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Last Updated: Apr 01, 2019
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छोटे बच्चों की सर्दी के कारण - Chhote Bachon Ki Sardi Ke Karan!
छोटे बच्चों को अक्सर ठंड और जुकाम लग जाती है. जो लोग नए माता-पिता बने हैं वो लोग इसे लेकर परेशान हो जाते हैं. लेकिन वहीं अधिकतर मां-बाप जो पहले ही इस बात को जानते हैं, उनकी पूरी कोशिश रहती है कि वे अपने छोटे बच्चों को ठंड के प्रभाव से दूर रख सकें. लेकिन इसके बावजूद कभी-कभी सर्द हवायें बच्चों को परेशान कर ही जाती हैं. ऐसे में अभिभावकों का परेशान होना लाजमी है. इसके लिए कुछ घरेलू उपाय आजमाकर आप अपने नवजात शिशु को ठंड व खांसी के प्रभाव से बचा सकते हैं. इससे बच्चे बेहतर महसूस करते हैं और सक्रिय रहते हैं. लेकिन इसके लिए आइए पहले छोटे बच्चों की सर्दी के कारणों को जान लें.
छोटे बच्चों में सर्दी के कारण
- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता: - छोटे नवजात शिशुओं की प्रतिरोधक क्षमता अभी विकसित हो रही होती है इसलिए उन्हें ऐसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है. सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य समस्याएँ अक्सर बच्चों को परेशान करती हैं. यदि इस तरह की समस्या ज्यादा हो तो बिना किसी देरी के चिकित्सक से मिलना चाहिए.
- बदलता हुआ मौसम: – बदलता हुआ मौसम भी छोटे बच्चों में सर्दी का एक कारण है. बदलते हुए मौसम को अक्सर बच्चे झेल नहीं पाते हैं. इसलिए मौसम के कारण भी कई बार छोटे बच्चों को सर्दी लग जाती है.
- सर्द हवाएँ: - सर्द हवाओं के प्रभाव का प्रभाव इतना अधिक होता है कि इससे बड़े-बड़ों को भी सर्दी लग जाती है. बच्चे तो फिर भी बच्चे ही हैं. इसलिए जितना हो सके छोटे बच्चों को सर्द हवाओं से बचाकर रखें ताकि उन्हें सर्दी न लगे.
- ठंड के दिनों में उचित देखभाल न कर पाना: - सर्दियों के मौसम में कई बार ठंड बहुत ज्यादा हो जाती है. जब ऐसा ठंड पड़ना शुरू हो तो इसमें बच्चों की देखभाल करनी पड़ती है. ताकि बच्चों को सर्दी के दुष्प्रभावों से बचाया जा सके.
छोटे बच्चों को सर्दी से बचाने के कुछ उपाय
- आराम है जरूरी: - इस बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे को पूरा आराम मिले. संक्रमण से लड़ने के लिए इनसानी शरीर को काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. उसके साथ आरामदेह खेल खेलें न कि बहुत अधिक एक्टिव खेल.
- बुखार से बचाएं: - बच्चों का बुखार ठीक करने की कोशिश करें. डॉक्टर के सलाह पर बच्चे के लिए कुछ दवा भी निर्धारित किया जा सकता है. ध्यान रखें, अपने डॉक्टर से पूछे बिना बच्चे को किसी भी तरह की कोई भी दवा न दें . ऐसी कोई दवा बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है.
- गर्म तरल पदार्थ पिलायें: - अपने छोटे बच्चे को तरल पदार्थ गरम करके दें. अगर आपका बच्चा छह महीने से अधिक आयु का है, तो आप उसे चिकन सूप, गर्म हर्बल टी दे सकते हैं. आप चाहें तो उसे सेब का रस भी गर्म करके पिला सकते हैं. गर्म तरल पदार्थ गले में खराश व सूजन से राहत दिलाते हैं. इसके साथ कंजक्शन, दर्द और थकान को भी दूर करने में मदद मिलती है.
- पेट्रोलियम जैली: - बच्चे की नाक पर पेट्रोलियम जैली की मोटी परत लगाएं. इससे बहुत राहत मिलती है. बच्चे की नाक पर जैली अधिक मात्रा में लगायें, क्योंकि नाक ज्यादा लाल और सूजी होती है.
- ह्यूमिडिफायर प्रयोग करें: - यह डिवाइस कमरे से मॉइस्चर को बाहर निकाल देता है. इससे बच्चे की नाक की सूजन कम हो जाती है. उसके शरीर की जकड़न खुल जाती है. वह पहले से बेहतर महसूस करने लगता है. इसके साथ ही इससे उसे अच्छी नींद भी आती है.
- स्टीम दिलाएं: - अपने बच्चे को बाथरूम में गर्म पानी चला कर 15 मिनट तक छोड़ दें और दरवाजा बंद कर दें. इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा पानी से दूर रहे.
वेपर रब: -
- सामान्य दवाओं से करें परहेज: - अपने बच्चे को सर्दी के लिए मिलने वाली सामान्य दवाएं न दें. विशेषतौर पर दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे के लिए ऐसी दवाएं बिलकुल ना दें. डॉक्टर भी ऐसा करने की सलाह नहीं देते हैं.
- शहद: - बच्चे की उम्र एक वर्ष पूरी होने के बाद ही शहद खिलाएं. शहद का तासीर गर्म होती है और खांसी और ठंड के लिए एक अच्छा घरेलू विकल्प माना जाता है, लेकिन वे बच्चे जिनकी उम्र एक वर्ष से कम होती है उनमें शहद इनफेंट बॉटलिज्म नाम की बीमारी कर सकता है.
- अतिरिक्त तरल पदार्थ दें: - अपने बच्चे को अतिरिक्त तरल पदार्थ दें. अधिक तरल पदार्थों का सेवन निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से बचाता है. इसके साथ ही इससे नाक स्राव भी पतला हो जाता है. छह महीने या उससे अधिक आयु के बच्चों को सादा पानी व फलों का रस आदि दिया जा सकता है.