फेफड़े की बीमारियों - Fefde Ki Bimariyan!
फेफड़ा हमारे सरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग होता है इसके बिना जीवन संभव नही है. जीवित रहने के लिए सांस लेना बहुत हो जरूरी होता है और सांस लेने के लिए हमारे फेफड़ों का स्वस्थ होना बहुत ही जरूरी है.लेकिन दोस्तों दूषित वातावरण के साथ साथ दूषित खाना भी हमारे फेफड़ों का दुश्मन बना हुआ है. जब भी हमारे फेफड़ों को किसी प्रकार का रोग हो जाता है, तो उसकी हमें भारी कीमत चुकानी पडती है. फेफड़े हमारी छाती में स्पंज की तरह शंकु के आकार की जोड़ी होती है.यह असंख्य वायुकोषों में बंटी हुई होती है. यह हमारी श्वास प्रणाली का बहुत ही अहम हिस्सा है. हमारे बाएं फेफड़े का आकार छोटा होता है, क्योंकि हमारा ह्रदय बाएं ओर होता है, बाएं फेफड़े में दो लोब्स होते हैं जबकि दाएं फेफड़े में तीन लोब्स होते हैं. हमारे फेफड़े पतले आवरण के साथ ढके हुए होते हैं. जिसे हम या प्लुरा कहते हैं जो हमारे फेफड़ों की सांस लेने और सांस छोड़ने में मदद करता है.
फेफड़े का कार्य-
फेफड़ों का कार्य हमारे रक्त का शुद्धिकरण करना होता है. फेफड़े में एक पल्मोनरी शिरा ह्रदय से अशुद्ध रक्त को लेकर आती है.फेफड़ों के द्वारा इस रक्त का शुद्धिकरण होता है. हमारे रक्त में ऑक्सीजन का मिश्रण होता है. फेफड़ों का कार्य सांस और रक्त के बीच गैसों का आदान-प्रदान करना होता है. फेफड़ों के द्वारा वातावरण से ऑक्सीजन लेकर रक्त परिसंचरण में प्रवाहित होती है, और रक्त से कार्बनडाई ऑक्साइड निकालकर वातावरण में छोड़ी जाती है. श्वास नली दो भागों में विभाजित होकर दाएं फेफड़े में प्रवेश करती है. प्रत्येक फेफड़ों के अंदर ब्रांक्स ट्यूबो में माध्यमिक ब्रांकाई में विभाजित हो जाता है और यह आगे विभाजित होकर ब्रांकिओल्स बनाते हैं. इसके अंत में एयरबैग होता है जिसे अल्वेओली कहते हैं. यह अल्वेओली हमारे रक्त कोशिकाएं से गुजर कर ऑक्सीजन का आदान प्रदान करती है.
फेफड़े में सूजन का आना-
हमारे धूम्रपान का असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है जिसके कारण हमारे फेफड़ों में सूजन आना शुरू हो जाती है, इसके अलावा जब हम दूषित वातावरण में रहते हैं या फिर बाहर के दूषित खाने का सेवन करते हैं, तो इससे हमारे फेफड़ों में सूजन पैदा होने लगती है.
फेफड़े में पानी की परेशानी-
फेफड़े हमारे शरीर के वो अंग होते हैं जिसके कारण हम असानी से सांस लेते हैं और जीवित रह सकते हैं, लेकिन कई बार हमारे फेफड़ों में पानी भर जाता है और हमें बुखार का सामना करना पड़ता है और हमारी साँस रुक-रुक कर आती है.
कैंसर की समस्या-
फेफड़ों का काम होता है हवा से ऑक्सीजन को अलग करके रक्त में पहुंचना. हमारे शरीर से कार्बन डाई- ऑक्साइड पैदा होती है, जो फेफड़ों के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाती है. लेकिन कई बार हमारे फेफड़ों में संक्रमण होने लगता है जिसके कारण हमारे फेफड़े सही से काम नहीं करते. जब यह समस्या बढ़ने लगती है, तो यह कैंसर का रूप धारण कर लेती है.
टीबी की परेशानी-
दोस्तों टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस होता है.यह एक ऐसा रोग होता है जिसे अगर शुरू में ही न रोका जाये तो यह जानलेवा साबित हो सकता है और यह व्यक्ति को धीरे -धीरे मारता है.ऐसे में जब भी व्यक्ति को तीन सप्ताह से अधिक खांसी हो, तो उसे तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
दमा भी है फेफड़े की बीमारी-
दोस्तों जब भी व्यक्ति की सूक्ष्म नलियों में किसी प्रकार का कोई रोग पैदा हो जाते हैं, तो अक्सर उसे साँस लेने में दिक्कत होने लगती है और हमें खांसी की शिकायत हो जाती है. जिसे हम दमा कहते हैं. दमा की बीमारी में हमें साँस अंदर लेने और फिर बाहर छोड़ने पर बहुत ही दिक्कत महसूस होता है. इसलिए फेफड़ों तक वायु की पूरी खुराक नहीं पहुंच पाती है. जिसके कारण रोगी को पूरी श्वास लिए बिना ही अपनी श्वास छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है.