हार्ट अटैक के बाद सावधानियां - Heart Attack Ke Baad Saawdhaniyan!
हार्टअटैक एक ऐसी बीमारी है जो अचानक आती है और जानलेवा भी हो सकती है. यानि कुछ ही पलों में पीड़ित व्यक्ति स्वर्ग सिधार सकता है. इसलिए यदि आपको इससे बचना है या इसके जोखिम को कम करना है तो आपको इसके बारे में जागरूक रहना होगा. यानि कि आप इससे जुड़ी सभी बातों को ठीक से जानें ताकि इसका मुक़ाबला कर सकें. इसी संदर्भ में ये लेख है. दिल का दौरा पड़ने पर अगर पहले 15 मिनट में उपचार मिल जाये तो मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है, उपचार में अगर 12 घंटे लग गये तो एंजीयोप्लास्टी भी काम नहीं करती. आइए इस लेख के माध्यम से हम हार्ट अटैक के बाद की
सावधानियों को जानें.
दिल का दौरा पड़ने पर-
हार्ट अटैक आने पर आकस्मिक ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है, यह एक इमरजेंसी स्थिति होती है. ऐसे में अगर आपके साथ कोई हार्ट पेशेंट है तो घबराने के बजाए उसका उपचार करना चाहिए. हार्ट अटैक के लक्षण देखते ही सावधान हो जाएं और उपचार करें. यदि व्यक्ति को 15 मिनट में किसी तरह का उपचार मिल जाता है तो स्थिति चिंताजनक होने से बच सकती है और मरीज की जान बचायी जा सकती है.
लक्षणों को पहचानें-
हार्टअटैक के लक्षणों को पहचानें, इससे आपको किसी प्रकार का भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी. इसके प्रमुख लक्षणों में सीने में जकड़न और बेचैनी, सांसों का तेजी से चलना, कंधों और जबड़ों की तरफ फैलता दर्द, चक्कर के साथ पसीना आना, नब्ज कमजोर पड़ना और मतली आना आदि शामिल हैं.
मरीज को लिटायें-
हार्टअटैक आने पर मरीज को सबसे पहले आरामदायक स्थिति में लिटाएं और उसे एस्प्रीन की टेबलेट चूसने को दें. एस्प्रीन चूसने से हार्टअटैक में मृत्यु दर 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है. क्योंकि यह दवा ब्लड क्लॉट बनने को रोकती है है और नसों और मांसपेशियों में खून नहीं जमता है. इसलिए अपने पास एस्पिरिन की टेबलेट को जरुर रखें.
इमरजेंसी फोन करें-
मरीज को लिटाने और एस्पिरिन की टेबलेट देने के फ़ौरन बाद इमरजेंसी नंबर पर फोन करें, एंबुलेंस को फोन कर स्थिति के बारे में अवगत कराकर तुंरत बुलाएं.
सीने को दबायें-
हार्ट अटैक में धड़कने बंद हो सकती हैं. दौरा यदि अचानक हो और कार्डियो पल्मोनेरी के लक्षण हो जहां दिल की धड़कन बंद होने लगती है तो सीने को दबाकर सांस चालू करने की कोशिश करें. यह बहुत आसान है और इससे धड़कने फिर से शुरू हो जाती हैं. इसे सीपीआर तकनीक कहते हैं.
सीपीआर कैसे दें-
इससे दिल की बंद हुई धड़कने शुरू हो जाती हैं. इसे करने के लिए मरीज को कमर के बल लिटायें, अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीच रखें. हाथ को नीचे दबाएं ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए. प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें और तब तक ऐसा करते रहे जब तक दूसरी तरह की सहायता नहीं मिल जाती है.
कृत्रिम सांस दीजिए-
मरीज को शीघ्र ही कृत्रिम श्वांस देने की व्यवस्था कीजिए. मरीज का तकिया हटा दें और उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर उठा दें. इससे सांस की नली का ब्लॉकेज कम हो जाता है और कृत्रिम सांस में कोई ब्लॉकेज नहीं होता है.
नाक को दबायें-
रोगी की नाक को उंगलियों से दबाकर रखिए और अपने मुंह से कृत्रिम सांस दें. नथुने दबाने से मुंह से दी जा रही सांस सीधे फेफड़ों तक जा सकेगी. लंबी सांस लेकर अपना मुंह चिपकायें, हवा मुंह से किसी तरह से बाहर न निकल रही हो. मरीज के मुंह में धीमे-धीमे सांस छोड़ें, 2-3 सेकेंड में मरीज के फेफड़ों में हवा भर जायेगी. ऐसा दो से तीन बार कीजिए. अगर मरीज सांस लेना बंद कर दे तब सांस न दें.