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Last Updated: Jun 02, 2023
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क्या है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और क्या है इससे बचने के उपाय?

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Dr. Meenakshi Rajiva KumarGynaecologist • 13 Years Exp.MBBS Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery, DGO
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क्या होता है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी

गर्भावस्था यानी कि प्रेग्नेंसी का समय महिलाओं के जीवन में मुश्किलों से भरा लेकिन खूबसूरत अनुभव देने वाला होता है। इस दौरान महिलाओं को कई तरह की मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसी ही एक समस्या है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी। आज अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताएंगे। लेकिन इसके पहले आपको बताते हैं कि आखिर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्या होता है।

जब गर्भ अपने स्थायी जगह यानी कि गर्भाशय को छोड़कर कहीं और स्थापित हो जाता है तो ऐसी स्थिति को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। वैज्ञानिक भाषा में समझे तो जब फर्टिलाइज एग गर्भाशय से न जुड़कर फैलोपियन ट्यूब, एब्‍डोमिनल कैविटी या गर्भाशय ग्रीवा से जाकर जुड़ जाता है। तो इस अवस्था को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। इसे अस्‍थानिक गर्भावस्‍था भी कहा जाता है। जानकारों के अनुसार यह समस्या 50 में से किसी एक महिला को होती है। यदि सही समय पर और सुचारु रूप से इसका इलाज न किया गया तो यह बड़ी मेडिकल एमरजेंसी का रूप भी ले सकता है। 

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण

हल्‍की ब्‍लीडिंग और पेल्विक हिस्‍से में दर्द, पेट खराब होना और उल्‍टी, पेट में तेज ऐंठन होना, शरीर के एक हिस्‍से की ओर दर्द होना, चक्‍कर आना या कमजोरी, कंधे-गर्दन या गुदा में दर्द एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के प्रमुख लक्षण है। एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी के कारण फैलोपियन ट्यूब फट या टूट सकती है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का परीक्षण 

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता लगाना आसान नहीं है। जब  गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बार-बार दर्द होना शुरू होता है तब ही डॉक्टर्स इसकी जांच करते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स पेल्विक परीक्षा करवाते हैं। इसके साथ-साथ कुछ अन्य जांच भी की जाती है।

खून की जांच के माध्यम से भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या का पता चल सकता है। रक्त जांच के माध्यम से एचजीसी के स्तर का पता लगाया जाता है। एचजीसी ज्यादा होने पर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या होने की संभावना होती है। आपको बता दें कि एचजीसी एक प्रकार का हार्मोन है जो गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होता है।

डॉक्टर्स ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इलाज करते हैं। इस प्रक्रिया में योनि में एक डिवाइस डाला जाता है जिससे अंदर के भाग का परीक्षण किया जाता है। इस दौरान अगर फैलोपियन ट्यूब में भ्रूण दिखाई देता है तो यह एक्टोपिक प्रेग्नेंसी है। 

इसके अलावा एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता सोनोग्राफी के माध्यम से भी किया जाता है। इस माध्यम के दौरान अगर प्रेग्नेंसी की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन गर्भाशय में भ्रूण दिखाई नहीं दे रहा है तो यह एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का संकेत जो सकता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इलाज

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर्स कई तरीकों से इसका इलाज कर सकते हैं। इसी में एक है मेथोट्रेक्सेट दवा। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की पुष्टि होने पर डॉक्टर्स इस दवाई का सुझाव दे सकते हैं। इस दवाई से आपकी प्रेग्नेंसी ख़त्म हो जाएगी। यह दवा एक इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। इसके लिए फॉलो-अप अपॉइंटमेंट की जरूरत होती है, जिससे एचजीसी स्तरों की निगरानी की जा सके।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के गंभीर मामलों में डॉक्टर्स सर्जरी का सहारा लेते हैं। यह स्थिति तब आती है जब फैलोपियन ट्यूब फट गई तो या उसके टूटने का ख़तरा हो। यह प्रक्रिया लैप्रोस्कोपिक रूप से की जाती है। इस दौरान ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर उस फैलोपियन ट्यूब को हटा सकता है, जिसके अंदर अभी भी अंडा मौजूद है। इसके अलावा यही संभव हुआ तो वह अंडा को ट्यूब से हटा सकता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से रोकथाम

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी एक ऐसी अवस्था है जिसे आप आने से रोक तो नहीं सकते हैं लेकिन जीवनशैली की अच्छी आदतों का पालन करके अपने जोखिम कारकों को कम करने का प्रयास जरूर किया जा सकता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के रोकथाम के उपाय निम्नलिखित है-  

  • डॉक्टर्स से लें सलाह-  गर्भवती होने का प्रयास करने से पहले किसी भी जोखिम के कारण को लेकर डॉक्टर्स से विचार विमर्श जरूर कर लें।  
  • प्रोटेक्शन के साथ करें सेक्स- अपने पार्टनर के साथ सेक्स करते समय सावधानी बरतें। साथ ही साथ यौन संक्रमित रोग और पेल्विक इन्फ्लामेट्री डिजीज से बचने के लिए कंडोम का इस्‍तेमाल जरूर करें।
  • धूम्रपान भी है मुख्य कारण-  इसके अलावा धूम्रपान करने वाली महिलाओं में भी यह समस्या हो सकती है।
  •  तुरंत कराएं एसटीआई का इलाज- अगर महिलाओं को एसटीआई हो जाता है, तो तुरंत इलाज करवाना महत्वपूर्ण है। जितनी जल्दी उन महिलाओं का इलाज किया जाता है, उतनी ही कम संभावना है कि वे सूजन विकसित करेंगी जो प्रजनन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती हैं और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के विकास के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।  एसटीआई के सामान्य लक्षणों में पेट दर्द, दर्दनाक पेशाब, योनि स्राव, योनि से असामान्य रक्तस्राव, योनि की गंध और सेक्स के दौरान दर्द शामिल हैं।

किन महिलाओं को हो सकती है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या 

  • गर्भ धारण करने वाली जिन महिलाओं की उम्र 35 वर्ष से अधिक उन्हें एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या हो सकती है।  
  • इंट्रायूटेराइन डिवाइस (IUD) होने पर गर्भवती होने की वजह से भी महिलाएं एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से पीड़ित हो सकती हैं। 
  • पेल्विक क्षेत्र में सूजन होने की वजह से भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या हो सकती है। 
  • गर्भवती होने के लिए ट्यूब खोलने के लिए सर्जरी करवाना भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण हो सकता है। 
  • अगर आपका कई बार गर्भपात हो चुका है, तब भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या बढ़ जाती है।  
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