हड्डी टूटने पर उपचार - Haddi Tootne Par Upchar!
हड्डियों के टूटने को मेडिकल टर्म्स में बोन फ्रैक्चर कहा जाता है, यह एक चिकित्सकीय स्थिति होती है. जब बॉडी की किसी हड्डी या उसकी स्ट्रक्चर में क्रैक पड़ जाती है या वह टूट जाती है तो उसे बोने फ्रैक्चर कहते हैं. आमतौर पर बोन फ्रैक्चर, हड्डियों पर अत्यधिक प्रेशर या स्ट्रेस पड़ने पर होता है. कुछ अन्य मेडिकल परिस्थियां भी हैं जो हड्डियों को कमजोर बनाती हैं और उनके टूटने का कारण बनती हैं. उदाहरण के लिए ऑस्टियोपोरोसिस, कुछ प्रकार के कैंसर या ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा, पैथोलोजिकल फ्रैक्चर इत्यादि के कारण भी हड्डियों के टूटने का कारण बनती है. आइए इस लेख के जरिए हम टूटी हुई हड्डियों के उपचार के तरीकों पर एक नजर डालें.
हड्डी टूटने से उत्पन्न विकारों के विभिन्न प्रकार
सिंपल फ्रैक्चर: - जब बॉडी की कोई हड्डी दो टुकड़ों में टूट जाती है, तो इसे सिंपल फ्रैक्चर कहते हैं.
ओपन या कंपाउंड फ्रैक्चर - जब किसी प्रकार के फोर्स या स्ट्रेस के कारण हड्डी का कोई हिस्सा या टुकड़ा त्वचा के अंदर से बाहर निकल जाता है.
क्लोज्ड फ्रैक्चर: – जब हड्डी टूट जाए लेकिन ऊपरी की त्वचा में कोई परिवर्तन न हो, तो उसे क्लोज्ड फ्रैक्चर कहते हैं.
स्पायरल फ्रैक्चर: – जब किसी वस्तु या मशीन आदि के प्रभाव के कारण हड्डी में घुमाव आ जाता है, तो इसे स्पायरल फ्रैक्चर कहते हैं.
कम्प्रेशन फ्रैक्चर: – जब हड्डियां किसी दबाव या बल के प्रभाव में आकर क्रश हो जाएं. जैसे दुर्घटना में स्पाइनल में किसी कशेरूका को धक्का लगना.
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर: - यह आमतौर पर बच्चों में होता है. यह तब होता है, जब किसी प्रकार के प्रेशर के कारण हड्डी एक तरफ से ट्विस्ट है और उसके कारण से दूसरी तरफ से टूट जाती है.
कॉमिन्यूटेड फ्रैक्चर: – जब किसी प्रकार की एक्सीडेंट या इंजरी के कारण हड्डी तीन या उससे अधिक हिस्सों में टूट जाए
ट्रांस्वेर्स फ्रैक्चर: – जब टूट-फूट हड्डी के किसी बड़े हिस्से में होने की बजाए शरीर के छोटे-छोटे हिस्सों में होती है.
एवल्शन फ्रैक्चर: – जब किसी हड्डी के खींचे जाने से हड्डी से जुड़े टेंडन्स और लिगामेंट्स हड्डी से अलग हो जाएं या उनमें टूट-फूट हो जाए.
इंपेक्टेड फ्रैक्चर: – यह फ्रैक्चर तब होता है, जब बॉडी की कोई हड्डी अपने सिरों के दोनो तरफ से प्रेशर में आ जाती है.
स्ट्रेन फ्रैक्चर: – यह तब होता है, जब शरीर की किसी हड्डी का अधिकतम उपयोग किया जाता है या उससे बार-बार एक ही गति का काम किया जाता है.
हड्डी टूटने के लक्षण या संकेत-
हड्डी टूटने के लक्षण और संकेत रोगी की उम्र, हेल्थ, इंजरी की गंभीरता और किस हड्डी में चोट लगी है इत्यादि के अनुसार दिखाई देते हैं. अगर आपकी हड्डी टूटने पर है, तो आपको हड्डी या उसके आस-पास की जगह में बहुत ज्यादा दर्द और सूजन भी आ सकती है. जब हड्डी में फ्रैक्चर होती है, तो उस समय पॉपिंग या क्रेकिंग की आवाज सुनाई दे सकती है.
अगर हाथों या पैरों की किसी हड्डी टूटने पर हुआ है, तो वह हिस्सा मुड़ जाती है या विकृत रूप से नजर आती है.
साथ ही फ्रैक्चर वाली हड्डी की ऊपरी त्वचा नीली पड़ सकती है या अन्य परिस्थिति में ब्लड भी निकल सकता है.
अगर कंपाउड फ्रैक्चर है, तो हड्डी का कोई हिस्सा त्वचा से बाहर निकला हुआ दिखाई दे सकता है और वहां पर एक बड़ा घाव बन सकता है.
टूटी हुई हड्डी को हिलने में बहुत मुश्किल हो सकता है, अगर फ्रैक्चर अगर पैर की हड्डी में होता है है, तो चलने घुमने में बहुत परेशानी हो सकती है.
टूटी हुई हड्डियों के ट्रीटमेंट का उद्देश्य
आमतौर पर फ्रैक्चर के ट्रीटमेंट का इस उद्देश्य से किया जाता है कि ट्रीटमेंट के बाद बॉडी का चोटिल हिस्सा जितना हो सके उतने अच्छे तरीके से काम कर सके. प्राकृतिक ट्रीटमेंट प्रक्रिया शुरू करने के लिए, ब्रोकन बोन के सिरे आपस में मिलने जरूरी होते हैं, इसे फ्रैक्चर को कम करने के रूप में जाना जाता है. जब फ्रैक्चर को कम किया जाता है, उस दौरान डॉक्टर रोगी को सामान्य बेहोशी की स्थिति में रखते हैं.
स्थिरीकरण: – जोड़ने के लिए हड्डियों के सिरों को मिलाया जाता है और ठीक तरीके से जुड़ने तक उनको उसी दशा में रखा जाता है. जिसे निम्न की मदद से किया जाता है- प्लास्टर कास्ट या प्लास्टर के फंक्शनल ब्रेसिज़: – ये हड्डी को उसी दशा में बनाए रखते हैं, जब तक वह जुड़ नहीं जाती.
धातु की प्लेट व पेच: - वर्तमान प्रक्रियाएं कम से कम आक्रामक तकनीकों का उपयोग कर सकती हैं
इंट्रा-मेड्यूलरी कील: – आंतरिक धातु की छड़ी को लंबी हड्डियों के बीच में डाला जाता है और बच्चों में लचीले तारों का इस्तेमाल किया जाता है. आम तौर पर फ्रैक्चर हुई हड्डी व उसके आस-पास के क्षेत्र का 2 से 8 हफ्तों को लिए स्थिरीकरण कर दिया जाता है. स्थिरीकरण की अवधि इसपर निर्भर करती है कि कौन सी हड्डी टूटने पर हुआ है या फिर कुछ जटिलताओं पर जैसे खून की आपूर्ति में समस्या या संक्रमण.
हड्डी टूटने पर प्राथमिक चिकित्सा
कुछ घरेलु तकनीक है जो आप हॉस्पिटल पहुँचने के पहलें आप इस्तेमाल कर सकते है. यह तरीकें निम्नलिखित बताए गए हैं:
1. इंजरी वाली जगह पर आइस का इस्तेमाल से दर्द और सुजन से राहत मिल सकती हैं.
2. प्रभावित हिस्से को धीरे-धीरे साबुन और पानी के साथ धोनें से घाव के अंदर बैक्टीरिया से बचाव करने में मदद मिलती है.
3. इसके अलावा आप घाव को किसी पट्टी या साफ कपड़े से ढ़क कर रखें.
अगर फ्रैक्चर हाथों या पैरों में होती है, तो एक स्लिंग या स्पलिंट की सहायता से टूटी हुई हड्डी को हिलने से बचाया जा सकता है और स्थिर बना कर के रखा जा सकता है. स्पलिंट बनाने के लिए अखबार या कोई मैग्ज़ीन का इस्तेमाल कर सकते है. अगर संभावित रूप से लगता है कि ऊपरी पैर, स्पाइनल, पेल्विक या कूल्हे की हड्डी टूटने पर है, तो मेडिकल सहायता आने तक वहीं रहना चाहिए और हड्डियों को हिलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. इसे हिलाने का प्रयास करने से प्रभावित हिस्से को और ज्यादा नुकसान हो सकता है.