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Last Updated: Apr 24, 2019
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ह्रदय रोग से बचाव - Hriday Rog Se Bachaw!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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हृदय हमारे जीवन का आधार है. इसलिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो हम उसके हृदय की धड़कन चेक करते हैं. यदि दिल धड़क रहा है तो व्यक्ति जीवित है लेकिन जब धड़कन बंद तो समझिए कि व्यक्ति की मृत्यु हो गई. इसलिए दिल की धड़कनों का खयाल विशेष तौर पर रखना चाहिए क्योंकि उसी से हम जिंदा हैं. जरा सी भी अव्यवस्थित जीवनशैली और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही आप के नाजुक दिल के लिए खतरा पैदा कर सकती है. बदलती जीवन शैली ने हमारे दिल के लिए खतरा बढ़ा दिया है. जीवनशैली व खानपान में बदलाव ने लोगों को हृदय संबंधी रोगों के करीब पहुंचा दिया है. हृदय रोग किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकते हैं. ये रोग ऐसे होते हैं जिनका इलाज बहुत मुश्किल होता है. इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम शुरू से ही अपने हृदय की खास देखभाल करें और उसे स्वस्थ रखें. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए हमें अपने रोजमर्रा के जीवन में ही थोड़े बदलाव लाने की जरुरत होती है. अपने खानपान व जीवनशैली की आदतों में कुछ नई बातों को शामिल करने और कुछ खराब आदतों को निकाल देने से हमारे हृदय को फायदा होता है. आइये इस लेख के माध्यम से ये जानें कि हृदय रोगों से बचाव कैसे करें?

टहलना है हृदय के स्वास्थ्य के जरूरी-
रोज आधे घंटे तक जरूर टहलें. टहलने की रफ्तार इतनी होनी चाहिए कि जिससे सीने में दर्द न हो और आप हांफने भी न लगें. यह आपके अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है. आप सुबह, शाम या फिर रात को खाने के बाद किसी भी वक्त टहल सकते हैं.

व्यायाम करना है दिल के लिए फायदेमंद-
रोज 15 मिनट तक ध्यान और हल्के योग व्यायाम रोज करें. यह आपके तनाव तथा रक्त दबाव को कम करेगा. आपको सक्रिय रखेगा और आपके हृदय रोग को नियंत्रित करने में मददगार होगा. व्यायाम करने से न सिर्फ आपका हृदय बल्कि संपूर्ण शरीर चुस्त-दुरुस्त महसूस करने लगेगा.

तनाव मुक्त रहें-
आजकल की जीवनशैली का एक हिस्सा तनाव बन गया है. दफ्तर हो या परिवार, इंसान किसी न किसी वजह से तनाव में घिरा रहता है. लेकिन, तनाव आपके हृदय के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं. इसलिए तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें. इससे आपको हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है.

कोलेस्ट्रॉल को रखें नियंत्रित-
अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को 130 एमजी/ डीएल तक बनाए रखें. कोलेस्ट्रॉल के मुख्य स्रोत जीव उत्पाद हैं, इनसे जितना अधिक हो, बचने की कोशिश करनी चाहिए. यदि आपके यकृत यानी लीवर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल का निर्माण हो रहा हो तब आपको कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है.

वजन सामान्य रखें-
हृदय को स्वस्थ बनाने के लिए जरूरी है कि शरीर के वजन को सामान्य रखें. आपका बॉडी मास इंडेक्स 25 से नीचे रहना चाहिए. इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं. तेल के परहेज और निम्न रेशे वाले अनाजों तथा उच्च किस्म के सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं.

रेशेदार भोजन करें-
स्वस्थ हृदय के लिए रेशेदार भोजन का सेवन करें. भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें. ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होते हैं. इससे आपकी पाचन क्षमता भी अच्छी बनी रहती है.

शुगर पर रखें नजर-
यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो शुगर को नियंत्रण में रखें. आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए. व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए डायबिटीज को खतरनाक न बनने दें. यदि जरूरत परे तो हल्की दवाओं का सेवन करना चाहिए.

रक्त चाप को अनदेखा न करें-
अपने रक्त चाप को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखें. रक्त चाप विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लॉकेज (अवरोध) को दुगनी रफ्तार से बढ़ाएगा. इसको कम करने के लिए खाने में नमक का कम इस्तेमाल करें और जरुरत पड़े तो हल्की दवाएं लेकर भी रक्त चाप को कम किया जा सकता है.

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