Influenza Ke Lakshan Aur Karan - इंफ्लूएंजा के लक्षण और कारण
आम भाषा में फ्लू कहलाने वाले रोग को इंफ्लूएंजा कहा जाता है. यह रोगी की श्वास तंत्र में संक्रमित हो जाता है. इस तरह के रोगों में देखा जाता है कि यह दिसंबर से लेकर अप्रैल के मौसम में अधिकतर लोगों में फैल जाता है. अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है उनको इसे होने का ख़तरा ज्यादा रहता है.
इस वायरस के सर्दियों में ज्यादा फैलने का कारण तापमान का कम होना और हवा में नमी का होना होता है. साथ ही यह रोगी के संपर्क में आने से भी बहुत तेज़ी से फैल जाता है. इन सभी के अलावा वातावरण के स्वच्छ न होने के चलते भी वायरस फैलने की संभावना बनी रहती है. जिसके चलते बुखार, सर्दी जुकाम, संक्रमण, सिरदर्द और टाइफइड जैसे रोग भी हो सकते है.
इस बीमारी के होने पर रोगी को ठंड और गर्मी का एहसास बार-बार होता है. ऐसे में बुखार काफी तेज़ चढ़ता है. काफी सारे मामलों में देखा गया है कि बुखार 106 डिग्री तक पहुँच जाता है. अगर किसी को फ्लू हो जाए तो ऐसी स्थिति में अधिक से अधिक पेय पदार्थ ज्यादा मात्रा में लेने चाहिए.
फ्लू के कारण
इस फ्लू का वायरस नाक, आंख और मुंह की मस्लस् द्वारा ब्रेन में प्रवेश करता है. हर बार जब भी रोगी इनमें से किसी भी अंग को हाथ लगाता हैं, तो रोगी खुद ही फ्लू के वायरस को संक्रमित करता है. वैसे तो फ्लू तीन प्रकार के होते है, जिसमें ए, बी और सी होते है. इसमें टाइप ए और बी वार्षिक इंफ्लूएंजा के कारण होते है. एक अनुमान के अनुसार करीब 20 प्रतिशत लोग इससे प्रभावित होते है.
टाइप ए में एच1एन1, एच2एन2 और एच3एन3 वायरस मौजूद होते है. इससे संक्रमित रोगी को पर्याप्त इम्यूनिटी नहीं मिल पाती हैं. टाइप सी भी फ्लू के लक्षण दर्शाता है लेकिन इस तरह का फ्लू कम होता है. हालांकि तीनों तरह का फ्लू एक ही तरह से फैलता है और इनके लक्षण भी एक जैसे ही होते हैं.
समस्या
- युवा, बच्चों तथा 65 की उम्र से अधिक के बुजुर्गों इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते है.
- प्रेगनेंट महिलाओं को फ्लू होने का खतरा ज्यादा रहता है.
- इसके अलावा इंफ्लूएंजा से निमोनिया, कान में इंफेक्शन, साइनस संक्रमण और ब्रोंकाइटिस का ख़तरा बढ़ जाता है.
- फ्लू ज्यादा गंभीर हो जाने पर जान भी जा सकती है. ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर एंटीवायरल दवाएं लेनी चाहिए.
इन्फ्लूएंजा के लक्षण
- असामान्य थकान महसूस होना
- कफ की समस्या
- चक्कर आना
- छींक आना
- ठंड के साथ बुखार
- त्वचा का नीला पड़ना
- नाक बहना
- पेट या छाती पर दबाव महसूस होना और दर्द होना
- मांसपेशियों में दर्द
- सांस फूलना
- सांस लेने में कठिनाई
- सिरदर्द होना
- उल्टी