गर्दन दर्द के लिए योग - Gardan Dard Ke Liye Yog!
काफी देर तक एक ही मुद्रा में बैठकर काम करने से गर्दन दर्द हो सकती है. आज के आर्थिक युग में हर कोई अधिक से अधिक धन कमाना चाहता है. इस अधिक कमाने के लिए ऑफिस में भी अधिक समय तक काम करना पड़ता है. फिर आज के डिजिटल युग में ऑफिस के अधिकांश कार्य कम्प्युटर पर हो रहे हैं. जिस कारण कम्प्युटर पर काफी देर तक एक ही मुद्रा में बैठकर काम करना पड़ता है. इस कारण से गर्दन दर्द की यह समस्या कम्प्युटर पर काम करने वालों में ज्यादा पायी जाती है. वैसे अन्य लोगों में भी यह समस्या किसी अन्य कारण से हो जाती है. रात को सही ढंग से नहीं सो पाने के कारण भी गर्दन दर्द की समस्या होती है. इस प्रकार की समस्या कभी भी हो जाती है. जब इस प्रकार से गर्दन दर्द की समस्या किसी को भी होती है उसे सिर घुमाने या गर्दन हिलाने में दर्द होती है, जिससे वह परेशान रहता है. अतः लोगों को इस समस्या से छुटकारा पाने का उपाय जान लेना बेहद जरूरी है. यहाँ हम गर्दन दर्द से छुटकारा पाने के लिए कुछ योग (व्यायाम) की चर्चा कर रहे हैं.
गर्दन दर्द के लिए योग-
1. बाल आसन या शिशु आसन: - फर्श पर घुटने के बल बैठकर पिंडलियों को जमीन पर इस तरह से रखें कि दोनों पंजे आपस में मिले हुये हों. एड़ियों के भार बैठकर अपने हाथों को दोनों ओर जमीन पर रख दें. एक लंबी गहरी साँस छोड़ें और कमर को झुकाते हुये अपने धड़ को अपने दोनों जंघाओं के बीच में लाएँ. अब धीरे-धीरे अपने सर को जमीन पर रखें. ख्याल रखें कि जितना आसानी से हो सके उतना ही प्रयास करना चाहिए, जबरन अधिक प्रयास नहीं करना चाहिए. अपनी हथेलियों को धड़ के दोनों तरफ जमीन पर रखें. इसी आसान में जितना देर संभव हो विश्राम करें. फिर धीरे से साँस लेते हुये अपने शरीर को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुये सीधा हो जाएँ. आकाश के ओर मुँह करके अपने हथेलियों को जंघा पर रखें. इस आसन से गर्दन व पीठ दर्द से आराम मिलने के अलावा मन में शांति मिलती है. इसके अलावा यह आसन कूल्हा, जांघ व पिंडली को शिशु के तरह लचीला बनाता है.
2. नटराज आसन: - अपनी पीठ को सीधा रखते हुये जमीन पर सीधा लेट जाएँ. धीरे से अपने दाहिने पैर को उठाकर बाएँ पैर के ऊपर ले जाएँ. बाएँ पैर को सीधा ही रखें और ध्यान रखें कि दाहिना पैर जमीन पर एक सीधा कोण बनाए. अपने दोनों हाथों को शरीर के दोनों तरफ फैला कर रखें. सिर को दाहिनी तरफ मोड़ लें. कुछ गहरा श्वांस लें व छोड़ें तथा इसी मुद्रा में तीस सेकंड तक रहें. फिर बाएँ पैर से इसी आसन की पुनरावृत्ति करें.
3. मत्स्यासन (फिश पोज): - किसी समतल जगह पर चादर बिछाकर लेट जाएँ. अपनी कुहनियों के सहारे सर तथा धड़ के भाग को जमीन पर रखें. अब इस स्थिति में पीठ का ऊपरी हिस्सा व गर्दन जमीन से ऊपर उठाएँ. हाथों को सीधा कर पेट पर रखें. अब इस स्थिति में जितना देर हो सके उतना देर तक रहें फिर वापस पूर्व के स्थिति में आ जाएँ.
4. विपरीत कर्णी आसन: - यह आसन करने के लिए पीठ के बल लेट जाएँ. अब अपने दोनों टाँगों को दीवार का सहारा देते हुये पैरों को छत के तरफ उठा दें. अपने दोनों बाहों को फैलाकर शरीर के दोनों तरफ जमीन पर इस तरह रख दें कि हथेली ऊपर की ओर खुला रहे. कुछ सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें और गहरा लंबा श्वांस लें और छोड़ें.
5. त्रिकोण आसन: - त्रिकोण आसन करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएँ. अब अपने दोनों पैरों को जितना हो सके उतना फैला लें. अपनी पीठ को सीधा रखें और दोनों बाहों को दोनों तरफ बगल में फैला लें. अब एक श्वांस भरें और धीरे-धीरे अपने दाहिने ओर झुक जाएँ. आपका दाहिना हाथ आपके दाहिने घुटने को स्पर्श करे व बायाँ हाथ सीधा ऊपर की ओर रहे. इस स्थिति में आप अपने बाएँ हाथ की तरफ देखते रहें. इस मुद्रा में अपनी क्षमता के अनुसार जितनी देर हो सके उतनी देर रहें. फिर बाएँ तरफ झुककर इसी प्रकार का मुद्रा बनाएँ जिसमें आपका बायाँ हाथा आपके बाएँ घुटने को स्पर्श करे व आपका दाहिना हाथ ऊपर की ओर रहे व आप अपने दाहिने हाथ की तरफ देखते रहें.
6. बीतिली आसन व मार्जरी आसन: - अपनी पिंडलियों को जमीन पर रखें और अपनी दोनों जांघ, धड़ व दोनों हाथों की सहायता से मेज का रूप धारण करें. अपने घुटना व कूल्हा को एक ही लाइन में रखें. कमर, कोहनी व कंधा को भी एक ही लाइन में रखें. इस स्थिति में आपका धड़ जमीन के सामानांतर होना चाहिए. अब इस मुद्रा में रहते हुये साँस भरें व अपने पेट को जमीन के तरफ खींचें. अब अपने सिर को ऊपर की तरफ उठाएँ. (इस स्थिति को बीतिली आसन या गौ मुद्रा या काऊ मुद्रा कहते हैं.) अब साँस को छोड़ें व अपने रीढ़ के हड्डी को कूबड़ के तरह गोल करते हुये अपने सिर को नीचे ले आयें और धीरे-धीरे अपनी ठुड्ढी को आगे अपने गर्दन से लगा लें. (इस स्थिति को मार्जरी आसन या बिल्ली मुद्रा या कैट मुद्रा कहते हैं.)
अब बारी-बारी से ऊपर दिये गए दोनों मुद्रा यानि गौ मुद्रा व बिल्ली मुद्रा को साँस लेते हुये व साँस छोड़ते हुये करें. इस आसन से मेरुदंड व पेट की हल्की सी मालिश भी हो जाती है व गर्दन के दर्द से छुटकारा भी हो जाता है.
7. शवासन: - सभी आसन करने के बाद अंत में इस शवासन को करना चाहिए. इस आसन को करने के लिए जमीन पर सीधा लेट जाएँ. हाथों को शरीर के दोनों तरफ हथेली आकाश के तरफ खोल कर रख दें. पैरों को थोड़ा खोल दें. शरीर को पूरा ढीला छोड़ दें. मांसपेशी तथा खुद को विश्राम देने के लिए इस स्थिति में कम-से-कम 5 मिनट तक रहें.
नोट:
कोई भी व्यायाम या योग करने का सही तरीका का जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए. किसी भी मुद्रा के लिए अपने शरीर या अंग को अपने सामर्थ्यानुसार ही मोड़ना चाहिए. जबरन कोई कठिन योग नहीं करना चाहिए बल्कि धीरे-धीरे अभ्यास करना चाहिए.