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Last Updated: Dec 05, 2019
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Hanuman Phal (Soursop) Benefits and Side Effects in Hindi - हनुमान फल के फायदे और नुकसान

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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हनुमान फल का वैज्ञानिक नाम एनोना मुरिकाटा है. इसे हनुमान फल के अलावा और भी कई नामों जैसे कि लक्ष्मण फल, ग्राविओला आदि नामों से भी जाना जाता है. ये मुख्य रूप से मैक्सिको, कैरिबियन और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है. इसका स्वाद स्ट्रॉबेरी और अनानास के मिश्रित स्वाद जैसा है. ये देखने में सीताफल या रामफल जैसा ही है. इसकी सहायता से कई खाद्य पदार्थ जैसे कि शक्कर, कैंडी, डेजर्ट आदि निर्मित किए जाते हैं. इसमें स्वाद के साथ-साथ पोषक तत्वों की भी प्रचुरता होती है. विटामिन सी, विटामिन बी और कई एंटीऑक्सीडेंट यौगिक से भरपूर हनुमानफल के रस का उपयोग शरीर पर लगाने के लिए किया जाता है. हनुमानफल के अन्य फायदे और नुकसान निम्लिखित हैं.

1. त्वचा के लिए 
हनुमानफल के बीज का पाउडर बनाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा में कसाव आता है. इससे आपको चेहरे की झुर्रियों, बढ़ती उम्र के निशान और दाग-धब्बों को कम करने में मदद मिलती है. यदि आप इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्रों में नियमित रूप से लगायें तो ना केवल आपकी त्वचा स्वस्थ होगी, बल्कि जीवाणुओं के संक्रमण से भी स्वयं को सुरक्षित रख सकेंगे.
2. गठिया में
जोड़ो के दर्द या सूजन के मरीज इसके उपयोग से राहत महसूस कर सकते हैं. गाउट या गठिया जैसी स्थितियों से, तो प्रभावित क्षेत्र पर हनुमान फल के काढ़े से मालिश करने से काफी आराम मिलता है. हनुमान फल में मौजूद सूजन कम करने वाले यौगिक प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से उपचार करते हुए, दर्द को शांत और जोड़ो के लचीलेपन में सुधार भी काफी करते हैं.
3. तनावमुक्त नींद के लिए नींद
हनुमान फल तनावमुक्त नींद के लिए भी प्रयोग किया जाता है. इससे बनी चाय का उपयोग सदियों से तनाव को मुक्त करने के लिए किया जाता रहा है. हनुमान फल में सुखदायक गुण भी हैं जो अत्यधिक तनाव और चिंता से छुटकारा दिलाने के लिए बहुत प्रभावी हैं. शरीर में तनाव वाले हार्मोन आपके प्राकृतिक चयापचय चक्र के साथ-साथ आपकी नींद को भी प्रभावित कर सकते हैं. अनिद्रा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी हनुमान फल से बनी चाय आपके लिए एक अच्छा विकल्प है.
4. जठरांत्र प्रणाली के लिए
हनुमान फल का रस जठरांत्र मार्ग की सफाई करने के अलावा विषाक्त पदार्थों को निकालने वाला और मूत्रवर्धक के रूप में काम करने वाला होता है. इसकी विरोधी परजीवी स्वाभाव के कारण यह एक लोकप्रिय उपचार बन गया हैं. इसकी पत्तियों से बनी चाय को पीकर आप अपने पेट को साफ कर सकते हैं. इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी, स्कर्वी और पेचिश के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में प्राचीन काल से ही इस्तेमाल होता रहा है.
5. सर्दी-खांसी में
सर्दी-खांसी जैसी आम बिमारियों के उपचार में भी हनुमान फल की मुख्य भूमिका होती है. सूजन को कम करने वाला इसका गुण हमारे वायुमार्ग की सफाई करके, रक्त-संकुलन (शरीर के किसी एक भाग में खुन का असाधारण जमाव) से राहत देने और जलन को शांत करने में भी मददगार होता है. हुनमान फल कफ और बलगम को समाप्त करने का बेहतरीन उपाय है. श्वसन संबंधी समस्याओं के उपचार में भी इसकी भूमिका होती है.
6. कैंसर में फायदेमंद
इसके कई महत्वपूर्ण लाभों में से एक है इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे एसीटोजिनिन, क्विनॉलोन और ऐल्कलॉइड आदि. दरअसल ये तत्व सीधे कैंसर की रोकथाम और ट्यूमर के आकार को कम करने के लिए आवश्यक होते हैं. कई शोधों में इसे कैंसर के वैकल्पिक उपचार के रूप में देखा गया है. इसमें पाया जाने वाला एसिटोजिनिन गैर-सामान्य कोशिकाओं के विकास के लिए रक्त के प्रवाह को काटकर स्तन, अग्नाशयी, प्रोस्टेट और फेफड़ों के कैंसर के उपचार में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं.
7. घावों को भरने में
पेन किलर के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है. घावों या ज़ख्मों पर बाहरी रूप में कई पीढ़ियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है. हनुमान फल के शामक और सूजन को कम करने के गुण सभी प्रकार के शरीर के दर्द के लिए एक अच्छा समाधान साबित होता है.
8. प्रतिरक्षा प्रणाली की मज़बूती में
विटामिन सी के रूप में इसमें पाया जाने वाले तत्व हमारे शरीर के प्रतिरक्षातंत्र के लिए काफी उपयोगी साबित होता है. इसके कारण यह फल सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को उत्तेजित करता है. साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंफ्री रेडिकल्स को बेअसर करते हैं. ये लम्बे समय से चलती आ रही बीमारियों को भी रोकने में मददगार है.

हनुमान फल के नुकसान

  • निम्न रक्तचाप वाले व्यक्ति को हर कीमत पर इसके सेवन से बचना चाहिए.
  • किसी भी अन्य प्राकृतिक उत्पाद की तरह, आपको इसे भी नियंत्रित मात्रा में ही उपभोग करना चाहिए.
  • इसकी उच्च मात्रा उल्टी के साथ-साथ मतली के कारण भी पैदा कर सकती है.
  • कई शोधों के अनुसार, इस पौधे के तने और पत्तियों का उपयोग करने बनाई गई चाय, न्यूरोटॉक्सिसीटी विकारों को जन्म दे सकती है.
  • तनाव ग्रसित लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
  • अधिक लंबे समय के लिए इसका उपयोग शरीर में कवक और खमीर संक्रमण के विकास को जन्म दे सकता है.
  • कई शोधों ने संकेत दिया है कि इस फल में मौजूद रसायन पार्किन्सन विकार से पीड़ित मनुष्यों में मौजूद है. इसलिए इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित रोगियों को इसके सेवन से बचना चाहिए, अन्यथा यह लक्षणों को खराब कर सकता है
  • ग्रेविओला की अधिक खुराक शरीर की हृदय प्रणाली को प्रभावित कर सकती है.
  • यह फल अपने अवसाद प्रभाव के लिए जाना जाता है. इसलिए, दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों को पूरी तरह से इसके उपयोग से बचने चाहिए. सौर्सोप का अत्यधिक सेवन गर्भाशय के संकुचन को उत्तेजित कर सकता है.
  • गर्भवती महिलाओं को इसके उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है. हनुमान फल का सेवन तंत्रिका संबंधी विकारों के विकास को पैदा कर सकता है.
     

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