Kya Hota Hai Leptospirosis Rog? Yeh Kyon Failta Hai? - क्या होता है लैप्टोस्पायरोसिस रोग? यह क्यों फैलता है?
लैप्टोस्पायरोसिस रोग एक संक्रमक बीमारी है, जो आमतौर पर पालतू जानवरों के माध्यम से फैलती है. इस बीमारी को लेप्टो, रैट फीवर, प्रटेबियल बुखार, फील्ड फीवर इत्यादि नाम से भी जाना जाता हैं. यह रोग लेप्टोस्पायरा बैक्टीरिया के कारण होता है, जो आपके इम्यून सिस्टम पर सीधा प्रभाव डालता है. इस रोग को पहली बार 1886 में जर्मनी में देखा गया था. यह आमतौर पर बारिश के महीनें में ज्यादा फैलती हैं. पिछले कुछ वर्षो से इस बीमारी में वृद्धि देखी गई है. इस साल मुंबई में मानसून के दौरान लैप्टोस्पायरोसिस रोग से 4 लोगों के मरने की खबर आई थी, जिससे यह साफ हो जाता है की बाढ़ प्राभवित क्षेत्रो में अधिक तेजी से फैलती है. अभी हाल में केरल में आई बाढ़ के कारण 80 लोगों में लैप्टोस्पायरोसिस के लक्षण पाए गए है. तो इसलिए जरुरी है कि आप भी लैप्टोस्पायरोसिस रोग से खुद को बचाने के लिए सुरक्षित कदम उठाएं.
लेकिन इसके पहले जान लें कि लैप्टोस्पायरोसिस रोग क्या है और इसे फैलने से कैसे रोका जा सकता हैं.
लैप्टोस्पायरोसिस रोग आसपास जमा हुए गंदे पानी और जानवरों के इंफेक्टेड मल मूत्र से फैलता है. इसके फैलने का प्रमुख कारण चूहों को माना जाता है. इसके अलावा अन्य पालतू जानवर जैसे भैंस, बकरी, मुर्गा, कुत्ते आदि से भी फैलती है. इस रोग को फैलने में इन जानवरों का इंफेक्टेड यूरिन मुख्य रुप मे जिम्मेदार होता है. इस यूरिन में लेप्टोस्पायर्स बैक्टीरिया होता है. यह बैक्टीरिया व्यक्ति के मुंह, नाक, आँख जैसी इन्द्रियों द्वारा शरीर में प्रवेश करता है. अगर व्यक्ति के शरीर में कोई कट या घाव होता है, तो सक्रमण का जोखिम अधिक होता है.
लक्षण
इस बीमारी के लक्षण बैक्टीरियल इंफेक्शन में आने के कुछ दिनों बाद दिखता है. यह जानलेवा बिमारी नहीं है और इसका इलाज भी आसानी से किया जा सकता है. इसके शुरूआती लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं:
- तेज बुखार
- ठण्ड लगना
- सिरदर्द और शरीर में दर्द
- थकान
- पेट दर्द
- उल्टी
- दस्त
अन्य लक्षण:
त्वचा में इन्फेक्शन, पीलिया, किडनी का काम ना करना, खांसी से खून निकलना इत्यादि
इस बीमारी को समय रहते उपचार करना जरुरी होता है, अन्यथा इसे ठीक होने में कई महीने लग सकते है. साथ ही आगे चल कर किडनी क्षति, लिवर विफलता जैसे गंभीर परिणाम होने का भी ख़तरा बना रहता हैं. इस बीमारी से हर साल 7 से 10 मिलियन लोग संक्रमित होते हैं.
उपचार
इसका उपचार बहुत ही सामान्य और सरल है. आप अपने आसपास की सफाई और खाद्य पदार्थ को संक्रमित होने ना दें. हालांकि, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगो को विशेष ध्यान देने की जरुरत होती है. चूँकि संक्रमण फैलने का ख़तरा वहाँ अधिक होता है, इसलिए बाढ़ के पानी के साथ सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए.
इसके अलावा आप जानवरों के साथ भी सीधे संपर्क में आने से बचें और उचित साफ-सफाई का प्रबंध रखें. संक्रमण होने पर डॉक्टर अपको एंटीबायोटिक निर्देशित करता है, इसके अलावा दर्द से त्वरित राहत पाने के लिए पेनकिलर का भी उपयोग किया जाता है. उपरोक्त कोई लक्षण भी दिखाई देता है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें.