कोलाइटिस इन हिंदी - Colitis In Hindi!
हमारे पेट में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं, कोलाइटिस उन्हीं बीमारियों में से एक है. आपको बता दें कि इस बीमारी में बड़ी आंत के अंदर सूजन आ जाती है. कोलाइटिस होने पर रोगी के पेट में क्रैंप, डायरिया, बुखार, वजन घटना और अनिद्रा जैसी बीमारी हो जाती है. इन लक्षणों के अनुभव होने से आपको कई बार समस्या का सामना करना पड़ता है. हालांकि, यह एक सामान्य बीमारी है लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह बाद में गंभीर बन सकती है. जाहीर है बॉडी में उत्पन्न किसी भी बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए. इस लेख के माध्यम से हम कोलाइटिस नामक बीमारी के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालेंगे ताकि इस विषय में लोगों को जागरूक किया जा सके.
कोलाइटिस के कारण-
कोलाइटिस को अल्सरेटिव कोलाइटिस के नाम से भी जाना जाता हैं. यह बिमारी आपके शरीर में जल्दी भी विकसित हो सकती है और इसमें कई साल भी लग सकते हैं. यह बीमारी ज्यादातर बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइट के कारण हो सकती है. यह एब्टामीवा नामक कीटाणु के संक्रमण से होती है. इस बीमारी में आपको केवल घर का बना साफ खाना ही खाना चाहिए. इस पर रोक लगाने के लिए धुली और अच्छी तरह से पकी हुई सब्जी का सेवन करना चाहिए. इस बीमारी में सैलेड और हाई फाइबर वेजटेबल खाने से परहेज करें. इसे खाने से इस बीमारी के होने के जोखिम में वृद्धि होने का खतरा होता है.
कोलाइटिस के लक्षण-
1. इस बीमारी की शुरुआत में बार बार दस्त होते है, रोगी को दिन में ज्यादा से ज्यादा 5 बार गंभीर दस्त हो सकते हैं.
2. इसमें पानी या ब्लड की दस्त आती है.
3. इसके अलावा बुखार के साथ रोगी को तेजी से गर्मी का एहसास होता है. बुखार 38.5 से अधिक डिग्री सेल्सियस हो सकता है.
4. इसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, पानी की कमी ज्यादातर बूढे और बच्चों में होता है.
5. इसके प्रमुख लक्षणों में निरंतर वजन में कमी, एनीमिया, पोषण संबंधी बीमारी, कमजोरी आदि शामिल हैं. इसके कारण मल में ब्लड आने की समस्या भी हो सकती है.
6. ठीक ना होने वाला रोग: - लगातर वजन में कमी, एनीमिया, पोषण संबंधी रोग, कमजोरी और पुरानी हेपेटाइटिस आदि रोग हमेशा बने रहना और कभी ठीक ना होना.
7. मल में रक्त आना: - जब यह रोग मलाशय तक ही सीमित रहता है तो उसमें रोग की तीव्रता अधिक है मल में रक्त जाने के साथ, मलाशय में दर्द, मलत्याग की अत्यावश्यकता तथा गुदा द्वार पर ऐठनयुक्त दर्द आदि लक्षण भी उत्पन्न होते हैं.
कोलाइटिस से बचाव-
कोलाइटिस एक संक्रमणकारी बीमारी है, इससे बचने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. इसके साथ ही पीड़ित व्यक्ति को कई सावधानियाँ बरतनी चाहिए जिससे कि किसी अन्य व्यक्ति में इसका फैलाव न हो सके. अगर कोलाइटिस का निदान पहले हो चुका है तो चिकित्सक से सलाह लेकर इसका उपचार कर सकते हैं. इसमें डायरिया की शिकायत होती है, इसलिए खूब सारा पानी पीने की सलाह भी दी जाती है, घर का बना खाना ही खायें, बाहर के खाने से बचें. समस्या गंभीर होने पर सर्जरी की भी आवश्यकता होती है. खानपान में अनियमितता के कारण यह समस्या होती है, इसलिए हेल्दी आहार के साथ साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.