हरड़ के फायदे और नुकसान - Harad Ke Fayde Aur Nuksaan!
हरड़ का उपयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में किया जाता है. विशेष रूप से इसका इस्तेमाल त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए किया जाता है. जो है. इसे इसकी विशेषताओं को देखते हुए इसे कायाकल्प जड़ी बूटी के रूप में भी जाना जाता है. भारत में हरित की हिमालय के निचले क्षेत्रों से लेकर, पूर्व बंगाल, असम तक यानी 5000 फीट की ऊंचाई तक पाया जाता है. आयुर्वेद में इसके कोई और नाम जैसे कायस्था प्राणदा अमृता आदि नामों से बुखार आ गया है. यह स्वाद में कसैला होता है. आइए निम्नलिखित लेख के माध्यम से हरड़ के फायदे और नुकसान को विस्तार से समझें.
1. बवासीर के लिए
बवासीर, मल त्याग में आने वाली जत्ता उनसे संबंधित बीमारी है. हरितकी का प्रयोग बवासीर के दौरान होने वाले समस्याओं में किया जाता है. इसके लिए दो बड़े चम्मच हरड़ या फिर त्रिफला चूर्ण पानी आधी बाल्टी पानी में स्नान करने से 10 मिनट पहले डाल कर छोड़ दें इसके बाद इस पानी से स्नान करने से सूजन कम होता है. इससे घाव भी जल्दी भरता है.
2. दस्त में
दस्त में हरड़ का लाभ लेने के लिए आपको इसकी चटनी बनानी होगी. कच्चे हरड़ की कचनार फली फलियों को पीसकर इसकी चटनी बनाकर रोजाना दिन में तीन बार लेने से दस्त की समस्या खत्म होती है. इसके अलावा हरड़ हमारे शरीर और मलाशय में हल्कापन भी लाता है. जिसके कारण रोग जल्दी ही ठीक हो जाते हैं.
3. यौन समस्याओं के निदान में
यौन समस्याओं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भी हरड़ को उपयोग में लाया जा सकता है. हरड़ आपकी यौन ऊर्जा को बढ़ा देता है. इसके लिए आपको रोजाना 1 से 2 ग्राम हरड़ एक महीने तक खाना होता है. लेकिन इसके साथ एक बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि लंबी अवधि तक इसका प्रयोग करने से यौन शक्ति में कमी का कारण भी बन सकता है. इसके साथ ही हरड़ शीघ्रपतन की भी उपचार में प्रयुक्त होता है. इसके अलावा इसका प्रयोग विधि की मात्रा कम शुक्राणु और उन्नत शिश्न की समस्याओं के निदान में भी किया जाता है.
4. तिल्ली रोग के उपचार में
तिल्ली रोग के उपचार में भी हरड़ का उपयोग किया जाता है. इसके लिए 3 से 5 ग्राम हरड़ दिन में एक या दो बार दूध से 3 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर किया जाता है. इससे तिल्ली बढ़ने की समस्या से निजात पाई जा सकती है.
5. उल्टी में राहत के लिए
यदि आपको उल्टी आ रही है. तो इस इस परेशानी से निजात पाने के लिए भी आप हरितकी का प्रयोग कर सकते हैं इसके लिए हरड़ पाउडर के साथ शहद मिलाकर लेना होता है. ऐसा करने से विषाक्त पदार्थ बाहर आते हैं और उल्टी बंद हो जाती हैं.
6. पाचन शक्ति में
हरड़ जिसे हरितकी भी कहा जाता है. का उपयोग मुख्य रूप से पाचन शक्ति से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है. हरड़ का 1 से 3 ग्राम मात्रा एक कप गर्म पानी में मिलाकर पीने से पाचन शक्ति से संबंधित समस्याओं और उपापचय में मदद मिलती है.
7. सूजन से संबंधित विकारों में
सूजन से संबंधित विकारों में भी हरड़ का प्रयोग किया जाता है. इसके लिए गोमूत्र और हरितकी को एक साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है. इस से सूजन में राहत मिलती है.
हरड़ के नुकसान-
* गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताओं को इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए.
* 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
* कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग भी इसका इस्तेमाल ना करें.
* लंबे समय तक उपवास करने वाले लोगों को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
* बढ़े हुए पेट और अपच की समस्या से पीड़ित लोग इसका इस्तेमाल न करें.
* शुष्क और दुर्बल महसूस करने वाले लोगों को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
* हरड़ का इस्तेमाल किसी चिकित्सक से परामर्श करना ज्यादा उचित रहता है.