Chicory (Kasni) Benefits and Side Effects in Hindi - कासनी के फायदे और नुकसान
भूमध्य क्षेत्रों में पाए जाने वाले नील रंग के बारहमासी पौधे कासनी को अंग्रेजी में चिकोरी भी कहते हैं. कासनी के लाभ से हमारा स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है. इसके जड़ को हम कई तरह के औषधीय रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. आइए कासनी के लाभ और कासनी से होने वाली हानि को समझने के कोशिश करें-
1. चिंता को कम करता है
चिंता का सीधा संबंध दिमाग से है और दिमाग का तंत्रिका तंत्र से है. तनाव के प्रभाव और उपचार पर होने वाली कई शोधों से ये पता चला है कि कासनी हमारे शरीर में तनाव और इसके दुष्प्रभावों को ख़त्म करने में महत्ववपूर्ण भूमिका निभाता है. इन शोधों से इस बात का भी पता चला है कि कासनी के लाभकारी गुण तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी परेशानियों में सुजन को कम करके हमें राहत दिलाता है. कासनी के सूखे या भुने हुए बीज या इसके जड़ों से तैयार पेय पदार्थ ऐसे पीड़ितों को देने से उन्हें राहत मिलती है.
जैसा कि हम जानते हैं कि नींद भी चिंता का कारण बन सकता है. तो आपको जानकर हैरानी होगी कि कासनी नींद न आने, चिंता या तनाव से निपटने में भी हमारी मदद करता है. इसके लिए आपको कासनी के पत्तों से तैयार पेस्ट को माथे पर लगाने से सरदर्द में राहत मिलती है.
2. दिल को मजबूत बनाता है
कासनी के जड़ में पाया जाने वाला इनुलिन हमारे शरीर से खराब कोलेस्ट्राल को दूर करता है. आपको बता दें कि एलडीएल नाम का कोलेस्ट्राल खराब कोलेस्ट्राल होता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके स्तर में वृद्धि से दिल के दौरे या स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है. कासनी के भुने हुए बीज के 3-5 ग्राम पाउडर को दूध के साथ नियमित रूप से लेने से काफी फायदा मिलता है.
3. लीवर का भी रखे खयाल
हमारे शरीर में लीवर या गुर्दे का काम डिटॉक्सिफाइयिंग चैनल के रूप में है. ऐसे में लीवर की सफाई भी तो जरुरी है न. तो प्राचीन का में कासनी या चिकोरी का उपयोग लीवर को साफ़ करने के लिए किया जाता है. हलांकि कई शोधों में ये भी देखा गया है कि इससे ऑक्सीडेटीव तनाव या लीवर का चोट भी रुकता है.
4. पाचन में मददगार
कासनी में पाचन में मदद करने वाले बैक्टीरिया के अनुकूल या सहजीवी बैक्टीरिया पाए जाते हैं जिससे ये पाचन में लाभकारी साबित होता है. यही नहीं इसमें पाए जाने वाले बैक्टीरिया हमारे प्रतिरक्षा में भी मदद करते हैं. इसमें इनुलिन नाम का एक शक्तिशाली घुलनशील एवं प्रोबायोटिक फाइबर भी पाया जाता है. आपको बता दें कि इनुलिन कई पौधों में पाया जाता है लेकिन कासनी में इनुलिन की मात्रा उच्चतम होती है. इनुलिन में शरीर के अम्लता को कम करने की भी शक्ति होती है. कई शोधों में ये भी पाया गया है कि कसनी पित्त के प्रवाह को बढ़कर वसा को तोड़ने में मदद करती है जिससे कि पाचन आसानी से हो जाता है.
5. गठिया में लाभकारी
कासनी का जड़, जोड़ों के दर्द के उपचार में काफी उपयोगी साबित होता है. इसे लेकर भी कई शोध हुए हैं और इन शोधों में कहा गया है कि इसमें सुजन को कम करने की क्षमता होती है. यही कारण है कि कासनी पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस से निपटने में भी हमारी मदद करती है. गठिया के अलावा ये सामान्य दर्द और मांसपेशियों में होने वाले दर्द के उपचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
6. कैंसर भी रोक सकता है
अपने एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण कासनी एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कई हानिकारक बैक्टीरिया को ख़त्म करता है. यही नहीं कासनी में पॉलिफेनाल नाम का यौगिक एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करता है. यही वो यौगिक है जो कैंसर, खासतौर से स्तन और कोलेरेक्टल कैंसर को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके जड़ के अर्क में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल गुण भी पाए जाते हैं जो जीवाणुरोधी होते हैं.
7. वजन कम करता है
जैसा कि हम पहले ही देख चुके हैं कि कसनी में घुलनशील फाइबर इनुलिन और ओलिगा फ्रुक्टोज पाया जाता है. इनुलिन की खासियत ये है कि ये बिना रक्त शर्करा या कैलोरी का स्तर बढ़ाए ही आपका पेट भरा हुआ महसूस कराता है. इसके साथ ही फ्रुक्टो-ऑलिगोसेकेराइड आंत के लाभकारी जीवाणुओं के विकास में योफ्दान देता है. इसके परिणामस्वरूप आंत में सूक्ष्मजीवों में संतुलन स्थापित होता है. इस प्रकार से ये पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करके हमारे वजन को कम करने में उपयोगी है.
8. कब्ज को भी करे ख़त्म
कासनी के जड़ में बीटा-कैरोटिन, कॉलिन, विटामिन सी, विटामिन के प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इसके साथ ही इसमें घुलनशील फाइबर इनुलिन भी पाया जाता है. ये सभी विटामिन और तत्व मिलकर आंत के विकारों को ख़त्म करने का काम करते हैं. इसलिए इसे कब्ज के उपचार में काफी महत्व दिया जाता है.
कासनी के नुकसान
1. ड्राइवर्स के लिए: कासनी का जड़ का प्रयोग अधिक दिन तक करने से शामक कारवाई होती है. इसलिए वाहनचालक और मशीनों पर काम करने वाले लोगों को इसके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए.
2. एलर्जी का डर: इसके साथ ही चिकोरी का जड़ के जड़ से कुछ लोगों को एलर्जी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए इसके इस्तेमाल में इस बात का ध्यान रखें.
3. गर्भवती महिलाओं के लिए: गर्भवती महिलायें या स्तनपान कराने वाली महिलाएं इसके उपयोग में सावधानी बरतें.
4. दमा या खांसी में: दमा या खांसी में इसका सेवन नुकसान पहुंचा सकता है. इस दौरान इसके इस्तेमाल में सचेत रहें.