डी एन ए की संरचना - DNA Ki Sanrachna!
डीएनए को डीऑक्सीरिबोन्यूक्लिक एसिड भी कहा जाता है. यह एक मॉलिक्यूल है जो एक जीवित कोशिकाओं के क्रोमोजोम में पाए जाते है. डीएनए मॉलिक्यूल की रचना एक घुमावदार सीढियों के अनुरूप होती है. डीएनए में जेनेटिक गुण होते है जो एक जीवित प्राणी के विकास, प्रजनन वृद्धि और कार्य के लिए निर्देश होते है. यह आपके वंसज को बढाता है. यह निर्देश हर कोशिकाओ के अंदर पाए जाते हैं और माता पिता से उनके बच्चो में चले आते हैं. डीएनए की एक मॉलिक्यूल चार अलग-अलग तत्वों से बना है जो न्यूक्लियोटाइड का एक डबल स्ट्रैंन्डस पॉलीमर होता है. हर न्यूक्लियोटाइड एक नाइट्रोजन युक्त वस्तु है. यह चार न्यूक्लियोटाइडोन को एडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसिन कहा जाता है. इन न्यूक्लियोटाइडोन से युक्त डिऑक्सीराइबोस नाम का एक शक्कर भी पाया जाता है. इन न्यूक्लियोटाइडोन को एक फॉस्फेट की अणु जोड़ती है. न्यूक्लियोटाइडोन के सम्बन्ध के अनुसार एक कोशिका के लिए अवश्य प्रोटीनों की निर्माण होता है. अतः डीएनए हर एक जीवित कोशिका के लिए अनिवार्य है.
डीएनए संरचना-
डीएनए न्यूक्लियोटाइड नामक अणुओं से बना है. प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड एक फॉस्फेट ग्रुप, एक शुगर ग्रुप और एक नाइट्रोजन बेस से बने होते हैं.
चार प्रकार के नाइट्रोज बेस इस प्रकार से हैं-
- एडेनीन (ए)
- थिइमाइन (टी)
- गैनिन (जी)
- साइटोसिन (सी)
सी और टी बसेस जिनका एक रिंग होता है उसे पाइरिमिडीन बोलते हैं. वही ए और जी के दो रिंग होते हैं जिसे प्युरिंस बोलते हैं. डीएनए के न्यूक्लियोटाइड एक चेन की तरह संरचना बनाते है जो कोवैलेंट बॉन्ड से जुड़ा होता हैं, ये जुडाव एक न्यूक्लियोटाइड के डिऑक्सिराइबो शुगर और दुसरे न्यूक्लियोटाइड के फॉस्फेट ग्रुप के बिच होता है यह संरचना एक के बाद दूसरा कर के डिऑक्सिराइबो शुगर और फॉस्फेट ग्रुप का एक चेन बनाते हैं. इस संरचना को शुगर – फॉस्फेट बैकबोन कहते हैं. वाटसन और क्रिक ने एक डीएनए का मॉडल प्रस्तुत किया जिसे हम डबल हेलिक्स कहते हैं क्यों की इसमें दो लम्बे स्टैंड्स एक घूमी हुए सीढ़ी की तरह की तरह दीखते हैं.
- एडिनिन (ए) दो हाइड्रोजन बॉन्ड के माध्यम से थिमीन (टी) के साथ जुड़े होते हैं
- ग्वाइनिन (जी) तीन हाइड्रोजन बॉन्ड के माध्यम से साइटोसिन (सी) के साथ जुड़े होते हैं
क्या है डीएनए ?
आज के समय में शायद ही ऐसा कोई पढ़ा लिखा इंसान हो जिसने डीएनए के बारे में ना सुना हो, हमारे जीवन के सारे रहस्यों अथवा जटिलता इस डीएनए के अंदर निहित है. डीऑक्सीराइबोज़ शुगर¸; गुआनिन¸ साइटोसिन, फॉस्फेट तथा एडेनिन¸ एवं थाइमिन जैसे प्युरिन एवं पायरीमिडीन प्रकार के नाइट्रोजन बेसेज़ से निर्मित डीएनए के अणुओं की संरचना दोहरे कुंडलिनी अथार्त् रस्सी से बने घुमावदार सीढ़ी जैसी होती है. यहां एकांतरित रूप से व्यस्थित डीऑक्सीराइबोज़ तथा फॉस्फेट के अणु इस सीढ़ी की रस्सी का काम करते हैं.
डीएनए के विभिन्न संरचनात्मक पहलू-
समांतर ढंग से व्यस्थित ऐसी दोनों रस्सियों के प्रत्येक डीऑक्सीराइबोज़ के एक अणु जुड़ा होता है. ये अणु रस्सी से अन्दर की ओर उन्मुख होते हैं. इसमें इस तरह की व्यवस्था मौजूद होती है कि एक रस्सी से जुड़े एडेनिन हमेशा दूसरी रस्सी से जुड़े थाइमिन के सामने होते हैं. इसके साथ ही गुआनिन¸ दूसरी रस्सी से जुड़े साइटोसिन के सामने होते हैं. जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डीएनए कहते हैं. इसमें अनुवांशिक कूट निबद्ध रहता है. जहां तक बात है डीएनए अणु के संरचना की तो ये एक घुमावदार सीढ़ी की तरह दिखती है.
डीएनए और क्रोमोसोम-
डीएनए आमतौर पर क्रोमोसोम के रूप में होता है. एक कोशिका में गुणसूत्रों के सेट अपने जीनोम का निर्माण करता है; मानव जीनोम 46 गुणसूत्रों की व्यवस्था में डीएनए के लगभग 3 अरब आधार जोड़े है. जीन में आनुवंशिक जानकारी के प्रसारण की पूरक आधार बाँधना के माध्यम से हासिल की है. उदाहरण के लिए, एक कोशिका एक जीन में जानकारी का उपयोग करता है जब प्रतिलेखन में, डीएनए अनुक्रम डीएनए और सही आरएनए न्यूक्लियोटाइडों के बीच आकर्षण के माध्यम से एक पूरक शाही सेना अनुक्रम में नकल है. आमतौर पर, यह आरएनए की नकल तो शाही सेना न्यूक्लियोटाइडों के बीच एक ही बातचीत पर निर्भर करता है जो अनुवाद नामक प्रक्रिया में एक मिलान प्रोटीन अनुक्रम बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है. वैकल्पिक भानुमति में एक कोशिका बस एक प्रक्रिया बुलाया डीएनए प्रतिकृति में अपने आनुवंशिक जानकारी कॉपी कर सकते हैं.
इन डंडों के बीच की दूरी 0.34 नैनो मीटर एवं डीआक्सीराइबोज़ तथा फॉस्फेट से बनी दोनों रस्सियों के बीच की दूरी 2 नैनो मीटर होती है. इन रस्सियों का घुमाव प्रत्येक 34 नैनो मीटर के बाद आता है अथार्त् किन्ही भी दो घुमाओं के बीच एडेनिन–थाइमिन अथवा साइटोसिन–गुआनिन के योग से बने दस डंडे होते हैं. डीएनए के अणु कितने सूक्ष्म होते हैं¸ इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि मीटर का अरबवां हिस्सा एक नैनो मीटर कहलाता है.
हां¸ बस डीएनए के अणु की लंबाई निश्चित नहीं होती अथार्त् नाइट्रोजन बेस के योग से बनी सीढ़ियों की कुल संख्या डीएनए के अलग–अलग अणुओं में अलग–अलग हो सकती है. साथ ही इनकी व्यवस्था भी डीएनए के अलग–अलग अणुओं में ही नहीं बल्कि एक अणु के विभिन्न हिस्सों में भी अलग–अलग ढंग से हो सकती है.कितने एडेनिन–थाइमिन से बने डंडों के बाद साइटोसिन–गुआनिन के योग से बने कितने डंडे व्यवस्थित होंगे – यह डीएनए के अलग–अलग अणुओं की ही नहीं¸ अपितु इसके किसी एक अणु के विभिन्न हिस्सों की भी अपनी विशिष्टता होती है. यह विशिष्टता डीएनए के अणु के एक हिस्से को दूसरे हिस्से से संरचनात्मक रूप से ही नहीं¸ बल्कि कार्य–रूप में भी अलग करती है.
क्या छुपा है डीएनए के एक अणु में?
डीएनए के अणु का एक हिस्सा इन नाइट्रोजन बेसेज़ की विशिष्ट व्यवस्था के रूप में कूट भाषा में वह रहस्य छिपाए रहता है¸ जिसके बल किसी एक प्रोटीन–विशेष के अणुओं का निर्माण किया जा सकता है तो किसी दूसरे हिस्से से किसी अन्य प्रोटीन–विशेष के अणुओं का. डीएनए के जिस हिस्से से एक प्रकार के प्रोटीन का निर्माण संभव है¸ उसे जीन–विशेष की संज्ञा दी जा सकती है तो दूसरे भाग को¸ जिससे किसी अन्य प्रकार के प्रोटीन के अणुओं का निर्माण संभव है – दूसरे जीन–विशेष की संज्ञा दी जा सकती है. किसी कोशिका में इतने जीन्स अवश्य होते हैं जिनके द्वारा कोशिका की संरचना के साथ–साथ जीवन पर्यंत चलने वाली विभिन्न जैव–रासायनिक प्रतिक्रियाओं के संचालन में प्रयुक्त होने वाले नाना प्रकार के प्रोटीन्स के अणुओं का निर्माण किया जा सके.