Lybrate Logo
Get the App
For Doctors
Login/Sign-up
Last Updated: Feb 16, 2023
BookMark
Report

च्यवनप्राश के फायदे, नुकसान, बनाने की विधि, खाने का समय और तरीका

Profile Image
Dr. Devendra K ShahAyurvedic Doctor • 29 Years Exp.MD - Ayurveda
Topic Image

च्यवनप्राश को लेकर हम सभी की कुछ ना कुछ यादें हैं। हम सभी के बचपन में सर्दियां आते ही मां चम्मच लेकर हमारे पीछे होती थीँ। उस समय इसके पोषक तत्व पता नही होता था। आज कोरोना महामारी ने बच्चे से लेकर बड़ों तक इसके गुण घर-घर पहुंचा दिए है। हम सभी जानते हैं कि च्यवनप्राश पोषक तत्वों से भरपूर है और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने वाले सर्वोत्तम स्रोतों में से एक है।

प्राचीन काल से ही च्यवनप्राश जड़ी-बूटियों और मसालों का एक का एक ऐसा आयुर्वेदिक सूत्र है जो शरीर को सभी जीवाणु और वायरल संक्रमणों से बचाने में मदद करता है।च्यवन प्राश का नाम भी  हमारे महर्षि 'च्यवन' के नाम पर है जिनके लिए इस आयुर्वेदिक सूत्र का आविष्कार उनकी युवावस्था और जीवन शक्ति को बहाल करने के लिए किया गया था।

च्यवनप्रशा शब्द में 'प्राश' का अर्थ है 'विशेष रूप से तैयार भोजन'। सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए यह उपयुक्त होता है। इस औषधि का रसायन मुक्त वर्जन की घर में ही बनाया जा सकता है। इस लेख में च्यवनप्राश बनाने की विधि, उसे खाने का तरीका, उसके फायदे और साइडइफेक्ट पर विमर्श करेंगे।

च्यवनप्रशा बनाने की विधि

  • सबसे पहले 1.5 कप आंवले को ठंडे बहते पानी में धो लें और फिर प्रेशर कुकर में 1 सीटी आने तक पकाएं. उन्हें ठंडा होने दें और फिर उन्हें धीरे से डी-सीड करें।
  • अब 6 हरी इलायची, 1.5 टेबल स्पून पेपरकॉर्न, 1 मीडियम दालचीनी स्टिक, 1 टेबल स्पून जीरा, 2 टेबल स्पून सौंफ लें और इन्हें बारीक पीस लें।
  • एक नॉन स्टिक पैन लें और गरम होने के बाद उसमें घी डालें।
  • बीज निकाले हुए आंवले डालें और पैन के किनारे तेल छोड़ने तक भूनें।
  • फिर, मसाले का पाउडर डालें और इसे तब तक पकने दें जब तक कि मिश्रण थोड़ा चिपचिपा न हो जाए और कड़ाही के किनारों से अलग न हो जाए।
  • इसके बाद इसमें 1.5 कप गुड़ और 1 कप शहद डालकर मध्यम आंच पर 5-8 मिनट तक पकाएं।
  • इसे ठंडा होने दें और आपका रसायन मुक्त च्यवनप्राश ठंड से लड़ने के लिए तैयार है। इसे एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लीजिये.

च्यवनप्राश का उपयोग कैसे करें

  • च्यवनप्राश दिन में 2-4 चम्मच लिया जा सकता है।
  • इसे दूध या शहद के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।
  • इसे दिन में एक या दो बार खाना खाने से पहले लें।.
  • च्यवनप्राश आप दिन में कभी भी ले सकते हैं। हालाँकि, च्यवनप्राश को नाश्ते से पहले खाकर अधिकतम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।
  • च्यवनप्राश को खाली पेट खाने से शरीर को खनिजों और जड़ी-बूटियों को अवशोषित करने में मदद मिलती है।
  • सुबह नाश्ते से पहले च्यवनप्राश खाने से आप पूरे दिन ऊर्जावान बने रहेंगे।
  • आप अपनी कसरत से पहले च्यवनप्राश भी खा सकते हैं क्योंकि यह सहनशक्ति बनाने में मदद करता है।
  • रात के समय च्यवनप्राश खाने से बचना चाहिए।

च्यवनप्राश के लाभ

खांसी

अगर रोजाना लिया जाय तो च्यवनप्राश सर्दी-जुकाम से जुड़ी खांसी को नियंत्रित करने के लिए रामबाण उपाय है।  खांसी एक आम बीमारी है जो आमतौर पर सर्दी के साथ होती है। इसे आमतौर पर आयुर्वेद में कफ विकार के रूप में जाना जाता है। खांसी आमतौर पर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में बलगम के जमा होने के कारण होती है। च्यवनप्राश को शहद के साथ लेने से कफ को संतुलित करने और फेफड़ों को फिर से जीवंत करने में मदद मिलती है। यह इसके रसायन (कायाकल्प) गुण के कारण है।

दमा

च्यवनप्राश अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस फूलने की स्थिति में राहत देता है। आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा में शामिल मुख्य दोष वात और कफ हैं। दूषित 'वात' फेफड़ों में विक्षिप्त 'कफ दोष' के साथ मिलकर सांस लेने के तंत्र में रुकावट पैदा करता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। च्यवनप्राश लेने से कफ को संतुलित करने और फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को निकालने में मदद मिलती है। इससे अस्थमा के लक्षणों से राहत मिलती है।

बार-बार संक्रमण होना

च्यवनप्राश मौसम में बदलाव के कारण बार-बार होने वाले संक्रमण जैसे खांसी और जुकाम, एलर्जिक राइनाइटिस को नियंत्रित करने में मदद करता है। च्यवनपाश ऐसी स्थितियों के लिए सबसे अच्छे आयुर्वेदिक उपचारों में से एक है। च्यवनप्राश का नियमित उपयोग बार-बार होने वाले संक्रमणों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

कुपोषण

आयुर्वेद में कुपोषण को कर्श्य रोग से जोड़ा जा सकता है। यह पोषक तत्वों की कमी और खराब पाचन के कारण होता है। च्यवनप्राश के नियमित सेवन से कुपोषण से लड़ने में मदद मिलती है। ऐसा इसके बल्य (शक्ति प्रदाता) गुण के कारण होता है। च्यवनप्राश तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर की कैलोरी की आवश्यकता को पूरा करता है।

याददाश्त कमजोर होना

च्यवनप्राश का नियमित सेवन याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार, याददाश्त कमजोर होना कफ की निष्क्रियता या वात दोष के बढ़ने के कारण होता है। च्यवनप्राश लेने से वात को संतुलित करने में मदद मिलती है और याददाश्त में सुधार होता है।

अनिद्रा और अवसाद को प्रबंधित करने में मदद करता है

च्यवनप्राश केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को शांत करने और शरीर को आराम देने में मदद करता है। इसलिए, च्यवनप्राश का दैनिक उपयोग अनिद्रा और अवसाद को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

बालों का दोस्त

माना जाता है कि च्यवनप्राश बालों का गिरना कम करता है और बालों के विकास को बढ़ावा देता है। च्यवनप्राश में मौजूद फ्लेवोनोइड्स जैसे फाइटोकेमिकल्स यौगिक क्षतिग्रस्त बालों के रोम की मरम्मत करते हैं जो बालों के झड़ने को कम करने में मदद करते हैं।  आंवले का अर्क बालों का गिरना कम करने में मदद करता है और बालों को चमकदार भी बनाता है।

त्वचा के लिए च्यवनप्राश के फायदे

च्यवनप्राश के स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ त्वचा के लिए भी कई फायदे हैं। त्वचा में निखार लाता है। च्यवनप्राश में आंवला एक एंटी-यूवी एजेंट है जो त्वचा को हाइपरपिग्मेंटेशन और डार्क स्पॉट्स से बचाता है। यह त्वचा में मेलेनिन को भी कम करता है और त्वचा को हल्का करने वाले तत्व के रूप में काम करता है। विटामिन ए, सी, ई और जिंक जैसे अन्य पोषक तत्व भी स्वस्थ और चमकती त्वचा के साथ मदद करते हैं।

दुष्प्रभाव

  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को च्यवनप्राश लेने से बचना चाहिए या इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और डाक्टर से अनुमति लेने से पहले च्यवनप्राश नहीं लेना चाहिए।
  • च्यवनप्राश रेसिपी हाइपोएलर्जेनिक होने के कारण, किसी किसी को जड़ी-बूटी से एलर्जी हो सकती है (हालांकि ऐसा दुर्लभ मामलों में ही होता है।)। ऐसे मामले में, पहले चिकित्सक या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना और यह सुनिश्चित करना बुद्धिमानी हो सकती है कि किसी को च्यवनप्राश बनाने में उपयोग की जाने वाली प्राकृतिक सामग्री के प्रति ऐसी कोई एलर्जी न हो।
In case you have a concern or query you can always consult a specialist & get answers to your questions!