मत लीजिए इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आईबीएस) को हल्के में, खाना पीना तक हो जाता है मुश्किल
इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आईबीएस) एक आम विकार है जो बड़ी आंत को प्रभावित करता है। यह एक प्रकार का कार्यात्मक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) विकार है। यह आपकी आंत और मस्तिष्क के एक साथ काम करने की समस्याओं से संबंधित है।इन समस्याओं के कारण आपका पाचन तंत्र बहुत संवेदनशील हो जाता है। इसमें आपकी आंत की मांसपेशियां के सिकुड़ने में बदलाव आ जाता है ।जिससे व्यक्ति के पेट में दर्द,ऐंठन, सूजन, गैस और दस्त या कब्ज हो सकते हैं। अगर आपको लम्बे समय से आईबीएस है तो आपको हमेशा इसे प्रबंधित करने की आवश्यकता होगी।
आईबीएस से पीड़ित कुछ ही लोगों में गंभीर लक्षण होते हैं। कुछ लोग आहार, जीवन शैली और तनाव को प्रबंधित करके अपने लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। अधिक गंभीर लक्षणों का इलाज दवा और परामर्श से किया जा सकता है।
आईबीएस के विभिन्न प्रकार
विशेषज्ञ आपके मल त्याग की समस्याओं के प्रकार के आधार पर आईबीएस को वर्गीकृत करते हैं। आपको किस प्रकार का आईबीएस है उसी के अनुसार आपका उपचार किया जा सकता है। अक्सर, आईबीएस से पीडत लोगों में कुछ दिनों में सामान्य मल त्याग होता है और अन्य दिनों में असामान्य होता है। लक्षणों के आधार पर इसे तीन वर्गों में बांटा गया है-
- कब्ज के साथ आईबीएस
- दस्त के साथ आईबीएस
- मिश्रित मल त्याग के साथ आईबीएस
आईबीएस होने के कारण:
आंत की मांसपेशियों में असामान्य संकुचन
आंतों की दीवारें मांसपेशियों की परतों के साथ पंक्तिबद्ध होती हैं जो सिकुड़ती हैं क्योंकि वे आपके पाचन तंत्र के माध्यम से भोजन को स्थानांतरित करती हैं। संकुचन जो मजबूत होते हैं और सामान्य से अधिक समय तक चलते हैं, वे गैस, सूजन और दस्त का कारण बन सकते हैं। कमजोर आंतों का संकुचन भोजन के मार्ग को धीमा कर सकते हैं और कठोर, शुष्क मल का कारण बन सकता है।
नर्वस सिस्टम
जब आपका पेट गैस या मल से फैलता है तो आपके पाचन तंत्र की नसों में असामान्यताएं आपको अधिक परेशानी का अनुभव करा सकती हैं। मस्तिष्क और आंतों के बीच खराब समन्वयित संकेत आपके शरीर की पाचन प्रक्रिया में सामान्य रूप से होने वाले परिवर्तनों पर अधिक प्रतिक्रिया दे सकते हैं।इसके परिणामस्वरूप दर्द, दस्त या कब्ज हो सकता है।
गंभीर संक्रमण
आईबीएस बैक्टीरिया या वायरस के कारण होने वाले दस्त (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) के गंभीर हमले के बाद विकसित हो सकता है। आईबीएस आंतों में अत्यधिक बैक्टीरिया के कारण भी हो सकता है।
प्रारंभिक जीवन में तनाव
तनावपूर्ण घटनाओं के संपर्क में आने वाले लोगों में, विशेष रूप से बचपन में आईबीएस के अधिक लक्षण होते हैं।
आंत के रोगाणुओं में परिवर्तन
आपकी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया, कवक और वायरस में परिवर्तन के कराण भी आपको आईबीएस हो सकता है।ऐसे बैक्टीरिया जो आम तौर पर आंतों में रहते हैं और स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं उनमें बदलाव के चलते ये समस्या उत्पन्न होती है। माना जाता है कि आईबीएस वाले लोगों में रोगाणु स्वस्थ लोगों से भिन्न हो सकते हैं।
किन्हें है आईबीएस होने का खतरा?
यह स्थिति अक्सर लोगों में उनकी किशोरावस्था के अंत से लेकर 40 के दशक की शुरुआत तक होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को आईबीएस होने की संभावना दोगुनी हो सकती है। आईबीएस एक ही परिवार के कई सदस्यों को हो सकता है।
- अगर आपके परिवार में दूसरे लोगों को भी आईबीएस है तो आपको भी ये हो सकता है।
- अगर आप भावनात्मक तनाव या चिंता में घिरे हैं
- अगर आपको फूड इंटोलरेंस है
- शारीरिक या यौन शोषण का इतिहास है
- गंभीर पाचन तंत्र का संक्रमण है
किन वजहों से बढ़ सकते हैं आईबीएस के लक्षण
- किसी प्रकार के भोजन से एलर्जी इसे ट्रिगर कर सकती है। बहुत से लोग जब कुछ विशेष चीज़ों का सेवन करते हैं तो उन में आईबीएस के लक्षण बदतर हो जाते हैं। इनमें गेहूं, डेयरी उत्पाद, खट्टे फल, बीन्स, गोभी, दूध और कार्बोनेटेड पेय शामिल हैं।
- बढ़े हुए तनाव की अवधि के दौरान आईबीएस वाले अधिकांश लोगों को इसके बढ़े हुए लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि तनाव सिर्फ लक्षणों को बढ़ा सकता है,यह उन्हें ट्रिगर नहीं करता।
आईबीएस का उपचार
इसका कोई विशिष्ट उपचार नहीं है लेकिन आईबीएस से पीड़ित लोग इसका प्रबंधन कर के सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। उपचार के विकल्पों में आहार और जीवन शैली में परिवर्तन शामिल हैं।
आहार परिवर्तन
एक आहार विशेषज्ञ आपको ऐसा आहार बनाने में मदद कर सकता है जो आपके जीवन के अनुकूल हो। अपने आहार में फाइबर बढ़ाएं। अधिक फल, सब्जियां, अनाज और नट्स खाएं। आहार में पूरक फाइबर शामिल करें। भरपूर पानी पिएं। दिन में करीब 4 लिटर पानी पीने से आपको लक्षणों में राहत मिल सकती है। कैफीन वाले पदार्थों जैसे कॉफी, चॉकलेट, चाय और सोडा से बचें। पनीर और दूध के उत्पादों को सीमित करें। आईबीएस वाले लोगों में लैक्टोज असहिष्णुता अधिक आम है। इसलिए दूध के बजाय अन्य स्रोतों से कैल्शियम प्राप्त करना सुनिश्चित करें, जैसे ब्रोकली, पालक, सैल्मन या सप्लीमेंट्स।
गतिविधि में बदलाव
अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए खुद को सक्रिय रखें।नियमित रूप से व्यायाम करना सुनिश्चित करें। धूम्रपान आपके लिए हानिकारक है, इसे न करें।योग के ज़रिए विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें। खाली पेट ना रहें। हर दो घंटे पर कुछ खाते रहें जिससे पेट खाली न रहे। अपने खाने में शामिल खाद्य पदार्थों को रिकॉर्ड करें ताकि आप यह पता लगा सकें कि कौन से खाद्य पदार्थ आईबीएस के लक्षण बढ़ा रहे हैं। लाल मिर्च, हरी प्याज, रेड वाइन, गेहूं और गाय का दूध आमतौर पर आईबाएस को ट्रिगर करता है।
चिकित्सा परिवर्तन
आईबीएस की कोई सटीक चिकित्सा नहीं है। चिकित्सक आपको इसके लक्षणों को नियंत्रित करने की दवाएं ही दे सकते हैं।जैसे दस्त, कब्ज या पेट दर्द में मदद करने वाली दवाओं की सलाह ही रोगी को दी जाती है। इसके अलावा प्रोबायोटिक्स आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये आपके शरीर में अच्छे बैक्टीरिया पहुंचाता है जिससे आपको आराम महसूस हो सकता है।
डॉक्टर से कब मिलें अगर आपको आईईबीएस के गंभीर लक्षण नज़र आएं तो चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।कई बार बिगड़ते लक्षण अधिक गंभीर स्थिति का संकेत दे सकते हैं।ये कोलन कैंसर की तरफ इशारा कर सकते हैं। अधिक गंभीर संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:
- वजन घटना-अगर आपका वज़न आसामान्य गति से घट रहा है तो ये चिंता की बात हो सकती है।ऐसे में चिकित्सक से परामर्श लेना ज़रूरी है।
- रात में दस्त-रात में कई बार दस्त आने पर आपको इसे गंभीर लक्षण को तौर पर लेना चाहिए।
- मलाशय से रक्तस्राव-अगर मल त्याग करते समय मलाशय से रक्तस्राव हो रहा हो तो ये गंभीर लक्षणों में शामिल है।
- आयरन की कमी से एनीमिया-शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया विकसित होना भी आईबीएस से अधिक गंभीर बीमारी के लक्षणों में शामिल है।
- बिना कारण उल्टी- बिना किसी कारण के अगर आपको उल्टियां आ रही हैं तो चिकित्सक से तुरंत मिलें।
- निगलने में कठिनाई-खाना या पेय पदार्थ निगलने में कठिनाई होना सामान्य बात नहीं है। इसमें लापरवाही किए बिना डॉक्टर से परामर्श लें।
- पेट में लगातार दर्द- अगर आपके पेट में दर्द लगातार बना रहता है और गैस पास करने या मल त्याग करने से भी दूर नहीं होता तो इसे गंभीरता से लें औऱ डॉक्टर के परामर्श से जांच अवश्य करवाएं।
आईबाएस के साथ जीवन
आईबीएस का कोई इलाज नहीं है।इसलिए ये आपके जीवन भर आपके साथ रहेगा। लेकिन यह आपके जीवनकाल को छोटा नहीं करता है और इसके इलाज के लिए आपको सर्जरी की आवश्यकता नहीं होगी। अपना जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों, दवाओं और तनावपूर्ण स्थितियों सहित अपने ट्रिगर्स को पहचानने और उनसे बचने का प्रयास करें। एक आहार विशेषज्ञ आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार पौष्टिक आहार की योजना बनाने में आपकी सहायता कर सकता है। यदि लक्षणों में सुधार नहीं होता है तो अपने चिकित्सक से बात करें औऱ इसका समाधान करें।।