हीमोग्लोबिन का स्तर - Hemoglobin Ka Star!
शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होना सेहत के लिए हानिकारक होता है, लेकिन हीमोग्लोबिन की अधिकता भी उतनी ही नुकसानदेह होती है. मतलब लोहा शरीर के लिए आवश्यक तो है, लेकिन संतुलित मात्रा में. एक स्वस्थ शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 20 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए, इससे अधिक होने पर शरीर में हीमोक्रोमेटिक रोग के लक्षण पनपने लगते हैं. हीमोग्लोबिन का मुख्य कार्य खून के प्रमुख घटक, लाल रक्त कणों का निर्माण करना करना है. इतना ही नहीं, हीमोग्लोबिन के निर्माण का कार्य भी लोहा करता है, जो शरीर के अंग-प्रत्यंगों को सुडौल बनाकर, शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम हीमोग्लोबिन के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त करें.
हीमोग्लोबिन के स्तर से तात्पर्य-
हड्डियों के अंदरूनी भाग में पाया जाने वाला गूदा या अस्थिमज्जा, रक्त कणों की जननी है. यानी अस्थिमज्जा में ही हर तरह के रक्त कण बनते हैं, जिनमें लाल रक्त कणों की भरमार होती है. एक क्यूबिक मिलीलीटर रक्त में लगभग 50 लाख लाल रक्त कण होते हैं. एक बूंद खून को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर रक्त के लाल कण गोल-गोल तश्तरियों की तरह नजर आते हैं, जो किनारे पर मोटे और बीच में पतले दिखते हैं. इन लाल रक्त कणों के अंदर हीमोग्लोबिन भरा होता है. लाल रक्त कणों की प्रत्येक तश्तरी के अंदर 30-35 प्रतिशत भाग हीमोग्लोबिन का होता है. अस्थिमज्जा में ही विटामिन बी-6 यानी पाइरिडॉक्सिन की उपस्थिति में लोहा, ग्लाइलिन नामक एमिनो एसिड से संयोग कर 'हीम' नामक यौगिक बनाता है, जो ग्लोबिन नामक प्रोटीन से मिलकर हीमोग्लोबिन बनता है. इससे स्पष्ट है कि हीमोग्लोबिन, रक्त का मुख्य प्रोटीन तत्व है. हीमोग्लोबिन की समुचित मात्रा पुरुष व महिला में क्रमशः 15 ग्राम और 13.6 ग्राम प्रति एक सौ ग्राम मिलीलीटर रक्त में होती है.
हीमोग्लोबिन का स्तर-
ह्यूमन बॉडी के कुल वजन का 0.004 प्रतिशत भाग आयरन होता है. इसकी कुल मात्रा बॉडी के वजन के अनुसार 3 से 5 ग्राम होती है. इसका 70 प्रतिशत भाग ब्लड में लाल कणों के अंदर मौजूद हीमोग्लोबिन में, 4 प्रतिशत भाग मांसपेशियों के प्रोटीन मायोग्लोबिन में, 25 प्रतिशत भाग लीवर में, बोन मेरो, प्लीहा और किडनी में संचित भंडार के रूप में तथा शेष 1 प्रतिशत भाग ब्लड प्लाज्मा के तरल अंश और कोशिकाओं के एंजाइम्स में रहता है. आक्सीकृत हीमोग्लोबिन की ऑक्सीकरण स्थिति निश्चित करना कठिन है, क्योंकि प्रायौगिक मापन से आक्सीहीमोग्लोबिन (एचबी-ओटू) डायामैग्नेटिक होती है (कोई अयुगल इलेक्ट्रान नहीं होते), फिर भी आक्सीजन और आयरन दोनों में लो एनर्जी वाली इलेक्ट्रान संरचनाएं पैरामैग्नेटिक होती हैं (यानी इस यौगिक में कम से कम एक अयुगल इलेक्ट्रान होता है).