क्या होती है फ्रॉस्टबाइट: जानें सबकुछ
फ्रॉस्टबाइट क्या है?
कई बार हम बहुत ही ठंडी या बर्फ वाली जगहों पर जाते हैं तो हमें खूब अच्छी तरह से खुद को ढंक कर और गर्म रखने की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह होता है कि बहुत अधिक देर तक बर्फीली जगह पर रहने से हमारे शरीर में फ्रॉस्ट बाइट होने का खतरा रहता है।
फ्रॉस्टबाइट दरअसल तब होता है जब ठंड के तापमान के संपर्क में आने से आपकी त्वचा के क्षेत्रों और नीचे के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। यह एक गंभीर चिकित्सकीय स्थिति मानी जाती है।
सारांश - बहुत अधिक ठंड के कारण जब त्वचा के क्षेत्रों और नीचे के उतकों को नुकसान पहुंचने को फ्रॉस्टबाइट कहते हैं। यह तब होता है जब हमारी त्वचा बहुत कम तापमान से संपर्क में आती है। यह एक गंभीर स्थिति होती है।
फ्रॉस्टबाइट के लक्षण क्या हैं?
जब तापमान बहुत कम होता है और त्वचा ढकी नहीं होती है तो वह लाल या नीली हो सकती है, या बहुत दर्द कर सकती है। इसे फ्रॉस्टबाइट कहा जाता है, और यह शीतदंश (फ्रॉस्टबाइट) का प्रारंभिक चेतावनी संकेत है।
यदि ऐसा होता है, तो जल्दी से खुद को गर्म रखने का प्रयास करें। फ्रॉस्टबाइट के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह शरीर में कितनी गहराई तक जाता है। इसके तीन चरण होते हैं।
शुरुआती शीतदंश त्वचा की ऊपरी परतों को प्रभावित करता है। अधिक गंभीर मामले में ठंड का असर मांसपेशियों और हड्डियों तक जा सकता है। इन्हें चरणों में बांटा जा सकता है।
प्राथमिक अवस्था
- इसमें त्वचा हल्की पीली या सफेद हो जाती है।
- यह खुजली, डंक, जलन, या सुई के चुभने जैसा महसूस कर सकता है।
मध्यवर्ती चरण
- इसमें त्वचा सख्त हो जाती है।
- त्वचा बहुत चमकदार या मोम जैसी दिखने लगती है।
- जब त्वचा गर्माहट पाती है तो इसमें तरल पदार्थ भरने लगता है या रक्त से भरे फफोले पड़ जाते हैं।
एंडवांस चरण
- इसमें त्वचा छूने में बहुत सख्त और ठंडी होती है।
- त्वचा तेज़ी से काली पड़ जाती है। त्वचा पर नीलापन दिखाई दे सकता है जो बाद में काला हो सकता है।
कुछ लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें फ्रॉस्टबाइट है क्योंकि जैसे-जैसे यह बदतर होता जाता है, आप प्रभावित क्षेत्र को महसूस नहीं कर सकते। इसलिए आपको त्वचा के रंग में किसी तरह के बदलाव की निगरानी की जरूरत है।
सारांश - फ्रॉस्टबाइट के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि ठंड शरीर में कितनी गहराई तक जाता है। इसके तीन चरण होते हैं। इसमें सामान्य तौर पर त्वचा के रंग मे बदलाव से जोड़कर देखा जाता है। बहुत से लोगों को त्वचा सुन्न होने की वजह से इसका पता नहीं चलता।
फ्रॉस्टबाइट के आपातकालीन लक्षण
यदि आपको शीतदंश का संदेह है, तो तुरंत इमरजेंसी चिकित्सा लें । आपकी स्थिति के कुछ चेतावनी संकेतों में शामिल हो सकते हैं:
- आपकी त्वचा का रंग बदल जाता है या कठोर हो जाता है।
- आपकी त्वचा सुन्न रहती है (आप कुछ भी महसूस नहीं कर सकते हैं)।
- जब आपकी त्वचा पिघलती है तो आपको तेज दर्द होता है।
- त्वचा पर छाले पड़ने लगते हैं।
सारांश- त्वचा का रंग बदलना और सुन्न होना फ्रॉस्टबाइट के आपातकालीन लक्षण हैं।
फ्रॉस्टबाइट होने के कारण
जैसे तापमान गिरने पर पानी बर्फ में बदल जाता है, उसी प्रकार अगर आप बेहद ठंडे मौसम के संपर्क में आते हैं या आप बर्फ या बहुत ठंडी चीज को छूते हैं तो आपके हाथ, पैर की उंगलियां, यहां तक कि आपकी नाक और कान भी जम सकते हैं।
आपके हृदय से दूर होने के कारण, शरीर के इन हिस्सों में कम रक्त प्रवाह पहुंचता है इसलिए फ्रॉस्टबाइट से प्रभावित होने वाले पहले क्षेत्र हैं।
यदि आप ठंड, हवा, या गीले मौसम के लिए ठीक से कपड़े नहीं पहनते हैं, या आप उन परिस्थितियों में बहुत हल्के कपड़े पहनते हैं, तो आपको शीतदंश होने की अधिक संभावना है।
शीतदंश कितनी जल्दी होता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि मौसम कितना ठंडा है और हवा चल रही है। यह समस्या आपकी सोच से कहीं अधिक गंभीर हो सकती है। बहुत ठंडे मौसम में केवल 5 मिनट में शीतदंश होना संभव है।
सारांश- फ्रॉस्टबाइट का कारण बहुत ठंडा मौसम और त्वचा का ठीक तरह से ढ़का ना होना है। इसमें हाथ, पैर की उंगलियां, यहां तक कि आपकी नाक और कान भी जमना शामिल है। बहुत ठंडे मौसम या परिस्थिति में 5 मिनट में ही फ्रॉस्टबाइट हो सकती है।
फ्रॉस्टबाइट की डायगनोसिस
शीतदंश के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण नहीं किया जाता है । आपके डॉक्टर आपसे आपकी स्थिति के संबंध में कुछ सवाल पूछ सकते हैं। जैसे कि आप कितनी देर तक ठंड में बाहर रहे और तापमान क्या था।
वे आपकी त्वचा को बारीकी से देखेंगे और हड्डी या मांसपेशियों को कोई गंभीर क्षति होने पर यह देखने के लिए एक्स-रे या अन्य प्रकार के स्कैन की सिफारिश कर सकते हैं।
सारांश- शीतदंश की कोई खास डायगनोसिस या टेस्ट नही होता है। इसके लिए डाक्टर आपसे कुछ सवाल पूछकर और त्वचा का बारीक परीक्षण करेंगे। जरुरत हुई तो एक्स रे या स्कैन भी हो सकता है।
फ्रॉस्टबाइट का उपचार
फ्रॉस्टबाइट का उपचार करने के लिए सबसे पहले शर्त है कि आपको गर्मी मिल सके। कुछ अन्य काम हैं जो आपको करने चाहिए, जैसे -
- फ्रॉस्टबाइट का संदेह होते ही सबसे पहले किसी गर्म जगह पर जाएं। अपनी त्वचा को रगड़ें नहीं। अगर त्वचा कठोर हो गई है तो रगड़ने से इसे नुकसान पहुंच सकता है।
- ठंडे हाथ या पैर को गर्म पानी के टब में न रखें। यदि आपकी त्वचा सुन्न है, तो पानी बहुत गर्म होने पर आप महसूस नहीं कर पाएंगे। इससे और नुकसान हो सकता है।
- इसके बजाय, प्रभावित हाथों और पैरों को गर्म पानी (104 F से 107 F) में भिगोएं।
- इसके अलावना आप कम से कम 30 मिनट के लिए प्रभावित क्षेत्रों पर गर्म पानी के साथ एक वॉशक्लॉथ रखें ।
- नाक और कान पर ये तरीका नहीं आज़माना है।
- आपकी त्वचा जल्दी ही ठीक होना शुरू हो जानी चाहिए। जैसे ही त्वचा पिघलने लगती है, यह लाल पड़ सकती है। आप दर्दनाक चुभन महसूस कर सकते हैं, जैसे कोई तेज़ पिन चुभा रहा हो।
सारांश – फ्रॉस्टबाइट का सही उपचार गर्मी है। त्वचा को रगड़ना इसका इलाज नहीं है। इसकी जगह गर्म पानी का उपयोग करें।
फ्रॉस्टबाइट की अस्पताल में देखभाल
अस्पताल में, चिकित्सा कर्मी आपको गर्म करने, प्रभावित क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बहाल करने और आगे होने वाले नुकसान को रोकने की कोशिश करेंगे। आपको गर्म करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं:
- आपकी नाक, कान, या शरीर के अन्य जमे हुए हिस्सों पर गर्म स्पंज रखे जाते हैं।
- नसों में दर्द के लिए दर्द निवारक दवा दा जा सकती है जो आपकी त्वचा के गर्म होने पर बढ़ सकता है।
- त्वचा की कितनी परतें क्षतिग्रस्त हैं, यह देखने के लिए एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षण करवाए जा सकते हैं।
- मृत त्वचा को खुरच कर हटाया जा सकता है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एस्पिरिन या अन्य रक्त पतला करने वाली दवाएं शरीर के अंगों में रक्त के प्रवाह को बहाल करने में मदद कर सकती हैं, यदि आपके डॉक्टर आपको ये दवाएं 24 घंटे के भीतर देते हैं।
हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी
हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी नामक एक उपचार, जिसमें आपको नियंत्रित सेटिंग में 100% ऑक्सीजन मिलती है, इसका भी संभावित उपचार के रूप में अध्ययन किया जा रहा है। हालांकि इसके परिणाम अब तक मिश्रित रहे हैं।
अत्यधिक मामलों में ,जैसे कि यदि आपकी त्वचा के ऊतक काला हो गए हैं और रक्त प्रवाह वापस नहीं आ पा रहा है तो आपको उस क्षेत्र को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। यह शरीर के अंगों को संक्रमित होने और अधिक नुकसान होने से रोकने के लिए है।
सारांश – अस्पताल में अलग-अलग तरीकों से इलाज किया जाता है। इसमें एस्परिन दवा से लेकर हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी तक इस्तेमाल किया जाता है।
शीतदंश की रोकथाम
ठंड के मौसम में कपड़ों को पहनेने के ये टिप्स मदद कर सकते हैं:
अपने कपड़ों की परत ढीली रखें। तंग कपड़े आपके शीतदंश के जोखिम को बढ़ाते हैं। इसके बजाय, ढीली परतें चुनें जो शरीर की गर्मी को चारों ओर जाने दें।
आपको तीन परतें पहननी चाहिए:
- पहली परत ऐसे कपड़ों की होनी चाहिए जो आपको सूखा रखने में मदद करे।
- दूसरी परत ऊनी कपड़े की होनी चाहिए जो इन्सुलेटर का काम करेगी।
- तीसरी परत ऐसे कपड़ों की होनी चाहिए जो हना की रोकथाम कर सकें और पानी से भी आपको बचाव दें।
सुनिश्चित करें कि आपकी टोपी आपके सिर और कानों को ढंके। इससे आपके कान गर्म और सुरक्षित रहेंगे।
इंसुलेटिंग मिट्टन्स या दस्ताने चुनें
अपने स्मार्टफोन का उपयोग करने के लिए उन्हें उतारें नहीं। यदि टेक्स्टिंग जरूरी है, तो ऐसे दस्ताने चुनें जिनमें उंगलियों वाली बनावट हो जो आपको फोन स्वाइप करने की अनुमति दे।
गर्म मोजे या और मौसम के अनुरूप जूते पहनें
हमारे पैर शीतदंश के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। इसलिए उनको सुरक्षित रखने के लिए और नमी का प्रतिरोध करने के लिए ऊन के मोज़े की एक जोड़ी रखें। गर्म, जलरोधक जूते पहनें जो आपके एड़ियों को ढकते हैं।
गीले कपड़ों से बचें
अगर आपको पसीना आता है, तो कम से कम कुछ मिनटों के लिए ज़िप खोल दें। गीले कपड़े - या तो बर्फ से या पसीने से - आपको शीतदंश होने की अधिक संभावना है। सुनिश्चित करें कि बर्फ आपके सर्दियों के कपड़ों के अंदर ना घुस पाए।
निष्कर्ष
जब कोई व्यक्ति बेहद कम तापमान में अधिक समय के लिए रहता है तो उसे फ्रॉस्टबाइट होने का खतरा होता है। ऐसे में शरीर में रक्त का संचालन धीमा हो जाता है और सभी अंगों तक पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती। इससे हाथ पैरों की उंगलियां,नाक और कान नीले पड़ जाते हैं। उपचार काम ना करें तो सर्जरी करनी पड़ सकती है।