कान का बहना - Kaan Ka Behna!
कान का बहना अक्सर कई लोगों को परेशान करता है. इसका मतलब होता है कान से एक प्रकार के तरल पदार्थ का रिसाव होता है . इसे चिकित्सीय भाषा में ओटोरिया भी बोला जाता है. यह आपके कान में मौजूद वैक्स के कारण होती है. कान में मौजूद वैक्स से बैक्टीरिया या अन्य पदार्थ कान में प्रवेश नहीं कर पाते है. हालांकि, कान बहने के कुछ अन्य कारण भी है. कान के परदे फटने से भी कान से रक्त या अन्य तरल पदार्थों का रिसाव हो सकता है. यह आपके कान में चोट या इंफेक्शन का संकेत होता है. इस स्थिति में आपको तुरंत चिकित्सा लेने की आवश्यकता है. कान से रिसाव सामान्य, खूनी और सफेद हो सकता है. रिसाव के कारण कान में दर्द, बुखार, खुजली, वर्टिगो, कान बजना और सुनाई देना बंद हो सकता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम कान के बहने से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालें.
कान बहने के प्रकार
1. पस या धुंधला द्रव: - यह सबसे सामान्य प्रकार है. कान का इंफेक्शन को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है. यदि इंफेक्शन 10% से ज्यादा हो जाता है तो कान का पर्दा फट जाता है.
2. कान की ट्यूब से द्रव का रिसाव: - यदि किसी बच्चे को कान के इंफेक्शन होता है तो कान में वेंटिलेशन ट्यूब डाली जाती है. ये ट्यूब मध्य कान से तरल पदार्थ बाहर निकालती है, जिससे कान को शुष्क रहने में मदद मिलती है. जब ट्यूब बंद हो जाती है तो कान के तरल पदार्थ मध्य कान में बनते रहते हैं. इसके बाद कान की ट्यूब खुलने पर तरल पदार्थ निकलना शुरू हो जाता है. इससे एक दिन के लिए कान से कुछ स्पष्ट द्रव का रिसाव हो सकता है.
3. वैक्स:- वैक्स का रंग हल्के या गहरे भूरे रंग का होता है. यदि वैक्स गीला हो जाता है, तो यह एक रिसाव की तरह दिखता है.
4. खून: - जब कान में चोट लगता है तो यह रिसाव होता है. आमतौर पर, जब कान की लाइनिंग पर हल्की खरोंच होती है.
5. स्विमर्स ईयर्स रिसाव: - स्विमर्स ईयर्स के प्रारंभिक लक्षण में कान में खुजली होती है. बाद के लक्षणों में सफेद व पानी वाला रिसाव होता है. यह मुख्य रूप से तैराकों को और गर्मी के समय में होता है.
6. कान में किसी वस्तु का जाना: - कभी-कभी छोटे बच्चे अनजाने में अपने कान में कुछ छोटी वस्तूएं डाल लेते हैं. यह बाद में इंफेक्शन का रूप ले लेती है और पस के रंग का रिसाव हो सकता है.
कान बहने के कारण
कान का इंफेक्शन तब होता है जब कोई बैक्टीरिया या वायरल इंफेक्शन मध्य कान को प्रभावित करता है.
1. बाहरी कान का इंफेक्शन (स्विमर्स ईयर्स): - स्विमर्स ईयर्स के शुरूआती लक्षण में कान में खुजली होती है. इसके बाद कान से सफेद और पानी जैसा रिसाव होता है. यह मुख्य रूप से तैराकी करने वाले लोगों को होता है और गर्मी के समय में होता है.
2. मध्य कान का इंफेक्शन (ओटिटिस मीडिया): - मध्यम कान का इंफेक्शन (ओटिटिस मीडिया) तब होता है जब एक वायरस या बैक्टीरिया कान के पीछे के क्षेत्र में सूजन करता है. यह बच्चों में सबसे आम है.
3. मेस्टोइडिटिस: - यदि कोई इंफेक्शन आपके मध्य कान में फैलता है और आपकी कंबुकर्णी नली (यूस्टेकियन ट्यूब) को ब्लॉक करता है, तो बाद में इससे मास्टॉइड हड्डी में गंभीर इंफेक्शन हो सकता है.
4. हानिकारक ओटिटिस एक्सटर्ना: - यह लीकेज तब होता है जब एक कान का इंफेक्शन बाहरी कान और आसपास के ऊतकों तक फैल जाता है.
5. सिर की चोट- यदि आपके सिर पर किसी प्रकार की चोट लग जाती है तो इसे गंभीरता से डॉक्टर द्वारा उपचार करवाना चाहिए. इस स्थिति को आपातकालीन स्थिति माना जाता है, इसमें आवश्यक देखभाल की ज़रूरत हो सकती है.
कान के परदे को नुकसान- कान के पर्दे में किसी तरह का छेद या खरोंच से भी कान से रिसाव होने का एक कारण बन सकता है.
कोलेस्टिओटोमा: - कोलेस्टिओटोमा एक गैर-कैंसर रोग है, जो कान में विकसित हो सकता है.
सिर का फ्रैक्चर- इस स्थिति को आपातकालीन स्थिति माना जाता है, इसमें आवश्यक देखभाल की ज़रूरत होती है.
कान बहने से बचाव
कैसे बचें कान के बहने से
कान में इंफेक्शन से बचने के लिए, बीमार लोगों से दूर रहना चाहिए. स्तनपान से शिशुओं को कानों के इंफेक्शन से रक्षा मिलती है, क्योंकि उन्हें माँ के दूध में एंटीबॉडी होती हैं. यदि आप किसी अत्यधिक शोर वाले जगह पर जाते हैं, तो कान को ढ़कने के लिए कुछ इस्तेमाल करें. स्विमर् ईयर इंफेक्शन से बचने के लिए, पानी से निकलने के बाद कानों को अच्छी तरह से सुखा लें. इसके अलावा, अपने सिर को एक तरफ झुकाकर पानी को कान से बाहर निकालने की कोशिश करें.
कान बहने का इलाज
कान के बहने का उपचार इसके कारण पर निर्भर होता है. यदि कान के परदे में छेद बड़े हो जाते हैं, तो उन्हें कान को पानी को दूर रखना चाहिए. पानी को कान से बाहर निकालने के लिए रुई पर पेट्रोलियम जेली लगाएं और कान में रख लें. डॉक्टर भी आपके लिए सिलिकॉन के डाट बना सकते हैं और कान में लगा सकते हैं. ऐसे डाट को सही आकार और आकृति का बनाया जाता है ताकि वह कान में फंसे नहीं और आसानी से हटाया न जा सके.