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Last Updated: May 08, 2019
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गर्भधारण से बचने के उपाय - Garbhdharan Se Bachne Ke Upay!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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भारत में गर्भधारण से बचने के मध्य में महिलाओं को ही रखा जाता है. इसमें भी लोग यौन स्वास्थ या यौन समस्याओं पर बात करने में बहुत संकोच करते हैं. महिलाओं को कॉण्ट्रासेप्टिव के इस्तेमाल के बारे में पूरी तरह से शिक्षित नहीं किया जाता है जिस कारण कभी कभी वे चाहकर भी असक्षम महसूस करती हैं. प्रेगनेंसी को रोकने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले तरीकों या डिवाइस को बर्थ कंट्रोल, कॉण्ट्रासेप्टिव या फैमिली प्लानिंग कहा जाता है. प्राचीनकाल से कॉण्ट्रासेप्टिव का उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन इसके प्रभावी और सुरक्षित तरीके 20 वीं शताब्दी में उपलब्ध हो पाए हैं. 1952 में भारत, परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश बन चुका है. आइये इस लेख के माध्यम से हम गर्भधारण से बचने के उपायों पर एक नजर डालें ताकि इस विषय में लोगों की जानकारी बढ़ सके.

कॉण्ट्रासप्टिव पिल्स-
कॉण्ट्रासप्टिव पिल्स उन हार्मोन की तरह हैं जो प्रेगनेंसी को रोकने के लिए रोजाना ली जाती हैं. यदि आप इसे समय पर लेती हैं तो ये पिल्स सुरक्षित, किफायती और प्रभावी हैं. कॉण्ट्रासेप्शन रोकने के अलावा, इन पिल्स के कई स्वास्थ्य फायदे भी हैं. यह दो टाइप की होती हैं - जॉइंट ओरल कॉण्ट्रासेप्टिव पिल्स जिसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन हार्मोन मौजूद होते हैं और दिन में एक बार इनका इस्तेमाल किया जाता है. इसके दूसरे टाइप में केवल प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होता है और यह भी दिन में एक बार ही इस्तेमाल की जाती है. यह जॉइंट पिल्स की तुलना में अलग तरीके से कार्य करता है. इसको लेने से एस्ट्रोजन हार्मोन के इस्तेमाल से बचने का लाभ होता है, क्योंकि उसके कुछ दुष्प्रभाव होते हैं.

कॉण्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट-
कॉण्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट माचिस की तीली के बराबर छोटा और पतली रॉड जैसा होता है. यह आपके शरीर में हार्मोन रिलीज करता है जो आपको गर्भवती होने से बचाता है. एक नर्स या डॉक्टर आपके हाथ में भीतर प्रत्यारोपण डालेंगे और आप 4 साल तक गर्भधारण से बच जाएंगी. यह 99% से अधिक प्रभावी है. यदि आप पुनः गर्भवती होना चाहती हैं या आप अब प्रत्यारोपण नहीं करना चाहतीं, तो डॉक्टर की सहायता से इसे बाहर निकाला जा सकता है. अगर मासिक चक्र के पहले 5 दिनों के दौरान प्रत्यारोपण का इस्तेमाल करती हैं तो आप गर्भधारण से पूरी तरह सुरक्षित हो जाती हैं. यदि आपने मासिक चक्र के किसी अन्य समय प्रत्यारोपण कराया है, तो पहले सप्ताह के दौरान किसी अन्य जन्म नियंत्रक (जैसे कंडोम) का उपयोग करें. इस पहले सप्ताह के बाद, प्रत्यारोपण काम करना शुरू कर देता है.

पुरुष नसबंदी-
वासेक्टोमी को पुरुष नसबंदी भी कहा जाता है. यह एक सर्जरी है. इसके द्वारा स्थिर रूप से गर्भधारण नहीं होता है. इसलिए यह अत्यधिक प्रभावी है. यह प्रक्रिया बहुत जल्दी हो जाती है और आप उसी दिन घर भी जा सकते हैं. यह गर्भावस्था को रोकने में लगभग 100% प्रभावी है. पुरुष नसबंदी दो प्रकार की होती है. चीरा विधि और बिना चीरे वाली विधि. बिना चीरे वाली विधि से संक्रमण और अन्य जटिलताओं का जोखिम कम हो जाता है.

महिला नसबंदी-
महिला नसबंदी या ट्यूबल लाईगेशन को दोनों फैलोपियन ट्यूब को दो स्थानों से बांधना भी कहा जाता है एक सुरक्षित और प्रभावी सर्जरी है जो स्थायी रूप से गर्भधारण को रोकती है. यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो आपके फैलोपियन ट्यूबों को स्थायी रूप से बंद या अवरुद्ध करता है. इसमें दोनों फैलोपियन ट्यूब को बांध दिया जाता है, जिससे शुक्राणु अंडे तक नहीं पहुंच पाते और गर्भधारण नहीं होता है.

गर्भनिरोधक शॉट-
गर्भनिरोधक शॉट एक इंजेक्शन है जो आपको हर तीन महीने में नर्स या डॉक्टर लगाते हैं. यह एक सुरक्षित, सुविधाजनक और निजी जन्म नियंत्रण पद्धति है. जन्म नियंत्रण शॉट में प्रोजेस्टिन हार्मोन होता है. प्रोजेस्टिन ओवुलेशन को रोककर आपमें गर्भ धारण होने से रोकता है. जब ट्यूब में कोई अंडा ही नहीं होगा, तो गर्भधारण भी नहीं हो सकता. सही प्रकार से उपयोग करने पर गर्भनिरोधक शॉट की प्रभावशीलता 99% से अधिक है. लेकिन जब वास्तविक जीवन की बात आती है, तो यह शॉट लगभग 94% प्रभावी होता है, क्योंकि कभी-कभी लोग समय पर अपने शॉट्स को लेना भूल जाते हैं.

गर्भनिरोधक पैच-
गर्भनिरोधक पैच एक सुरक्षित, सरल और सस्ती जन्म नियंत्रक विधि है जो आप अपने पेट, ऊपरी बांह, कूल्हे या पीठ की त्वचा पर लगा सकती हैं. पैच में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन होते हैं, जो हमारे शरीर में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले हार्मोन के समान ही होते हैं. आप अपने शरीर के किसी हिस्से पर पैच लगाइये और हार्मोन स्वयं त्वचा द्वारा अवशोषित हो जायेंगे. पैच अंडाशय से अंडे को निकलने से रोकता है. कोई ओवुलेशन न होने का अर्थ है कि शुक्राणु से निषेचन नहीं होगा और इस प्रकार गर्भावस्था भी नहीं हो पाएगी.

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