कंधे का दर्द के कारण - Kandhe Ke Dard Ke Karan!
कंधे के दर्द के कई कारण हो सकते हैं. शारीरिक श्रम से या खेल-कूद से या अन्य कारणों से चोट या तनाव से कंधा क्षतिग्रस्त हो जाता है जिससे कंधा में दर्द होने लगता है. उम्र बढ़ने के साथ भी, विशेषकर 60 वर्ष से अधिक उम्र में भी, कंधा दर्द की समस्या होने लगती है. पर कंधा दर्द का एक मुख्य कारण है रोटेटर कफ टेंडिनाइटिस. इस बीमारी में कंधे के टेंडन (कण्डरा) में सूजन आ जाती है. कभी-कभी दर्द का वजह रोटेटर कफ का फंस जाना भी होता है जिससे हाथ हिलाने में मुश्किल होती है. कई बार हाथ या गर्दन में लगी चोट के कारण भी कंधा में दर्द होता है. आगे हम कंधे दर्द के मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे.
कंधे के दर्द का कारण
1. रोटेटर कफ टेंडिनाइटिस: - कंधा दर्द का सबसे आम कारण है “रोटेटर कफ टेंडिनाइटिस”. कंधा पर रोटेटर कफ होता है जो कंधा के हिलने-डुलने या घुमाने के सीमा निर्धारित करती है. यह रोटेटर कफ चार टेंडन्स से मिलकर बना होता है. यह टेण्डन रेशेदार उत्तक से बने होते हैं जो हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ते हैं. इन्हीं टेंडन्स में सूजन आने के स्थिति को “रोटेटर कफ टेंडिनाइटिस” कहते हैं. जब इसमें सूजन हो जाती है तो कंधा में दर्द होने लगता है.
2. परिआर्थिराइटिस शोल्डर: - कंधा एक बॉल और सॉकेट का जाइंट होता है जिससे स्थिरता के साथ-साथ गतिशीलता होती है. कंधे के जोड़ पर एक कवर (जिसे कैप्सुल कहते हैं) रहता है, इसी कवर में कंधा का बॉल गति करता है. परिआर्थिरइटिस शोल्डर में यानि कंधे के परिआर्थिराइटिस के स्थिति में यही कवर सिकुड़ने लगता है जिसके कारण बॉल को गति करने में दिक्कत होती है और इस कारण व्यक्ति को कंधा में दर्द महशुस होता है. ये समस्या डायबिटीज़ के मरीजों में ज्यादा मिलती है क्योंकि उनका शुगर का स्तर बढ़ने से इस कवरिंग कैप्सुल में जकड़न शुरू हो जाती है.
3. कंधे का बार-बार अस्थिर होना: - कंधे का बार-बार अस्थिर होना भी कंधे के दर्द का एक कारण है. इस स्थिति का कारण किसी चोट में कंधे का बॉल सॉकेट से बाहर हो जाना या लेबरम क्षतिग्रस्त हो जाना है. ऐसी स्थिति में बहुत ही कष्टदायी दर्द होता है. यदि इसका उपचार न किया जाये तो कंधे में बार-बार कुछ अटकने जैसा महसूस होता है. ये समस्याएँ युवाओं में अधिक पायी जाती है.
4. स्कैपुला थोरेसिस बार्सिटिस: - कुछ लोगों को रीढ़ व पीठ के हड्डी के जोड़ के उत्तक में सूजन आ जाता है, तब इस जोड़ पर दर्द होने लगता है. शुरुआती में तो यह दर्द हल्का रहता है पर समय बीतने पर यह दर्द बढ़ते ही जाता है. इस स्थिति को स्कैपुला थोरेसिस बार्सिटिस (Scapula Thoracic Bursitis) कहते हैं. एक खास तरह के मुद्रा में रहने से ये समस्या विकसित होती है. आईटी प्रोफेशन के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है.
5. अन्य कारण: - कभी-कभी शरीर के किसी दूसरे भाग में चोट लगने से भी कंधा में दर्द होने लगता है. ऐसा प्रायः गर्दन या बाईसेप्स में चोट लगने से होती है. कंधे या गर्दन में किसी नस का दब जाने व बंद हो जाने से या बाजू के कोई हड्डी टूटने से भी कंधा में दर्द हो सकता है. गठिया के कारण भी कंधा में दर्द हो सकता है. कंधा के टेण्डन, लिंगमेंट्स या मांसपेशी में दर्द या जकड़न के कारण भी कंधा में दर्द हो सकती है. कभी-कभी रोटेटर कफ के फँस जाने से भी कंधे में दर्द होता है. कंधे की मांसपेशी व हड्डी को एक ही दिशा व गति में दोहराते रहने से भी कंधा में दर्द हो सकता है. कुछ गंभीर समस्या जैसे रीढ़ की हड्डी में चोट या दिल का दौरा आदि भी कंधा दर्द का कारण बन सकता है. यदि मरीज को अर्थराइटिस हो तो यह भी कंधा दर्द का कारण हो सकता है. इसके अलावा चोट, आस्टियोर्थ्राइटिस, पोलिमेल्जिया रुमेटिका, मोच या तनाव, अवास्य परिगलन (सीमित रक्त प्रवाह के कारण हड्डी के उत्तक की मौत), बर्साइटिस, थोरसिक आउटलेट सिंड्रोम इत्यादि के कारण भी कंधा में दर्द हो सकता है.
कंधे के दर्द का उपचार
जब कंधा में अचानक तेज दर्द हो तो डॉक्टर से दिखाकर दर्द का कारण पता कर उचित इलाज करानी चाहिए. जब कंधा का दर्द काफी समय तक बना रहे तो मरीज को कुछ व्यायाम करने की सलाह दी जाती है. इन व्यायामों का उद्देश्य कंधे के मांसपेशी व रोटेटर कफ के टेंडन्स को स्ट्रेच कर व मजबूत बनाकर कंधे को जकड़न से मुक्त करना व गतिशीलता बनाये रखना है. जब इन व्यायामों से भी आराम न हो है तब जटिल परिस्थिति में डॉक्टर ऑपरेशन करने की सलाह भी दे सकता है. कंधे के व्यायाम करने का सही तरीका फिजियोथेरापिस्ट से सीखा जा सकता है. यदि कंधे में पहले से कोई समस्या है तो व्यायाम करने के बाद कंधे को 15 मिनट तक बर्फ से सिकाई करनी चाहिए, इससे भविष्य में होने वाले क्षति के संभावनाओं को कम किया जा सकता है. ख्याल रखना चाहिए कि बर्फ से सिकाई करते वक्त बर्फ को आइस पैक में या कपड़े में लिपटकर ही सिकाई करनी चाहिए. कंधे के दर्द के उपचार के लिए कुछ व्यायाम या थेरेपी ये हैं:
- आइसोमेट्रिक नेक एंड शोल्डर एक्सरसाइज
- मसाज थेरेपी
- मेनुअल थेरेपी
- एक्वाटिक थेरेपी या हाइड्रोथेरेपी
- कॉन्टिन्यूअस पैसिव मूवमेंट
- एक्टिव मूवमेंट