ब्लड कैंसर के लक्षण - Blood Cancer Ke Lakshan!
ब्लड कैंसर, रक्त कोशिकाओं में होने वाले कैंसर को कहा जाता है. ब्लड कैंसर की बीमारी में, अस्थि मज्जा बहुतायत मात्रा में असामान्य सफेद रक्त कोशिकाओं को बनाने लगती है, जिन्हें ब्लड कैंसर कोशिकाएं कहा जाता है. ये सफ़ेद रक्त कोशिकाएं सामान्य श्वेत रक्त कोशिकाओं के भाँति काम नहीं करती हैं. ये सामान्य कोशिकाओं की तुलना में तेज़ी से बढ़ती हैं, उनका विकास रुकता नहीं है और सामान्य कोशिकाओं के लिए हानिकारक साबित होता है. आइए इस लेख के जरिए हम ब्लड कैंसर के विभिन्न लक्षणों के बारे में जानें ताकि लोग समय रहते इसकी पहचान करके इसका इलाज करा सकें.
ब्लड कैंसर के लक्षण-
सभी प्रकार के ब्लड कैंसर में, असामान्य सफेद कोशिकाओं की उपस्थिति की तुलना में सामान्य रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण ही अधिक लक्षण नज़र आते है. आइए इसके विभिन्न लक्षणों पर एक नजर डालें -
* गले में या हाथ के नीचे या आपकी कमर में कोई नयी गांठ या किसी ग्रंथि में सूजन का होना
* नाक, मसूड़ों या मलाशय से लगातार रक्तस्त्राव होना. लगातार नील पड़ना या मासिक धर्म के दौरान भारी
* ब्लीडिंग होना
* बुखार रहना
* रात को सोते समय पसीना आना
* हड्डियों के भीतर दर्द रहना
* अस्पष्टीकृत भूख न लगना या/और साथ ही वज़न का लगातार कम होना
* बिना किसी बिना किसी कारणवश अत्याधिक थकान महसूस करना
* पेट के बाईं ओर सूजन बनना और सूजन के साथ साथ दर्द का भी अनुभव होना
ब्लड कैंसर के कारण-
विशेषज्ञों को पूर्ण रूप से जानकारी नहीं है कि ब्लड कैंसर का क्या कारण है. कुछ चीजें ब्लड कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जैसे कि बड़ी मात्रा में विकिररेडिएशन या कुछ केमिकल जैसे कि बेंजीन के काॅंटैक्ट में रहना. ब्लड कैंसर को होने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन यह संभव हो सकता है कि आपके आस-पास कुछ चीजें इसके ग्रोथ को ट्रिगर कर सकती हैं. उदाहरण के लिए, यदि आप स्मोकिंग करते हैं, तो आपको इसका जोखिम अधिक है. ब्लड कैंसर के लिए पारिवारिक इतिहास एक अन्य जोखिम कारक है. उदाहरण के लिए, यदि एक जैसे दिखने वाले जुड़वां में से कोई भी एक किसी भी प्रकार के ब्लड कैंसर से ग्रस्त है तो 20% सम्भावना है की दुसरे जुड़वाँ को भी एक वर्ष के अंदर कैंसर होगा.
ब्लड कैंसर से बचाव-
अधिकांश प्रकार के ब्लड कैंसर को रोकने के लिए कोई ज्ञात तरीका नहीं है. कुछ प्रकार के ल्युकेमिआ के होने के जोखिम को रेडिएशन की हाई डोज़, केमिकल बेंजीन, स्मोकिंग और अन्य टाबोको का उपयोग न करने या इनके संपर्क में न रहने से रोका जा सकता है.
ब्लड कैंसर के स्टेज-
ब्लड कैंसर का निदान होने के बाद उसकी स्टेजिंग की जाती है. एक्यूट माइलोजीनस ब्लड कैंसर (AML) और एक्यूट लिम्फोसाइटिक ब्लड कैंसर (ALL) की स्टेजिंग सेल्स के प्रकार और कैंसर सेल्स माइक्रोस्कोप के नीचे कैसी दिखती हैं इस आधार पर की जाती है. निदान के समय WBC गणना के आधार पर एक्यूट लिम्फोसाइटिक ब्लड कैंसर (ALL) और क्रोनिक लिम्फोसाइटैटिक ब्लड कैंसर (CLL) की स्टेजिंग की जाती है. ब्लड और बॉन मेरो में अपरिपक्व वाइट ब्लड सेल्स या मायलोब्लास्ट की उपस्थिति के आधार पर एक्यूट माइलोजीनस ब्लड कैंसर (AML) और क्रोनिक माइलोजीनस ब्लड कैंसर (CML) की स्टेजिंग की जाती है.
ब्लड कैंसर स्टेजिंग और रोग का निदान करने वाले कारक:
- वाइट ब्लड सेल्स या प्लेटलेट काउंट
- ऐज
- पूर्व ब्लड डिसऑर्डर का इतिहास
- क्रोमोसोम म्यूटेशन या असामान्यताएं
- हड्डियों को किसी प्रकार का नुकसान
- लीवर या प्लीहा में वृद्धि