कितना बाधा डाल रही है. जिस कारण से वे उपचार की जरूरत नहीं समझते. अगर आपको अवसाद या मैनिया के कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जांच करवा लेनी चाहिए. बाइपोलर डिसऑर्डर में कभी अपने आप सुधार नहीं होता. बाइपोलर डिसऑर्डर के अनुभवी डॉक्टर से उपचार करवाने से लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.