मुंहासे नहीं जा रहे तो क्या आपने विटामिन डी की जांच कराई?
किशोरों को जो अपने चेहरे पर सबसे खराब चीज लगती है वो है मुंहासे। मुहांसों से मुक्ति पाने के लिए वो उबटन से लेकर क्रीम और लोशन के पीछे भागते हैं। उनकी कोशिश होती है कि किसी भी तरह से चेहरे के इस बदनुमा दाग से जल्दी से जल्दी छुटकारा मिले। हाल के दिनों में मुंहासे और विटामिन डी को लेकर पूरी दुनिया में शोध चल रहे हैं। प्रारंभिक नतीजे बताते हैं कि विटामिन डी की कमी भी मुंहासों का कारण हो सकती है। इससे पहले कि हम विटामिन डी और मुंहासे का सबंध पता करें, हमें पता लगाना चाहिए कि मुँहासे क्या है?
मुंहासे तब होते हैं जब त्वचा में रोएं, या छोटे तरल-उत्पादक थैली अवरुद्ध हो जाती हैं। ये रुकावटें सूजन और संक्रमित हो सकती हैं, जिससे दर्दनाक पिंपल्स या सिस्ट हो सकते हैं। एंड्रोजन हार्मोन का एक समूह है जो रोएं को विचलित करता है। इसके साथ ही बैक्टीरिया का हमला त्वचा में सूजन और सूजन का कारण बनता हैं। घाव आमतौर पर अपने आप दूर हो जाते हैं, लेकिन वे त्वचा के संक्रमण का कारण भी बन सकते हैं। मुंहासों के गंभीर मामलों में निशान पड़ सकते हैं और त्वचा को लंबे समय तक नुकसान हो सकता है।
गंभीर मुँहासे केलोइड स्कारिंग या हाइपरपिग्मेंटेशन का कारण बन सकते हैं, दोनों ही गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों में अधिक आम हैं। किसी को भी मुंहासे हो सकते हैं। लेकिन यह किशोरों, पुरुषों, एण्ड्रोजन हार्मोन लेने वाले लोगों या त्वचा में रोम छिद्रों को बंद करने वाले उत्पादों का उपयोग करने वालों में अधिक आम है।
क्या है विटामिन डी और मुहांसों का संबंध ?
मुहासों को लेकर शोध तो दुनिया भर में चल रहे हैं पर प्रारंभिक शोध बताते हैं कि विटामिन डी और मुहासों का कुछ ना कुछ नाता तो जरुर है। कुछ अध्ययनों में सामने आया है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी है उन्हें मुँहासे के लक्षण भी ज्यादा होते हैं और तकलीफ भी ज्यादा होती है। इसी अध्ययन में यह भी निष्कर्ष निकला है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उनमें मुंहासे होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, इन दावों के बावजूद, वैज्ञानिक अभी भी इस मु्द्दे पर स्पष्ट राय नहीं बना पाएं हैं कि विटामिन डी से मुँहासे का इलाज कर सकता है। इस मुद्दे पर शोध चल रहे हैं। शोध इस बात पर भी चल रहा है कि विटामिन डी व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे नियंत्रित करता है। अब अध्ययन के बाद यह अच्छी तरह से समझा जा सकेगा कि विटामिन डी के स्तर उसका प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव और त्वचा के स्वास्थ्य के बीच संबंध क्या होता है। कुछ साल पहले उन लोगों जिन्हें नोड्युलोसिस्टिक मुँहासे थे, पर विस्तृत अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले थे ऐसे लोग जिनमें विटामिन डी के निम्न स्तर थे उनन्हें तेजी से गंभीर लक्षणों का खतरा पाया गया था। इन नतीजों के आधार पर हम इतना तो कह ही सकते हैं कि मुंहासों की स्थिति में विटामिन डी का प्रभाव देखा गया है और इसकी कमी से अलग-अलग तरह के लक्षण देखे गये हैं।
अध्ययनों के बाद मुंहासों और उनके नियंत्रण का विटामिन डी की कमी से सीधा संबंध स्थापित हो सकेगा पर इतना तो तय है कि जिन लोगों में मुँहासे होते हैं उनमें विटामिन डी की कमी अधिक पाई गयी है।
क्या विटामिन डी की कमी मुंहासों को बढ़ाती है?
जिन लोगों को मुंहासे होते है उनमें उन लोगों की अपेक्षा विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है जिन्हें मुंहासे होते हैं। इसे स्थापित करने के लिए एक शोध में निष्कर्ष निकाला कि में पाया गया कि जिन लोगों को मुँहासे नहीं थे ऐसे 23% लोगों की तुलना में मुँहासे वाले 49% लोगों में विटामिन डी का स्तर कम था।
इसी तरह एक और एक अध्ययन में मुँहासे वाले 43 लोगों की तुलना बिना मुंहासों वाले 46 लोगों से की गई। अध्ययन में यह भी पाया गया कि मुंहासे वाले लोगों में बिना मुंहासे वाले लोगों की तुलना में विटामिन डी का स्तर काफी कम था। इस शोद में इस बात की सावधानी भी बरती गयी कि अध्ययन में शामिल लोगों के शरीर में वसा जैसे अन्य प्रासंगिक कारकों एक समान हों।
एक रोचक स्टडी में यह भी प्रारंभिक निष्कर्ष निकला है कि कि मुँहासे विटामिन डी के उत्पादन को सीमित कर सकते हैं। इस विषय पर कई वैज्ञानिकों की अपनी अपनी राय है पर इस दिशा में चल रहे शोध के इशारे तो इसी तरफ संकेत कर रहे हैं। शोध में अधिक गंभीर विटामिन डी की कमी और मुँहासे के अधिक गंभीर मामलों के बीच एक संबंध भी पाया गया है।
क्या विटामिन डी सप्लीमेंट से मुंहासों को रोका जा सकता है?
विटामिन डी की कमी और मुंहासों को देखने वाले कई अध्ययन के स्तर छोटे रहे हैं। इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि अगर विटामिन डी की कमी से मुंहासों का खतरा बढ़ जाता है, तो इसका मतलब है कि विटामिन डी बढ़ाने से स्थिति ठीक हो जाएगी।
एक अध्ययन में विटामिन डी के एक रूप अल्फाकैल्सीडोल के साथ 100 लोगों का इलाज किया गया। अध्ययन में पाया गया कि इस सप्लीमेंट ने विटामिन डी का स्तर बढ़ाने के साथ ही सूजन को कम कर दिया। प्रारंभिक स्तर पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह मुँहासे प्रबंधन और उपचार में लाभकारी भूमिका निभा सकता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ-साथ इसके एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-कॉमेडोजेनिक गुणों पर विटामिन डी के नियामक प्रभाव के कारण यह भी कहा जा सकता है कि विटामिन डी की कमी मुँहासे के प्रभाव को और गहरा बना सकती हैं। वैसे तो इस बात पर पूरा सटीक निष्कर्ष निकलने के लिए बड़े पैमाने पर और विस्तृत शोध की जरुरत है पर इस शोध के मुताबिक इतना जरुर कहा जा सकता है कि मुँहासे के लिए विटामिन डी की खुराक को आमतौर पर इन पूरक आहारों को सुरक्षित रूप से आजमाया जा सकता है।
विटामिन डी की कमी इन दिनों देश में बहुत आम है।इससे आबादी का बड़ा हिसास प्रभावित है। अगर एथनिक ग्रुप की बात करें तो अफ्रीकी-अमेरिकी या मैक्सिकन-अमेरिकी लोगों में विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है।
टॉपिकल विटामिन डी (सीधे लगाने वाले उत्पाद) और मुंहासे
टापिकल विटामिन डी यानी विटामिन डी के ऐसे उत्पाद जो सीधे त्वचार पर लगाए जा सकते हैं। इनमें क्रीम, लोशन आदि शामिल हैं। विटामिन डी सूजन को कम करने में मदद कर सकता है, जो मुँहासे का इलाज कर सकता है। हालांकि, इस पर शोध की कमी है कि क्या ये उत्पाद मुंहासों का इलाज कर सकते हैं।
एक अध्ययन में महिलाओं को एक विटामिन डी क्रीम का इस्तेमाल करने को कहा गया। इसमें एलोवेरा-आधारित प्लेसबो का इस्तेमाल किया था। इससे विटामिन डी का स्तर तो बढ़ गया। लेकिन उसका सीधा असर मुंहासों को ठीक करने में नहीं दिखा। हालांकि विशेषज्ञ ये मानते हैं कि विटामिन जी का स्तर जब बढ़ता है तो सूजन कम हो जाती है और इस तरह से ये उत्पाद प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं।
सूरज की रौशनी और मुहांसो का संबंध?
सूर्य के प्रकाश का विटामिन डी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। लोगों को पूरक या क्रीम से भी विटामिन डी मिल सकता है। सूरज की रोशनी विटामिन डी का एक प्राकृतिक स्रोत है। चूंकि गहरे रंग की त्वचा कम विटामिन डी को अवशोषित करती है, इससे लोगों की त्वचा का रंग भी इस कमी का महत्वपूर्ण कारक है। इसका भी विटामिन डी स्तर पर बड़ा प्रभाव होता है। कुछ मिनटों के नियमित सूर्य के संपर्क में आने से विटामिन डी का स्तर बढ़ सकता है। ऐसे में जब भी आप धूप में बाहर निकलें हाथ पैर को धूप लगने दें इससे विटामिन डी के स्तर में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, जो लोग सूरज के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं, उन्हें जलने से बचने के लिए भी कदम उठाते हुए संतुलित व्यवहार करना चाहिए। कुछ सबूत बताते हैं कि सूरज की रोशनी भी मुंहासों का इलाज कर सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि यूवीबी प्रकाश मुँहासे उपचार में सुधार कर सकता है लेकिन अकेले यूवीए या यूवीबी प्रकाश का उपयोग करने के लिए कोई लाभ नहीं मिला। हालांकि, इस बारे में निर्णायक शोध अभी जारी हैं।
विटामिन डी कैसे प्राप्त करें?
सूर्य के प्रकाश का एक्सपोजर विटामिन डी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। लोगों को पूरक के तौर पर बहुत से खाद्य पदार्थ से भी विटामिन डी मिल सकती है।खाद्य पदार्थो में शामिल हैं:
- टूना
- बीफ लिवर
- अंडे की जर्दी
- दूध
- दही
- अनाज
- मछली के तेल की खुराक
- विटामिन डी पूरक
विटामिन डी के अन्य लाभ
कोशिकाओं के स्वास्थ्य और मेटाबॉलिज्म के लिए विटामिन डी आवश्यक है। विटामिन डी सूजनरोधी गुण, इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही स्वस्थ रक्त वाहिकाओं के लिए भी जुरुरी है। विटामिन डी की कमी से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- रिकेट्स यानी सूखा रोग
- ऑस्टियोपोरोसिस
- दांत संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं
- बच्चों में विकास में देरी
- ग्लोकोज का खराब मेटाबॉलिज्म
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
विटामिन डी की कमी वालों लोगों में इस विटामिन की खुराक मुँहासे के लक्षणों में मदद कर सकती है। इसे लेकर शोध चल रहे हैं पर प्रारंभिक नतीजे ये जाहिर करते हैं कि विटामिन डी उन युवाओं के लिए उम्मीद है जो मुंहासों से परेशान हैं। इतना जरुरी है कि विटामिन डी की खुराक लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से परामर्श जरुर लें।