एचआईवी का इलाज - HIV Ka Ilaaj!
एचआईवी एड्स एक बेहद गंभीर और लगभग लाइलाज बीमारी है. लेकिन कई बार समय से पता चल जाने या बीमारी के ज्यादा न बढ़ने पर पता चलने से इसपर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है. इसके उपचार के लिए हम अंग्रेजी दवाइयों के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाइयों का भी इस्तेमाल करके राहत पा सकते हैं. यानि आयुर्वेदिक औषधि से भी एचआईवी/एड्स की चिकित्सा की जा सकती है. यह बात इस विषय पर हुये कई शोधों और आयुर्वेदिक औषधियों के पूर्ण विशलेषण के बाद ही पता चला है. एचआईवी की स्थिति में शतावर व सफेद मुसली के सम्यक प्रयोग से सहयोग मिल सकता है. लेकिन एचआईवी से बचने के लिए सबसे अधिक संयम व सदाचार के पालन पर जोर दिया जाना चाहिए. प्रभावित मरीजों पर आयुर्वेदिक औषधि के परीक्षण, विश्लेषण व संरक्षण पर बल दियाआइए इस लेख के माध्यम से हम एचआईवी के इलाज के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालें.
अंग्रेजी दवाइयाँ हैं एचआईवी के इलाज का बेहतर विकल्प
एड्स का कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन एंटी-रेट्रोवायरल रेजीम (एआरवी) का सख्ती के साथ पालन करने से काफी हद तक रोग का बढ़ना कम हो जाता है और अतिरिक्त संक्रमण और जटिलताओं की भी रोकथाम होती है.
- एचआईवी एंटीवायरल: - संक्रमण की प्रगति धीमी करने के लिए HIV को दबाता है. दूसरों को संक्रमित करने के खतरे को कम करता है.
- संक्रामक रोग के डॉक्टर: - संक्रमणों का इलाज करते हैं, जिसमें वे संक्रमण भी शामिल हैं जो गर्म इलाकों में ज़्यादा होते हैं.
- नैदानिक मनोविज्ञानी: - बातचीत से उपचार (टॉक थेरेपी) करके मानसिक समस्याओं का इलाज करते हैं.
- प्राथमिक देखभाल प्रदाता: - रोगों की रोकथाम, पहचान और इलाज करते हैं.
आयुर्वेद के द्वारा एचआईवी का इलाज
एआईडीएस के शारीरिक लक्षणों से निपटने के लिए अपनी उबरने की योजनाओं को और उन्नत करें. एड्स जैसी लाइलाज बीमारी के इलाज को लेकर वैज्ञानिकों ने नई उपलब्धि हासिल की है. एचआईवी का इलाज करने के लिए जरेनियम, जिसे आयुर्वेद में कषायमूल वनस्पति भी कहते हैं, भी बहुत उपयोगी साबित हुआ है. यह पौधा एड्स के वायरस को खत्म कर देता है ऐसा कुछ वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया गया है. कई शोधकर्ताओं ने माना है कि जरेनियम की जड़ में कुछ गुणकारी तत्व होते हैं जो मानव कोशिकाओं को एचआईवी-1 वायरस को शरीर में अंदर आने से रोकने के लिए मजबूत बनाता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. यह पौधे एड्स के उपचार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है. इस पौधे का इस्तेमाल कई दवा कंपनियों ने भी करना शुरू कर दिया है.
सेवन करने योग्य आहार
- साबुत अनाज
- दालें
- लीन मीट
- फल और सब्जियाँ
- लो फैट वाले आहार
इनसे परहेज करें
- मिठाइयों के सेवन को प्रबंधित करें
- कोल्ड ड्रिंक
- शुगर फ्री डाइट
- शराब का सेवन न करें
योग और व्यायाम
1.आप सप्ताह में नियमित रूप से 10 से 15 मिनट के लिए रनिंग, स्विमिंग, एरोबिक डांस, साइकिलिंग आदि का अभ्यास करें.
2.आपको रोजाना शरीर में स्ट्रेच पैदा करने वाल एक्सरसाइज रोजाना करना चाहिए, इससे आपके शरीर लचीला और संक्रमण से लड़ने में मदद मिलेगी.
3. बैलेंस करने वाले एक्सरसाइज भी बहुत कारगर होती है. इसके लिए आप कमरे में आँखें बंद करके एक पाँव पर खड़े होकर अपनी भुजाओं की स्थिति परिवर्तित कर सकते हैं.
संगीत और मेडिटेशन
मेडिटेशन करने से कई तरह के रोगों पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इसे आप प्रतिदिन 20 से 30 मिनट तक कर सकते है. यह तनाव प्रबन्धन में भी मदद करता है. आप अपने मनपसंद संगीत भी सुन सकते है. संगीत सुनना भी बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकती है.
घरेलू उपाय
- अपने हाथों को शौचालय के प्रयोग के बाद और भोजन करने से पहलें या कही बाहर से आने के बाद जरुर धोएं.
- अपने नाखून नियमित रूप से साफ़ करते रहें.
- त्वचा को ड्राई होने से बचाने के लिए क्रीम का उपयोग करें.
- त्वचा पर कटे/छिले अथवा घाव को ढककर रखें.
- डॉक्टर द्वारा बताये गए दिशा निर्देशों का पालण करें.
- साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.
- पौष्टिक और उचित आहार का सेवन करें.
- तनाव से होने वाले तकनीकों का अभ्यास करें.
- धूम्रपान, शराब अथवा ड्रग्स का सेवन ना करें.