गे और लेस्बियन (समलैंगिकता) क्या है, लक्षण, कारण, इलाज और कानून
हमारे समाज में हमेशा से ही समलैंगिकता का मुद्दा काफी ढंके छिपे शब्दों में उठाया जाता रहा है। समलैंगिकता को लोग किसी बीमारी की तरह जानते औऱ समझते रहे हैं। हालांकि समय के साथ समाज में काफी हद तक समलैंगिकता को ना सिर्फ स्वीकार कर लिया गया है बल्कि कानूनी तौर पर भी इसे मान्यता मिल गई है। समलैंगिकता क्या है इसका आसान जवाब यही है कि जो लोग अपने ही लिंग वाले लोगों के प्रति आकर्षित होते है औऱ उन्ही के साथ संबंध स्थापित करना चाहते हैं उन्हें समलैंगिक की श्रेणी में रखा जाता है।
समलैंगिकता के पीछे क्या कारण है?
कोई समलैंगिक क्यों हो सकता है इसके पीछे कोई विशिष्ट कारण का पता नहीं लगाया जा सका है।। लेकिन शोध से पता चलता है कि किसी प्रकार का सेक्सुअल ओरिएंटेशन आंशिक रूप से जैविक कारकों के कारण होता है जो जन्म से पहले शुरू होते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों के बीच इस बारे में सटीक कारणों पर एकराय नहीं है कि एक व्यक्ति हेटरोसेक्सुअल, बायसेक्सुअल, या गे ओरिएंटेशन क्यों विकसित करता है। पर कई शोधों ने यौन आकर्षण के लिए आनुवंशिक, हार्मोनल, विकासात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों को कारण माना है।
किसी को किसी लिंग की तरफ अधिक आकर्षिण क्यों होता है इसके पीछे प्राकृतिक कारण होते हैं और किसी प्रकार की चिकित्सा, उपचार, या काउंसिलिंग किसी व्यक्ति के यौन आकर्षण को नहीं बदल सकते। आप किसी समलैंगिक व्यक्ति को असमलैंगिक नहीं बना सकते। जैसे किसी लड़के को बचपन से ही पारंपरिक रूप से लड़कियों के लिए बनाए गए खिलौनों, जैसे कि गुड़िया या मेकअप जैसी चीज़ें देने से वह समलैंगिक नहीं होगा।
कई बार समलैंगिक लोगों को इस बात का पता बहुत कम उम्र में ही लग जाता है कि वे किसके प्रति आकर्षित हैं। पर कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें जीवन के कई पड़ाव बाद समझ आता है कि वो समलैंगिक हैं औऱ अपने ही लिंग वाले लोगों के प्रति अधिक आकर्षित हैं। जानकार मानते हैं कि यौन आकर्षण एक पैमाने की तरह है जिसमें एक छोर पर पूरी तरह से समलैंगिक है और दूसरे पर पूरी तरह से असमलैंगिक है। पर कई लोग इन दोनों छोरों के कहीं बीच में होंगे।
गे और लेस्बियन
ऐसे युवक जो अपने ही लिंग की तरफ यानी युवकों की तरफ आकर्षित होते हैं औऱ उन्हीं के साथ यौन संबंध स्थापित करना चाहते हैं उन्हें अंग्रेज़ी में गो कहा जाता है। जब कि ऐसी युवतियां जो युवतियों के साथ ही प्रेम और सेक्स का रिश्ता रखने की अभिलाषी होती हैं उन्हें लेस्बियन के नाम से जाना जाता है।
कैसे जानें कि आप समलैंगिक हैं या नहीं:
- अगर आप को अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन पर संदेह है तो आप आकर्षक पुरुषों या महिलाओं को देखकर, या उनकी तस्वीरें, या यौन उन्मुख साहित्य पढ़कर यह पता लगा सकते हैं कि क्या वे आफके लिए यौन रूप से रोमांचक हैं।
- आप यौन स्थितियों में खुद की कल्पना कर सकते हैं और फिर उन पर अपनी प्रतिक्रिया जान सकते हैं।
- कई बार बात करने, चलने, कपड़े पहनने से ये अंदाज़ा लगा जा सकता है कि आप समलैंगिक हैं या नहीं।
- किसी औऱ के बारे में पता लगाने के लिए उन पुरुषों या महिलाओं के साथ की गई अपनी बातचीत की समीक्षा और विश्लेषण करने से ये पता लगाया जा सकता है कि क्या वे समलैंगिक हो सकते हैं या नहीं।
- उन लोगों के बारे में पढ़ना या जानना जिन्होंने खुलकर अपने समलैंगिक होने की बात को घरवालों और समाज के साथ साझा किया।इससे पता लगाया जा सकता है कि क्या आप अपने स्वयं के अनुभवों से उनमें कोई समानता पाते हैं।
अपने घरवालों और समाज को अपने समलैंगिक होने के बारे में कैसे बताएं
दबाव महसूस न करें
समाज में अपनी पहचान बताने से पहले खुद को तैयार करें।पर दबाव में ना आएँ। पर सबसे पहले अपने आप पर और आपके लिए जो महत्वपूर्ण है, उस पर ध्यान केंद्रित कीजिए। खुद को पूरा समय देकर ही कोई कदम उठाएं।
बिना मर्ज़ी स्वयं को लेबल न करें
हो सकता है कि आप खुद पर किसी विशेष 'लेबल'का लगना पसंद ना करें। कभी भी किसी भी चीज़ के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए मजबूर महसूस न करें। अपनी भावनाओं को समझें और उसी के मुताबिक काम करें।
- आपको अपने विश्वास और अपनी कामुकता के बीच चयन करने की आवश्यकता नहीं है।खुद पर विश्वास रखना और समलैंगिक होना दोनों बातें एक साथ हो सकती हैं।
- जब आप अपनी पहचान उजागर करने को तैयार हों तो सबसे पहले अपने सबसे करीबी को बताएं। ऐसा मत सोचें कि आपको सीधे सभी को बताना है।
- इस बात का भरोसा रखें कि आप स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में सुरक्षित रहेंगे।प्रत्येक स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और यहां तक कि कार्यस्थल का भी यह सुनिश्चित करने का कानूनी दायित्व है कि उसके प्रत्येक छात्र या कर्मचारी के साथ उचित व्यवहार किया जाए और उन्हें समान अवसर प्रदान किए जाएं।
- और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने समलैंगिक होने का खुलासा करने के बाद लोगों को थोड़ा समय दें जिससे वे आपको समझ सकें।
भारत में एलजीबीटीक्यू के लिए कानून क्या है
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने वर्ष 2018 में एलजीबीटीक्यू के लिए बने पुराने प्रावधानों में बदलाव के लिए आदेश पारित किया ।इसके बाद से आईपीसी की धारा 377 में बदलाव किए गए औऱ वर्तमान में उसका स्वरूप कुछ इस प्रकार है;
- 150 वर्षों धारा 377 में संशोधन किया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि एलजीबीटी समुदाय के लोगों को आईपीसी की धारा 377 के तहत किसी प्रकार की सजा नहीं दी जा सकती।
- सामाजिक प्रभाव: एलजीबीटीक्यू एक समाज में अन्य लिंग की तरह सामान्य रूप से गरिमा, सम्मान, स्वतंत्रता के साथ रह सकते हैं।
- शैक्षिक प्रभाव: वे उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा और नौकरी पाने के सामान्य रूप से हकदार हैं।
- व्यक्तिगत प्रभाव: वे अपनी मर्ज़ी से अपना साथी चुनने और शांतिपूर्ण वातावरण में रहने के लिए स्वतंत्र हैं।
- वैश्विक प्रभाव: वे राष्ट्र की सेवा करने और विकासशील देशों के लिए मददगार राष्ट्र के प्रति उनके योगदान में भी भाग ले सकते हैं।
- एलजीबीटीक्यू समुदाय प्रतिबंध मुक्त जीवन जी सकता है औऱ यह धारा उनके सपनों और वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ने, सीखने और लागू करने की उनकी क्षमता को प्रोत्साहित करती है।