वायु प्रदूषण के कारण एवं बचाव - Causes And Prevention Of Air Pollution In Hindi!
इस धरती पर जीवित रहने के लिए वायु का होना अनिवार्य है। इस पृथ्वी पर जीवित हर प्राणी के लिए वायु आवश्यक हैं। वायु के माध्यम से हम सांस लेते है और कह सकते है कि यह हमारे जीवन का आधार है। लेकिन क्या होगा जब वातावरण में मौजूद हवा में विभिन्न प्रकार के ज़हरीले गैस, धूल कण आदि मिल जाएं? इसका जवाब हमें इस आंकड़े से मिलता है कि भारत में हर साल लगभग 13 लाख मौत का कारण वायु प्रदूषण होता है। अब आप अंदाजा लगा सकते है कि वायु प्रदूषण मानव जीवन एवम् समस्त धरती पर जीवित प्राणियों के लिए कितना घातक साबित हो रहा है।
वातावरण में बढ़ते प्रदुषण का कारण बढ़ती आबादी और आधुनिक आद्योगीकरण को माना जाता है। प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और जीव- जंतुओं की संख्या में भारी कमी ने वातावरण में असंतुलन पैदा कर दिया है। भारत जैसे देश में जहाँ घरेलु उपयोग में इस्तेमाल रसायनों से लेकर अन्य सामग्रियों के कारण हवा की गुणवत्ता दिन प्रति दिन खराब होते जा रही है। यह मानव शरीर में कई तरह के गंभीर स्वास्थ्य समस्या विकसित कर रहे हैं। आइये हम वायु प्रदूषण के कारणों और इससे बचने के उपायों को समझें ताकि इससे होने वाली समस्या से बचा जा सके.
वायु प्रदूषण के कारण
1. बढ़ती आबादी
भारत जैसे देश में जिस गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है वह बढ़ते वायु प्रदूषण का एक सबसे बड़ा संकेतक है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग होना है। पहले यह समस्या शहरों तक ही सिमित थी, लेकिन अब यह समस्या गाँव-देहात तक बढ़ रही है। बढ़ती आबादी के कारण औद्योगीकरण में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। लोगों को रोजगार मुहैया कराने की वजह से इंडस्ट्री से निकलने वाली जहरीली हवा ने वायु को दूषित कर दिया है।
2. बढ़ते उद्योग
यह कहा जा सकता है की वायु प्रदूषण के लिए सबसे बड़ा कारण बढ़ते हुए उद्योग है। इससे से निकलने वाले धुएँ ने सबसे ज्यादा वायु को प्रदूषित किया है। यह ज्यादातर विकासशील देशों की समस्या है। बढ़ते उद्योग के कारण आज भारत के कई शहर जोखिम निशान के ऊपर है। उन शहरों में सांस लेना दुर्लभ हो गया है।
3. संचार के साधन
आज बढ़ती आबादी के कारण संचार के विभिन्न साधनों में वृद्धि बहुत अधिक हो रही है. इन साधनों में हो रही बेतहाशा वृद्धि से इंजनों, बसों, वायुयानों, स्कूटरों आदि की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. ये सभी वाहन अपने धुएं से वायुमण्डल में लगातार असन्तुलन पैदा करने का काम कर रहे हैं.
4. वनों की अंधाधुंध कटाई
हम सभी मनुष्यों ने अपनी सुख-सुविधा के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की है जिससे वायु प्रदूषण बढ़ा है. जाहिर है वृक्ष वायुमण्डल के प्रदूषण को निरन्तर कम करने का काम करते हैं. पौधे हमारे लिए हानिकारक गैस कार्बन डाई आक्साइड को अपने भोजन के लिए ग्रहण करके जीवनदायिनी गैस आक्सीजन प्रदान करते हैं.
5. परमाणु परिक्षण
हमने आपसी वैमनष्य को इस कदर बढ़ाया कि देशों के बीच लड़ाइयाँ क लगने लगी और हथियारों का होड़ लग गया. इस वजह से लोगों ने परमाणु बम जैसे बेहद घातक और प्रदुषण फैलाने वाला हथियार मिल गया.
वायु प्रदूषण से बचने के उपाय
1. वनों की हो रही अन्धाधुन्ध अनियंत्रित कटाई को रोका जाना चाहिए. इस कार्य में सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाएँ व प्रत्येक मानव को चाहिए कि वनों को नष्ट होने से रोके व वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग ले.
2. शहरी करण की प्रक्रिया को रोकने के लिए गाँवों व कस्बों में ही रोजगार व कुटीर उद्योगों व अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराना चाहिए.
3. कारखानों को शहरी क्षेत्र से दूर स्थापित करना चाहिए, साथ ही ऐसी तकनीक उपयोग में लाने के लिए बाध्य करना चाहिए जिससे कि धुएँ का अधिकतर भाग अवशोषित हो और अवशिष्ट पदार्थ व गैसें अधिक मात्रा में वायु में न मिल पायें.
4. जनसंख्या शिक्षा की उचित व्यवस्था की जाए ताकि जनसंख्या वृद्धि को बढ़ने से रोका जाए.
5. वाहनों में ईंधन से निकलने वाले धुएँ को ऐसे समायोजित, करना होगा जिससे की कम-से-कम धुआँ बाहर निकले.
6. ऐसे ईंधन के उपयोग की सलाह दी जाए जिसके उपयोग करने से उसका पूर्ण आक्सीकरण हो जाय व धुआँ कम-से-कम निकले.
7. निर्धूम चूल्हे व सौर ऊर्जा की तकनीकि को प्रोत्साहित करइसे और ज्यादा उन्नत एवं सुलभ बनाना चाहिए.
8. शहरों-नगरों में अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन हेतु सीवरेज को सभी जगह बढ़ावा देना चाहिए.
9. इन सभी चीजों को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल करके बच्चों में इसके प्रति चेतना एवं जागृत फैलाई जानी चाहिए.
10. इसकी जानकारी व इससे होने वाली हानियों के प्रति मानव समाज को सचेत करने हेतु प्रचार माध्यम जैसे दूरदर्शन, रेडियो पत्र-पत्रिकाओं आदि के माध्यम से प्रचार करना चाहिए.