Kam Sunai Dene Ke Karan In Hindi - कान से कम सुनाई देना कारण
कान हमारे शरीर के उन अंगों में से है जिन्हें हम ज्ञानेन्द्रिय कहते हैं. यानी वो इन्द्रिय जिनसे हम बाहर की चीजों को अपने अंदर ग्रहण कर पाते हैं. तो कान के द्वारा हम विभिन्न आवाजों को अपने मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं. इसके बाद ही आपका मस्तिष्क प्रतिक्रिया देता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोगों के कान में न सुनाई देने या कम सुनाई देने की समस्या आ जाती है. इसमें से कई समस्याएं तो ऐसी होती हैं जिन्हें बचपन में चेकप की सहायता से ठीक किया जा सकता था लेकिन जागरूकता की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पाता है. आइए कान से कम सुनाई देने के कारणों की पड़ताल करें.
कान की रचना
हम कान को तीन हिस्सों में बाँट सकते हैं बाह्य कान, मध्य कान और अंदरूनी कान. बाह्य कान वातावरण से ध्वनि तरंगों के रूप में विभिन्न आवाजों को ग्रहण करता है. इसके बाद ये तरंगें कैनाल से होती हुई ईयरड्रम तक पहुंचती हैं और इनकी वजह से ही ईयरड्रम वाइब्रेट करने लगता है.
इस वाइब्रेशन से मध्य कान में मौजूद तीन बेहद छोटी हड्डियों में गति आ जाती है और इस गति के कारण कान के अंदरूनी हिस्से में मौजूद द्रव हिलने लगता है. अंदरूनी कान में कुछ सुननेवाली कोशिकाएं होती हैं, जो इस द्रव की गति से थोड़ी मुड़ जाती हैं और ये इलेक्ट्रिक पल्स के रूप में दिमाग को संकेत भेज देती हैं. ये संकेत ही हमें शब्दों और ध्वनियों के रूप में सुनाई देते हैं.
सुनई न देने के दोष के प्रकार - Sunai Na Dene Ka Prakar
सुनाई न दने के कई कारण हो सकते हैं. अलग-अलग व्यक्तियों में इसके अलग-अलग कारण होते हैं. देना यदि किसी व्यक्ति को सुनाई न देने का दोष है तो इसके दो मुख्य प्रकार हो सकते हैं.
I. कंडक्टिव हियरिंग लॉस
जब कान के बाहरी और बीच के हिस्से में को समस्या उत्पन्न होने के कारण सुनाई नहीं देता है तो इसे कंडक्टिव हियरिंग लॉस कहते हैं. इसे आप एक तरह का बहरापन समझ सकते हैं. इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- कान बहना या संक्रमण
- कानों की हड्डी में कोई गड़बड़ी कान के पर्दे का छतिग्रस्त होना
- ट्यूमर, जो कैंसरस नहीं होते
II. सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस
जब कान के अंदरूनी हिस्से में किसी गड़बड़ी की वजह से सुनाई न देने का दोष उत्पन्न होता है तब इसे सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस कहते हैं. ऐसा सुननेवाली कोशिकाओं के नष्ट होने पर या ठीक से काम नहीं करने पर होता है. दरअसल, कान में तकरीबन 15 हजार स्पेशल सुननेवाली कोशिकाएं और इनके बाद नर्व्स होती हैं. सुननेवाली कोशिकाओं को नर्व्स की शुरुआत कहा जा सकता है. जाहिर है इनकी वजह से ही हम सुन पाते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ ये कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिससे नर्व्स भी कमजोर पड़ने लगती हैं और सुनने की शक्ति कम होती जाती है. ऐसा होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
क्या है इसकी वजह? - Sunai Na Dene Ka Karan in Hindi
- बढ़ती हुई उम्र
- कुछ खास तरह की दवाएं मसलन जेंटामाइसिन का इंजेक्शन. बैक्टीरियल इन्फेक्शन आदि में इस्तेमाल
- कुछ बीमारियां जैसे डायबीटीज और हॉर्मोंस का असंतुलन, मेनिंजाइटिस, खसरा, कंठमाला आदि बीमारियों से भी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है.
- बहुत तेज आवाज
- हमें इसका पता चलने तक हमारे तीस फीसदी कोशिकाएं नष्ट हो चुकी होती हैं. एक बार नष्ट हुए सेल्स हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं. उन्हें दोबारा हासिल नहीं करना सम्भव नहीं.
ये हैं इसके लक्षण
जाहिर है सभी बीमारियों की तरह इसके भी कुछ लक्षण हैं जिनके आधार पर इसके होने की पहचान की जाती है. हलांकि प्रारंभ में इसके लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं होते हैं. लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि सुनने की क्षमता में आई कमी समय के साथ धीरे-धीरे और कम होती जाती है. इसलिए जितना जल्दी हो सके, इसका इलाज कराना चाहिए. यदि निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण आपको अजर आए तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए.
- बैकग्राउंड में शोर होने पर सामान्य बातचीत सुनने में दिक्कत होना.
- बातचीत में बार-बार लोगों से पूछना कि उन्होंने क्या कहा.
- फोन पर बातचीत करने में दिक्कत होना.
- अपेक्षाकृत ज्यादा तेज आवाज में टीवी या संगीत सुनना
- बारिश या पक्षियों के चहचहाने की आवाज जैसी प्राकृतिक आवाजों को भी न सुन पाना.
- नवजात बच्चे का आवाज न सुन पाना