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Last Updated: Jul 29, 2020
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Harad Ke Fayde | Haritaki Benefits and Side Effects in Hindi - हरीतकी (हरड़) के फायदे और नुकसान

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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हरीतकी यानी की हरड़ जिसका उपयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में किया जाता है. विशेष रूप से इसका इस्तेमाल त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए किया जाता है. इसे इसकी विशेषताओं को देखते हुए इसे कायाकल्प जड़ी बूटी के रूप में भी जाना जाता है. भारत में हरित की हिमालय के निचले क्षेत्रों से लेकर, पूर्व बंगाल, असम तक यानी 5000 फीट की ऊंचाई तक पाया जाता है. आयुर्वेद में इसके कोई और नाम जैसे कायस्था प्राणदा अमृता आदि नामों से जाना जाता है. इसका अंग्रेजी नाम चेबुलिक म्यराॅबालन है और वैज्ञानिक नाम टर्मिनलिया चेबुला है. हरीतकी को भारत में जड़ी बूटियों की माँ का दर्जा दिया गया है.आइए हरड़ के फायदे और नुकसान को जानें.

 हरीतकी (हरड़) के फायदे - Harad Ke Fayde in Hindi

  1. पाचन शक्ति में
    हरड़ जिसे हरितकी भी कहा जाता है. इसका उपयोग मुख्य रूप से पाचन शक्ति से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है. हरीतकी का 1 से 3 ग्राम मात्रा एक कप गर्म पानी में मिलाकर पीने से पाचन शक्ति से संबंधित समस्याओं और सही करने में मदद मिलती है.
  2. दस्त
    दस्त में हरीतकी का लाभ लेने के लिए आपको इसकी चटनी बनानी होगी. कच्चे हरड़ की कचनार फली फलियों को पीसकर इसकी चटनी बनाकर रोजाना दिन में तीन बार लेने से दस्त की समस्या खत्म होती है. इसके अलावा हरड़ हमारे शरीर और मलाशय में हल्कापन भी लाता है. जिसके कारण रोग जल्दी ही ठीक हो जाते हैं.
  3. यौन समस्याओं के निदान में
    यौन समस्याओं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भी हरड़ को उपयोग में लाया जा सकता है. हरीतकी आपकी यौन ऊर्जा को बढ़ा देता है. इसके लिए आपको रोजाना 1 से 2 ग्राम हरड़ एक महीने तक खाना होता है. लेकिन इसके साथ एक बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि लंबी अवधि तक इसका प्रयोग करने से यौन शक्ति में कमी का कारण भी बन सकता है. इसके साथ ही हरीतकी शीघ्रपतन की भी उपचार में प्रयुक्त होता है. इसके अलावा इसका प्रयोग विधि की मात्रा कम शुक्राणु और उन्नत शिश्न की समस्याओं के निदान में भी किया जाता है.
  4. तिल्ली रोग के उपचार में
    तिल्ली रोग के उपचार में भी हरड़ का उपयोग किया जाता है. इसके लिए 3 से 5 ग्राम हरड़ दिन में एक या दो बार दूध से 3 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर किया जाता है. इससे तिल्ली बढ़ने की समस्या से निजात पाई जा सकती है.
  5. उल्टी में राहत के लिए
    यदि आपको उल्टी आ रही है. तो इस इस परेशानी से निजात पाने के लिए भी आप हरितकी का प्रयोग कर सकते हैं इसके लिए हरीतकी पाउडर के साथ शहद मिलाकर लेना होता है. ऐसा करने से विषाक्त पदार्थ बाहर आते हैं और उल्टी बंद हो जाती हैं.
  6. सूजन से संबंधित विकारों में
    सूजन से संबंधित विकारों में भी हरीतकी का प्रयोग किया जाता है. इसके लिए गोमूत्र और हरितकी को एक साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है. इस से सूजन में राहत मिलती है.
  7. बवासीर के लिए
    बवासीर के मामलें में आपको हरड़ का काढ़ा बनाना होगा और नियमित सेवन करने से राहत प्रदान होती है. काढ़ा बनाने के आपको हरड़ को गर्म पानी में डाल कर थोड़ा देर उबाल कर रखें. इसके नियमित सेवन से ब्लीडिंग जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है.

हरीतकी के नुकसान - Harad Ke Nuksan in Hindi

  1. गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताओं को इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए.
  2. 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  3. कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग भी इसका इस्तेमाल ना करें.
  4. लंबे समय तक उपवास करने वाले लोगों को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  5. बढ़े हुए पेट और अपच की समस्या से पीड़ित लोग इसका इस्तेमाल न करें.
  6. शुष्क और दुर्बल महसूस करने वाले लोगों को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  7. हरीतकी का इस्तेमाल किसी चिकित्सक से परामर्श करना ज्यादा उचित रहता है.
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