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Last Updated: Mar 16, 2024
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जानिये क्या होता है हेमेटोक्रिट टेस्ट और इसके बारे में कुछ विशेष बातें

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Dr. Gowtham Pandiaraj.KGeneral Surgeon • 9 Years Exp.MBBS, MS
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जब भी शरीर में कोई बीमारी हो जाती है तो डॉक्टर्स तरह-तरह के टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं, जिसके माध्यम से वे बीमारी की जड़ तक पहुंचते हैं। ऐसा ही एक टेस्ट है हेमेटोक्रिट टेस्ट, जो खून में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं के अनुपात को नापता है। दरअसल, खून में तीन तरह के पदार्थ पाए जाते हैं- लाल रक्त कोशिकाएं, सफ़ेद रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स।

ये तीनों ही प्लाज़्मा के रूप में मौजूद होते हैं, जो रक्त संचार में सहायता है। हीमोग्लोबिन इसी लाल रक्त कोशिकाओं  में प्रोटीन के रूप में मौजूद रहता है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाता है।

क्या होता है हेमेटोक्रिट टेस्ट

दरअसल, हेमेटोक्रिट टेस्ट को पैक्ड-सेल वॉल्यूम (पीसीवी) टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है। यह एक साधारण रक्त परीक्षण है। हेमेटोक्रिट टेस्ट रक्त में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं के अनुपात को नापने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट को डॉक्टर शरीर से निकाले गए खून को लेकर करता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें सामान्यतः 15 से 20 मिनट ही लगते हैं।

क्यों किया जाता है हेमेटोक्रिट टेस्ट

दरअसल, हेमेटोक्रिट टेस्ट पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) का हिस्सा है इसलिए इस टेस्ट के माध्यम से वह रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं के अनुपात को मापता है। इससे डॉक्टर्स को बीमारी के निदान या इलाज के प्रति आपकी प्रतिक्रिया की निगरानी करने में मदद मिल सकती है।

डॉक्टर्स कब दे सकते हैं हेमेटोक्रेटी टेस्ट कराने की सलाह

डॉक्टर्स शरीर में कुछ विशेष लक्षणों के दिखने पर हेमेटोक्रेटी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। ये लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • यदि शरीर में एनीमिया या खून विकार के लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर हेमेटोक्रेटी टेस्ट की सलाह दे सकता है। 
  • अगर बार-बार सिर में दर्द हो रहा है या चक्कर आ रहा है तो हेमेटोक्रेटी टेस्ट करने का सुझाव मिल सकता है।
  • अगर त्वचा रूखी हो गई है तब भी डॉक्टर की सलाह पर आपको हेमेटोक्रेटी टेस्ट कराना पड़ सकता है।
  • इसके अलावा अगर हथेलियों या पैर के ठन्डे रहने की समस्या हो रही है तब भी इस टेस्ट की सलाह दी जा सकती है।
  • शरीर पर किसी प्रकार के चक्क्ते या लाली दिखाई देने पर भी डॉक्टर हेमेटोक्रेटी टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है।
  • शरीर में खुजली होने या ज्यादा पसीना आने पर भी यह टेस्ट कराना पड़ सकता है।
  • आंखों से कम या दोहरा दिखाई देने पर भी डॉक्टर हेमेटोक्रेटी टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।
  • थकान जैसा महसूस होने पर भी यह टेस्ट किया जा सकता है।

हेमटोक्रिट परिणाम

हेमेटोक्रिट टेस्ट के परिणाम रक्त की मात्रा के प्रतिशत के रूप में रिपोर्ट किए जाते हैं जो लाल रक्त कोशिकाओं से बना होता है। हेमेटोक्रेटी स्तर लिंग और आयु के अनुसार अलग-अलग रहता है और इसी भिन्नता के मापक के अनुसार हेमेटोक्रेटी स्तर की जांच की जाती है। तो चलिए जानते हैं कि विभिन्न श्रेणी के अनुसार सामान्य हेमेटोक्रेटी का स्तर कितना होना चाहिए-

  • पुरुष : 41% से 51%
  • महिला : 36% – 44%
  • नवजात : 45% – 61%
  • बच्चे : 32% – 42%

यदि उपर्युक्त श्रेणी के अनुसार हेमेटोक्रेटी स्तर कम या ज्यादा है तो शरीर में कोई बीमारी हो सकती है

हेमेटोक्रिट स्तर कम होने से मिलने वाले संकेत

टेस्ट के दौरान हेमेटोक्रिट सामान्य से कम होना शरीर में निम्नलिखित बीमारियों के संकेत हैं-

  • स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं (एनीमिया) की अपर्याप्त आपूर्ति
  • लंबी अवधि की बीमारी,
  • संक्रमण या श्वेत रक्त कोशिका विकार जैसे ल्यूकेमिया या लिम्फोमा के कारण बड़ी संख्या में श्वेत रक्त कोशिकाएं
  • विटामिन या खनिज की कमी
  • हालिया या दीर्घकालिक रक्त हानि

हेमेटोक्रिट स्तर अधिक होने से मिलने वाले संकेत:

वहीं टेस्ट के दौरान हेमेटोक्रिट सामान्य से अधिक होना भी समस्याओं के संकेत हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • डिहाइड्रेशन
  • पॉलीसिथेमिया वेरा जैसे विकार, जिसके कारण शरीर बहुत अधिक लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है
  • फेफड़े या हृदय रोग

हेमेटोक्रिट टेस्ट के लिए की जाने वाली तैयारी

हेमेटोक्रिट टेस्ट खून जांच के लिए की जाने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है, इसलिए इसके लिए किसी ख़ास तरह की तैयारी की जरूरत नहीं होती। यहां तक कि यह भी जरूरी नहीं कि टेस्ट कराने वाले को खाली पेट रहना पड़े।

इस टेस्ट के लिए सिर्फ रक्त का नमूना लेने की जरूरत होती है, जिसे आम तौर पर बांह की नस से सुई की मदद से लिया जाता है। इस तरह खून निकाले जाने पर आप कुछ असहज महसूस कर सकते हैं। हालांकि बाद में यह फिर सामान्य हो जाता है। हेमेटोक्रिट टेस्ट स्वास्थ्य के बारे में केवल एक जानकारी प्रदान करता है। इसके रिजल्ट का मतलब जानने के लिए डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

हेमेटोक्रेटी टेस्ट कराने से होने वाले दुष्परिणाम

वैसे तो यह टेस्ट एक सुरक्षित प्रक्रिया है, फिर भी इससे कुछ मामूली परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे

  • इंजेक्शन की जगह पर हल्का दर्द और सूजन।
  • कभी-कभी इंजेक्शन वाली जगह पर संक्रमण और जलन का अनुभव किया जा सकता है। लेकिन यह तभी होता है जब सुइयों को बिना स्टरलाइज़ किया जाता है। इसलिए, यह जरूर देख लेना चाहिए कि नई सुइयों का उपयोग किया जा है  कि नहीं।

कुछ कारक कर सकते हैं हेमेटोक्रिट टेस्ट के परिणाम को प्रभावित

वैसे तो हेमेटोक्रिट टेस्ट के नतीजे सही होते हैं लेकिन कुछ कारक हैं जो हेमेटोक्रिट टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। इससे टेस्ट के परिणाम सही प्राप्त नहीं होते हैं।

ये कारक निम्नलिखित हैं-

  • पहाड़ों या ऊंचाई पर रहते हैं
  • गर्भावस्था
  • हाल ही में खून की कमी
  • हाल ही में रक्त संक्रमण
  • डिहाइड्रेशन

हेमेटोक्रिट टेस्ट के परिणामों को समझाते समय डॉक्टर संभावित जटिल कारकों को ध्यान भी ध्यान में रखता है। अगर फिर भी परिणाम गलत प्राप्त हो रहे हैं तो डॉक्टर दोबारा हेमेटोक्रिट टेस्ट कराने और अन्य रक्त परीक्षण करना चाह सकता है।

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