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Last Updated: Sep 19, 2023
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होम्योपैथी में लकवा का इलाज - Homeopathy Mein Lakwa Ka Ilaj in Hindi

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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लकवा एक बहुत ही घातक बीमारी हैं, यह जानलेवा बीमारी तो नहीं लेकिन पीड़ित व्यक्ति अपनी एक या उससे ज्यादा मांसपेशियों को हिलाने में असमर्थ हो जाता है. यह आपके शरीर को गतिहीन बना देता है जिससे आपके दूसरे पर निर्भरता बढ़ जाती है. लकवा मांसपेशियों में किसी कारण से नहीं होता है, बल्कि मस्तिष्क से अंगों में मैसेज पहुंचाने वाली नर्व और स्पाइनल प्रभावित होने की स्थिति में होता है. इसका मतलब है मांसपेशियों की गति समाप्त हो जाना और बॉडी के अन्य हिस्सों में समन्वय खत्म हो जाता है. जिस हिस्से में लकवा मारता है जैसे हाथ, पैर और चेहरा आदि उन विशेष अंगों की मांसपेशियों में गति के साथ संवेदना समाप्त हो जाता है. जिससे व्यक्ति को गर्म, ठंडक, या दर्द का अनुभव नहीं होता है. होम्योपैथी में लकवा का इलाज बहुत ही प्रभावी तरीकें से किया जाता है. हालाँकि, यदि स्थिति गंभीर हो तो अपको हॉस्पिटल में एडमिट होना भी पड़ सकता है.

लकवा को मेडिकल भाषा में पैरालिसिस के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा सामान्य भाषा में पक्षाघात, फालिज, कम्पवायु इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है.

लकवा मुख्य रूप से निम्न प्रकार का हो सकता है.

इसके प्रकार को प्रभावित अंग के अनुसार विभाजित किया गया है.

  1. मोनोप्लेजिया: इसमें बॉडी का एक हाथ पर पैर प्रभावित होता है.
  2. डिप्लेजिया: इस प्रकार में बॉडी के दोनों हाथ या पैर में लकवा मार सकता हैं.
  3. पैराप्लेजिया: इसमें बॉडी के दोनों धड़ को लकवा मार सकता है.
  4. हेमिप्लेजिया: इसमें बॉडी के एक तरफ के अंग प्रभावित हो जाते है.
  5. क्वाड्रिप्लेजिया: इसमें धड़ और चारों हाथ और पैर प्रभावित हो सकते हैं.

लकवा के निदान रोगी के लक्षण, शारीरिक परिक्षण और अन्य टेस्ट आदि के आधार पर किया जाता है. अगर किसी पीड़ित में लकवा स्थायी हो चूका है तो उसका ट्रीटमेंट नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुछ डिवाइस की मदद से रोगी के जीवन को जितना हो सके सुविधाजनक बनाने की कोशिश की जाती है. होम्योपैथी में लकवा का इलाज भी संभव है, बस इस बात का ध्यान रखें की किसी अच्छे होम्योपैथी डॉक्टर ने दवा निर्धारित की हो.

लकवा के लक्षण - Symptoms of Paralysis in Hindi

आमतौर पर लकवा के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते है. इसमें रोगी के कुछ विशिष्ट अंग या कोई बड़ा हिस्सा कार्य करने या महसूस होना बंद हो जाता है. इसके लक्षण निम्नलिखित है:

  1. चेतना की कमी
  2. सुन्न पड़ना
  3. सिर में तेज दर्द होना
  4. सांस लेने में कठिनाई
  5. मुंह से लार गिरना
  6. सोचने समझने या पढने या बोलने में कठिनाई
  7. मूड या बिहेवियर में परिवर्तन

लकवा के कारण - Causes of Paralysis in Hindi

लकवा हमेशा सेंट्रल नर्वस सिस्टम जिसमे मस्तिष्क और स्पाइरल कार्ड शामिल है में समस्या या पेरिफेरल नर्वस सिस्टम में समस्या के लिए जिम्मेदार है के कारण होता है. इसके मुख्य कारण निचे बताए गए है.

  1. स्ट्रोक यह लकवा का मुख्य कारण होता है. इस बीमारी में मस्तिष्क का एक निश्चित हिस्सा कार्य करना बंद कर देता है. जिससे मस्तिष्क को उचित संदेश प्राप्त या भेजे नहीं जाते है. स्ट्रोक में हाथ या पैर में लकवा होने की ज्यादा संभावना होता है.
  2. ट्यूमर- मस्तिष्क अथवा या स्पाइनल कार्ड में विभिन्न प्रकार के ट्यूमर पाए जाते है जो वहां रह कर ब्लड फ्लो को प्रभावित कर के लकवा पैदा करता है.
  3. ट्रामा- इंजरी के कारण अंदरूनी ब्लड फ्लो के कारण मस्तिष्क और स्पाइनल कार्ड में ब्लड फ्लो कम हो जाता है जिससे लकवा हो सकता है.
  4. सेलिब्रल पैल्सि- यह नवजात के जन्म के समय होता होती है जिसके कारण लकवा हो सकता है.

इसके अलावा अन्य कारणों से भी लकवा हो सकते हैं:

  • पोलियो
  • पेरिफेरल न्यूरोपैथी
  • पार्किंसन्स रोग
  • बोटूलिस्म
  • स्पाइना बिफिडा
  • मल्टीपल स्केलरोसिस
  • गिलैन बैरे सिंड्रोम

होम्योपैथी में लकवा का इलाज - Paralysis Treatment in Homeopathy in Hindi

  1. यदि लकवा लंबे समय बना रहता है तो बॉडी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे बॉडी मात्र हड्डी बन कर रह जाता है. रोगी को देखने, सुनने और बोलने में असमर्थ हो जाता है.
  2. ऐसी स्थिति में गंभीर लकवा रोगी को हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ता है. हालाँकि, होम्योपैथी में लकवा का इलाज संभव है. होम्योपैथिक निदान में रोगी के शारीरिक, मानसिक और अन्य लक्षणों को दृष्टिगत रखते हुए ट्रीटमेंट का चयन किया जाता है. इसके कुछ दवाएं निम्नलिखित है:
  3. रस टाॅस्क- यह दवा को बॉडी के निचले हिस्से में लकवा होने पर इस्तेमाल किया जाता है. इसके अतिरिक्त यदि लकवा गीला या नाम जगह पर रहने से हो तो इसका उपयोग कर सकते हैं. बच्चों में होने वाले लकवे के लिए भी फायदेमंद होता है.
  4. क्रास्टिकम- यह होम्योपैथिक दवा ठंड या सर्दियों के मौसम में लकवा का अटैक आने पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, जीभ या चेहरे पर अचानक पड़ने वाले लकवा में भी उपयोग साबित हो सकता है.
  5. बेलाडोना- यह बॉडी की सीधी तरह का लकवा ठीक करता है.
  6. जक्सवोमिका- यह तब इस्तेमाल होता है जब बॉडी का निचला हिस्सा लकवा से प्रभावित हो और अंग हिलाने में बहुत जोर लगना पड़ता हो.
  7. इसके अतिरक्त अन्य होम्योपैथिक दवा में काॅस्टिकम, जैलासिमियम, पल्म्बम, डल्कामारा, सल्फर नैट्रमयोर इत्यादि शामिल है.
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