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Last Updated: Oct 09, 2024
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गिल्टी का उपचार - Gilti Ka Upchar in Hindi | क्या हैं गिल्टी के लक्षण, इलाज और दवा?

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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गिल्टी एक तरह का ट्यूमर यानी कि गाँठ है. इसकी वजह से कई लोगों को परेशानी होती है. गिल्टी, हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे कि हमारे गर्दन, जांघ और शरीर के अन्य हिस्सों में उत्पन्न होता है. कई लोग इसे इग्नोर करते हैं लेकिन हम आपको बता दें कि ये एक बेहद गंभीर बिमारी है. यदि शुरुवाती दिनों में इसका इलाज नहीं किया गया तो इससे बिमारी कई घातक रोगों जैसे कि कैंसर या टीबी आदि के होने की संभावना प्रबल होती है. दरअसल शुरू में छोटे रूप में होने के कारण लोग इसे उपेक्षित करते हैं. लेकिन जब इसका रूप धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है तो ये काफी दर्द देने लगता है जिससे व्यक्ति की परेशानी बढ़ जाती है. आइए प्रस्तुत लेख के माध्यम से गिल्टी के उपचार के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करें.

क्या हैं गिल्टी के लक्षण - Gilti Ke Lakshan in Hindi

  • गिल्टी की परेशानी झेलने वाले लोगों के गले में दर्द की समस्या देखी जाती है
  • गिल्टी पीड़ितों को हल्की बुखार की भी परेशानी हो सकती है.
  • जब आपको गिल्टी होती है तो आपके गले में खसखसाहट भी रहती है.
  • गिल्टी के दौरान जब भी आप कुछ खाकर निगलते हैं तो आपको दर्द का अनुभव होता है.
  • कई बार इसके पीड़ितों को बोलने में भी कठिनाई का अनुभव होता है.

गिल्टी का उपचार - Gilti Ka Upchar in Hindi

  • मेथी गिल्टी को दूर करने में मेथी सकारात्मक भूमिका निभाता है. इसके लिए आपको मेथी के दाने या इसके पत्ते को पीसकर लेप बनाना होगा और इसका लेप बन जाने के बाद इसे गिल्टी वाले क्षेत्र में लगाकर कपड़े से बाँध दें. इसी प्रक्रिया को रोजाना गिल्टी के खत्म हो जाने तक दोहराएं.
  • नीम
    नीम की औषधीय उपयोगिता या अन्य उपयोगिता किसी से छुपी नहीं है. जाहिर है कई रोगों में नीम के पत्ते या नीम के तेल के सीधे-सीधे इस्तेमाल से आप राहत पा सकते हैं. गिल्टी के मरीजों को नीम के पात्तों को उबालकर इसका रस पीना चाहिए. इसके अलावा इसके पत्तों को पीसकर इसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर गिल्टी वाले स्थान पर लेप करने से भी राहत मिलती है. आप नीम के तेल से मालिश भी कर सकते हैं.
  • आकड़े का दूध
    आकड़े के पौधे का इस्तेमाल भी आप गिल्टी के उपचार में कर सकते हैं. इसके दूध में मिट्टी मिलाकर इसे गिल्टी प्रभावित क्षेत्रों में लागएं. ऐसा कुछ दिनों तक करते रहने से गिल्टी के मरीजों को आराम मिलता है.
  • गौमूत्र
    गौमूत्र के कई फायदों में से एक ये भी है कि आप इसकी सहायता से गिल्टी के प्रभाव को कम कर सकते हैं. यदि आप गौमूत्र में देवदारु को पीसकर और इसे हल्का गर्म करके इसका लेप गिल्टी पर लगाएं तो आपको इस दौरान होने वाले दर्द से रात मिलेगा.
  • चुना
    यदि आप गिल्टी से जल्द से जल्द निजात चाहते हैं तो आपको इसके लिए चुना की सहायता लेनी होगी. यदि आप रोजाना रात को सोने से पहले चुना और घी का लेप बनाकर इसे गिल्टी पर लगाएं तो आपको तुरंत लाभ मिलता है.
  • कचनार की छाल और गोरखमुंडी
    कचनार एक वृक्ष है जबकि गोरखमुंडी एक घास है. गिल्टी के उपचार में इसका इस्तेमाल करने के लिए कचनार के सुखी छाल को हल्का पीसकर इसे एक ग्लास पानी में डालकर 2-3 मिनट तक अच्छी तरह गर्म करें. इसके बाद इसमें एक चम्मच पीसी हुई गोरखमुंडी डालकर पुनः 2-3 मिनट तक उबालें. इसके ठंडा हो जाने पर नियमित रूप से दिन में दो बार लें. इससे गिल्टी में राहत मिलेगी.
  • बरगद का दूध
    बरगद के वृक्ष का हमारे यहाँ धार्मिक महत्त्व भी है. बरगद के दूध का इस्तेमाल आप गिल्टी के उपचार के लिए कर सकते हैं. दरअसल बरगद के पेड़ का दूध जब आप गिल्टी पर लगाते हैं तो आपको इससे काफी राहत मिलती है.
  • गरम कपड़े की सेकाई
    गिल्टी के सर्वाधिक आसान घरेलु उपायों में से एक ये है कि आप एक मोटा कपड़ा लेकर उसे हल्का गर्म करके गिल्टी प्रभावित क्षेत्रों की कम से कम 5 मिनट तक कुछ दिन तक सिकाई करें. इससे भी गिल्टी से छुटकारा मिलने की संभावना रहती है.
  • नेनुआ का पत्ता
    नेनुआ जिसे कई जगह तोरइ भी कहते हैं, का इस्तेमाल सब्जी के लिए किया जाता है लेकिन इसके पत्ते को आप गिल्टी के उपचार के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. नेनुआ के पत्ते के रस में गुड़ मिलाकर इसका लेप बनाएं और इसे गिल्टी पर लगाएं.
  • अरंडी का तेल
    अरंडी का तेल कई रोगों में औषधि के रूप में इस्तेमाल होता है. गिल्टी में बभी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए आपको सुबह-शाम नियमति रूप से गिल्टी वाले स्थान पर अरंडी के तेल से मालिश करनी होगी.
  • प्याज
    प्याज का उपयोग सब्जियों सलादों आदि में किया जाता रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी सहायता से गिल्टी को बभी दूर किया जा सकता है. इसके लिए प्याज को मिक्सी में पीसकर इसे हल्का भूरा होने तक भुनें. इसके बाद इसे गिल्टी प्रभावित क्षेत्रों में लगाकर इसे कपड़े से बाँध लें.
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