शर्बत बनाये घर पर
शर्बत बनाये घर पर ।
ग्रीष्म ऋतु की उष्णता को नष्ट करने और बार-बार लगने वाली प्यास को शांत करने के लिए गुणकारी शर्बतों का ही सेवन किया जाना चाहिए। शर्बत बाजार से भी खरीदे जा सकते हैं और घर पर भी बनाए जा सकते हैं। इन शर्बतों में मुख्य रूप से अनार का शर्बत है। अनार पित्त प्रकोप, अरूचि, अतिसार, पेचिश, खांसी, नेत्रदास, छाती की जलन और व्याकुलता दूर करता है।
१. वेदाना अनार से शर्बत --
अनार खाने और उसका रस पीने से शरीर को बहुत शीतलता मिलती है। अनार का शर्बत ग्रीष्म ऋतु की उष्णता को नष्ट करके प्यास की उग्रता को भी शांत करता है। इससे थकावट का भी निवारण होता है। यह दीपन-पाचन भी होता है और पाचनक्रिया को तीव्र करता है।
इसके लिए एक किलो अनार के रस को देर तक आग पर पकाकर गाढ़ा़ बनाते हैं। जब आधा रस शेष रह जाता है, उसमें 500 ग्राम जल और 2 किलो चीनी मिलाकर आग पर पकाएं। जब शर्बत बन जाए, तो आग से उतार कर शीतल हो जाने पर कपडे़ से छानकर कांच की बोतलों में भर कर रखें। इस शर्बत में खाने वाला तरल गुलाबी रंग ओर अनार का ऐशन्स भी मिलाया जा सकता है। 30 से 50 ग्राम अनार के शर्बत में जल मिलाकर सेवन करने से शरीर को शीतलता मिलती है।
२. अनन्नास का शर्बत -
यह मूत्रल, कृमिघ्न और पित्तशामक है। इसके सेवन से रक्त विकार तथा सूर्य की गर्मी से उत्पन्न होने वाले दोष दूर होते हैं। यह लू लगने तथा अन्य गर्मी से उत्पन्न रोगों को मिटाता है। अनन्नास में पेप्सिन नामक पाचक तत्व होता है। अनन्नास के शर्बत से ग्रीष्म ऋतु में लू के प्रकोप से सुरक्षा होती हैं।
अनन्नास का शर्बत बनाने के लिए अनन्नास का रस 500 ग्राम मात्रा में लेकर एक किलो चीनी लेकर आग पर पकाएं। शराब बनाते समय अदरक का 200 ग्राम रस मिलाते हें। एक तार की चाशनी बनने पर शर्बत को आग से उतार कर ठण्डा होने पर 10 ग्राम पिसा हुआ काला नमक और काली मिर्च का 10 ग्राम चूर्ण मिलाकर छानकर बोतलों में भरकर रखें। इस शर्बत में 20 ग्राम साइट्रिक अम्ल मिलाने से शर्बत कई महीने तक फ्रिज में सुरक्षित रख सकते है।
३. फालसे के शर्बत -
पके फालसे पाक में मधुर, शीतल, पोष्टिक और हृदय के लिए उपयोगी होते है। पित्त, दाह, रक्त विकार, ज्वर, क्षय और वायु मिटाते है।
इस शर्बत से यकृत की उष्णता नष्ट होती है। ग्रीष्मऋतु में फालसे का शर्बत प्यास और उष्णता को शांत करता है। वमन और अतिसार को मिटाता है। फालसे का शर्बत स्वादिष्ट और शीतवीर्य होता है। मानसिक तनाव व शरीर की बैचेनी का निवारण करता है। इस शर्बत से मल व मूत्र का शोधन होता है।
फालसे का शर्बत बनाने के लिए फालसे का रस 500 ग्राम मात्रा में लेकर उसमें 500 ग्राम चीनी मिलाकर आग पर पकाएं।जब एक तार की चाशनी बन जाए, तो उसमें 10 ग्राम काला नमक और 10 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर, कपड़े से छानकर बोतलों में भरकर रखें। शर्बत में गुलाब या केवड़े का अर्क मिला देने से शर्बत की सुगन्ध अधिक बढ़ जाती है।फालसे का शर्बत मस्तिष्क व हृदय को शक्ति देता है। उदर शूल और पित्त की विकृत्ति भी नष्ट होती है। रक्तस्त्राव भी बंद होता है। फालसे के शर्बत से विटामिन ‘सी‘ ओर कैरोटिन भी मिलता है।
४.गुलाब का शर्बत--
गुलाब के फूल, लघु, मधुर, रोचक, मधुर विपाक, शीतवीर्य और हृदय को हितकारी होते है। यह मस्तिष्क दौर्बल्य को दूर करते हें।
गुलाब का जल एक किलो और चीनी ढाई किलो आग पर पका कर रखें। आग में पकाते समय थोड़ा सा साइट्रिक अम्ल (नीबू का सत) भी मिला लें। इस शर्बत को छानकर खाने वाला गुलाबी तरल रंग भी मिलाया जा सकता है। गुलाब की सुगन्ध मिलाने से शर्बत अधिक सुगन्धित हो जाता हैं।
20 ग्राम से 50 ग्राम तक शर्बत जल मिलाकर दिन में कई बार सेवन कर सकते है। इस शर्बत से ग्रीष्म ऋतु में प्यास की अधिकता नष्ट होती है। शरीर की उष्णता नष्ट होने से पसीने कम आते है। शरीर की थकावट, ग्लानि, भ्रम, मन की अस्थिरता और मूत्र की जलन मिटती है। गुलाब का शर्बत सेवन करने से ग्रीष्मऋतु में नेत्रों की जलन ओर लालिमा नष्ट होती है।