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Last Updated: Jul 04, 2024
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गैस्ट्रो ईसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी-गर्ड) के लिए होम्योपैथिक दवा

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Dr. Pawan RawalGastroenterologist • 27 Years Exp.DM - Gastroenterology, MBBS, MD - Pedratrics
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क्या है गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी- गर्ड)

गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) तब विकसित होता है जब पेट का एसिड बार-बार गले में बैकवाश होकर आ जाता है। एसिड रिफ्लक्स या हार्टबर्न,  स्टर्नम के पीछे महसूस होने वाली जलन को कहा जाता है।

ऐसा पेट के एसिड के भोजन नली में वापस जाने के कारण होता है। एसिड रिफ्लक्स और जीईआरडी के लिए होम्योपैथी का इलाज करने और लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद करती है।

गर्ड अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो इरोसिव एसोफैगिटिस नामक एक अधिक गंभीर जटिलता हो सकती है; जो बदले में भोजन नली के अल्सरेशन, रक्तस्राव और संकुचन का कारण बन सकता है।

सीने में जलन और एसिडिटी का मुख्य कारण

जीईआरडी को समझने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि हमारी ग्रासनली (भोजन नली) और पेट, भोजन और एसिड को कैसे संभालते हैं। जो भोजन हम खाते हैं वो भोजन नली के निचले सिरे तक पहुंचता है।

भोजन नली तक आहार पहुंचते ही के चारों ओर मौजूद एक गोलाकार मांसपेशी यानी लोअर एसोफेजल स्फिंक्टर खुल जाती है और इससे भोजन को पेट में प्रवेश करने देती है।

पेट में प्रवेश करते ही यह मांसपेशी भोजन नली के निचले सिरे को बंद कर देती है। यह वास्तव में एक तरफ़ा वाल्व की तरह व्यवहार करता है जो भोजन और पेट में एसिड को अन्नप्रणाली में वापस जाने से रोकता है।

गर्ड में, यह वाल्व असामान्य रूप से शिथिल हो जाता है या कमजोर हो जाता है, इसलिए पेट का एसिड बार बार आपकी अन्नप्रणाली में वापस आ जाता है, जिससे बार-बार एसिडिटी होती रहती है।

सारांश - गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) तब विकसित होता है जब पेट का एसिड बार-बार गले में बैकवाश होकर आ जाता है। इससे एसिडिटी होती है। ऐसा तब होता है जब जब हमारा प्राकृतिक वाल्व लोअर एसोफेजल स्फिंक्टर ठीक से काम नहीं करता है। इससे पेट का एसिड अन्न प्रणाली में आ जाता है।

जीईआरडी के लक्षण

गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) के लक्षणों की बात करें तो एसिडिटी, सीने में जलन इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसे अन्य लक्षणों में शामिल हैं -

  • सीने में जलन, जो स्टर्नम के पीछे होती है। खाने के बाद, लेटने और झुकने पर यह और बढ़ जाती है।
  • गले में जलन होना
  • छाती में दर्द होना
  •  भोजन या खट्टे तरल पदार्थ के सेवन से उल्टी, खट्टी डकारें या वॉटरब्रश (अपच के कारण लार का अचानक बहना) जैसी समस्या का होना।
  • मुंह में खट्टा स्वाद आना
  • निगलने में कठिनाई
  • गले में गांठ जैसा महसूस होना
  • सांसों की बदबू
  • पेट फूलने जैसा महसूस होना
  • खाँसी
  • लैरींजाइटिस
  • दमा की शिकायत बिगड़ना

सारांश- गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) का प्रमुख लक्षण एसिडिटी है। इसके अलावा सीने में जलन, दर्द, पेट फूलना, दमा की शिकायत गले में गांठ महसूस होना जैसे कई लक्षण भी हो सकते हैं।

गर्ड का होम्योपैथी में उपचार

नक्स वोमिका :

नक्स वोमिका आधुनिक जीवन की विभिन्न स्थितियों के लिए होम्योपैथी में सबसे अधिक निर्धारित उपचारों में से एक है।

नक्स वोमिका सकारात्मक रूप से शरीर की कई प्रणालियों को प्रभावित करती है। जैसे पाचन तंत्र, प्रजनन अंग, तंत्रिकाएं, श्वसन अंग आदि।

यह अक्सर जीईआरडी, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, अपच, लीवर के रोग, अस्थमा, बार-बार होने वाली सर्दी, स्पस्मोडिक दर्द आदि की शिकायतों के लिए निर्धारित दी जाती है। निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के ये दवा दी जा सकती है:

  • खट्टी डकारें, सार वॉटर ब्रैश, तेज मिचली जिसमें रोगी उल्टी के बाद ही आराम महसूस करता है।
  • एपिगैस्ट्रियम में दर्द जो छाती तक जाता है, औऱ  उल्टी के बाद ही बेहतर होता है।
  • लैक्सेटिव का सेवन करने के बाद बारी-बारी से दस्त के साथ कब्ज की समस्या होना।
  • बार बार मल त्यागने की इच्छा महसूस होना ।
  • मल त्यागने में अधिक जोर पड़ना ।
  • पेट फूलना-एक बार में कम मात्रा में मल त्याग करना ।

रॉबिनिया:

रोबिनिया यलो लोकस्ट के नाम से जाने जाने वाले पौधे से तैयार की जाने वाली दवा है। यह जीईआरडी के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले विशिष्ट होम्योपैथिक उपचारों में से एक है।

एसिडिटी को नियंत्रित करना इस दवा की एक विशेषता है। इसे उन रोगियों को दिया जाता है जिन्हें रोगी को आम तौर पर मुंह में खट्टा स्वाद महसूस होता है, पेट में और कन्धों के बीच में तेज जलन होती है, लेटने से और रात के समय लक्षण और भी बदतर हो जाते हैं।

कुछ खाद्य पदार्थ जो ऐसे रोगियों में शिकायतों को और खराब करते हैं, वे हैं गोभी, शलजम, कच्चे फल, वसायुक्त भोजन और आइसक्रीम। एसिड उल्टी के साथ गैस्ट्रिक सिरदर्द के लिए भी यह एक बहुत अच्छी दवा है।

आइरिस वर्सिकलर :

यह एक ऐसी दवा है जो आईरिस वर्सिकोलर पौधे से प्राप्त राल या गोंद से तैयार की जाती है। यह जीईआरडी के लिए एक विशिष्ट उपाय है। इसे उन रोगियों को दिया जाता है जिन्हें पूरी आहार नली में तीव्र जलन रहती है।

ऐसे लोगों में कोल्ड ड्रिंक से पेट की जलन ठीक नहीं होती है। रोगी को लगातार मतली और उल्टी की भी शिकायत होती है जो खट्टी होती है। मुंह में बहुत अधिक लार के साथ मतली एक और सामान्य लक्षण है।

रोगी को भूख कम लगती है। वास्तव में, यह अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल शिकायतों जैसे कि लीवर क्षेत्र में दर्द, पेट फूलना, दस्त आदि के लिए भी एक अच्छा उपाय है।

फॉस्फोरस:

अकार्बनिक फास्फोरस द्वारा तैयार यह एक अद्भुत होम्योपैथिक दवा है। यह कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। फास्फोरस मुख्य रूप से गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, हेपेटोबिलरी सिस्टम, रक्त, गुर्दे, हड्डियों, फेफड़ों, तंत्रिका ऊतक आदि पर कार्य करता है।

इसका उपयोग अक्सर जीईआरडी, पेप्टिक अल्सर, गैस्ट्राइटिस, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, नेफ्रोटिक सिंड्रोम, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, रक्तस्रावी प्रवृत्ति, श्वसन संक्रमण, ऑस्टियोमाइलाइटिस, लकवाग्रस्त लक्षण आदि के होम्योपैथिक उपचार में किया जाता है।

इस दवा को उन रोगियों को दिया जाता है जिनमें निम्नलिखित लक्षण होते हैं:

  • पेट में तीव्र जलन जो शीतल पेय से कम हो सकती है और रोगी को सामान्य रूप से शीतल पेय की लालसा होती है।
  • मिचली के साथ खट्टे तरल पदार्थ का वापस आना ।
  • खाने के बाद पेट का दर्द कम होता है और कोल्ड ड्रिंक लेने के बाद बेहतर होता है।
  • एक रोगी को सामान्य रूप से अत्यधिक भूख लगती है।
  • ऐसे रोगियों की कुछ अन्य महत्वपूर्ण सामान्य विशेषताएं हैं: जैसे प्रकाश, ध्वनि, गंध, स्पर्श आदि के प्रति अत्यधिक संवेदनशील।
  •  रोगी में बहुत अधिक बेचैनी, उत्तेजना, घबराहट देखने को मिलती है।

आर्सेनिक एल्बम:

यह आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली होम्योपैथिक दवाओं में से एक है जिसका शरीर के हर अंग और ऊतक पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड से तैयार किया जाता है जो अपनी गुप्त उपचारात्मक शक्तियों को सतह पर लाने के लिए विशेष प्रक्रिया से गुजरता है।

यह एक अद्भुत उपाय है और इसका असर कई रोगों पर व्यापक रूप से होता है। यह मुख्य रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, श्वसन प्रणाली, मूत्र प्रणाली, त्वचा, प्रजनन प्रणाली, तंत्रिका तंत्र आदि पर कार्य करता है।

सेप्टिक संक्रमण के उपचार में ये काफी प्रभावशाली है। आर्सेनिक एल्बम अक्सर जीईआरडी, दमा संबंधी ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस, बुखार, सोरायसिस, एक्जिमा, गैस्ट्राइटिस, एंटरटाइटिस, फूड पॉइजनिंग जैसी स्थितियों के लिए दी जाती है।

  • ऐसे लोगों के पेट में जलन के लिए आर्सेनिक एल्बम एक अच्छी औषधि है जिन्हें
  • मीठा दूध पीने से आराम मिलता है।
  • रोगी को ठंडे पानी की इच्छा होती है और वह एक बार में कम मात्रा में पानी पीता है।
  • तीव्र मिचली और उबकाई और उल्टी की शिकायत होती है।
  • एपिगैस्ट्रियम में बहुत दर्द और संवेदनशीलता महसूस होती है।
  • ऐसे रोगियों में अधिकांश शिकायतें तीव्र कमजोरी और दुर्बलता, बेचैनी और
  • अत्यधिक चिंता होती हैं।

अन्य दवाएं:

लगभग 50 होम्योपैथिक दवाएं हैं जिन्हें जीईआरडी के मामलों में बीमारी की प्रस्तुति, व्यक्तिगत लक्षणों, कारणों और अन्य कारकों के आधार पर इंगित किया जा सकता है। उनमें से कुछ हैं

काली कार्बोनिकम, आइरिस वर्सिकलर, पल्सेटिला, सेपिया, सल्फ्यूरिक एसिड, लाइकोपोडियम क्लैवेटम, सिम्फाइटम, कार्बोलिक एसिड, नैट्रम म्यूरिएटिकम, मैग्नीशियम कार्बोनिकम, कार्बो वेजिटेलिस इत्यादि।

निष्कर्ष

गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) तब विकसित होता है जब पेट का एसिड बार-बार गले में बैकवाश होकर आ जाता है। इससे एसिडिटी होती है। इसमें हमारा प्राकृतिक वाल्व लोअर एसोफेजल स्फिंक्टर ठीक से काम नहीं करता है। इसके कई लक्षण हो सकते हैं। होम्योपैथिक उपचार में इसकी कई प्रभावी दवाएं है।

In case you have a concern or query you can always consult a specialist & get answers to your questions!

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