Malnutrition in Hindi - कुपोषण
हमें जिंदा रहने के लि्ए ऊर्जा की जरूरत होती है। ये ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है। अगर हमारे खाने में पोषक तत्वों की कमी हो जाए तो हमारे शरीर के साथ हमारे जीवन पर भी खराब प्रभाव पड़ता है। ये हमारे स्वास्थ्य, व्यवहार, मूड के साथ-साथ संपूर्ण विकास को प्रभावित करता है।
अधिकतर लोग यह समझते हैं कि जिन लोगों को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता केवल वे ही कुपोषण का शिकार होते हैं। लेकिन पौष्टिक भोजन मिलने के बावजूद अगर आपकी खाने-पीने से जुड़ी आदतें ठीक नहीं हैं तो आप भी कुपोषण के शिकार हो सकते हैं। जैसे हरी सब्जियां अगर भाप में पकाकर खाई जाएं तो इनसे सबसे ज्यादा पोषण मिलता है। लिहाजा हम जो खा रहे हैं, उससे सबसे ज्यादा पोषण किस रूप में मिलेगा उसका ध्यान रखना भी जरूरी है। कुपोषण का खतरा पुरुषों के बजाय महिलाओं में ज्यादा होता है वहीं वयस्कों के बजाय बच्चे इसका शिकार ज्यादा होते हैं।
कुपोषण के लक्षण
कुपोषण का सबसे प्रमुख लक्षण वजन कम होना है। अगर आपका वजन तीन महीने के अंदर बिना डायटिंग के 10 फीसदी कम हो रहा है तो आप कुपोषण के शिकार हैं। इसके अलावा थकान, आलस, खून की कमी, सांस लेने में दिक्कत आदि भी कुपोषण के लक्षण हैं।
कुपोषण की वजह
शरीर को पोषक तत्व खाने से ही मिलते हैं। जब खाने में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है तो शरीर पर इनका असर दिखने लगता है। इन मुख्य वजहों पर डालें नजर...
1. खाने में पोषक तत्वों की कमी-
आप पेटभर खाना खा रहे हैं फिर भी अगर कुपोषण का शिकार होते जा रहे हैं तो मेन्यू पर ध्यान देने की जरूरत है। बहुत संभव है कि आपके खाने में पोषक तत्वों की कमी हो। कई खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट होते हैं लेकिन हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा नहीं कर पाते। अगर आप इस तरह का खाना खाने की आदत बना लेते हैं तो कुपोषण का शिकार हो जाएंगे।
2. असंतुलित खाना-
हमारे शरीर को उम्र और आयु के हिसाब से पोषण की अलग-अलग मात्रा की जरूरत होती है। मान लिया आप आधा ग्लास दूध पीते हैं और आपके शरीर को एक ग्लास दूध की जरूरत है तो पोषण अधूरा रह जाएगा। अगर भोजन में पोषण की मात्रा जरूरी स्तर से कम होती है और लगातार काफी समय तक ऐसा ही कम पोषक तत्वों वाला भोजन किया जाए तो कुपोषण की संभावना बढ़ जाती है।
3. अनुपयुक्त भोजन -
अलग आयुवर्ग, कार्य-शीलता, जीवन की अलग-अलग अवस्था और महिला और पुरुष की जरूरत के हिसाब से शरीर को अलग-अलग मात्रा में पोषण की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए सामान्य वयस्क और एक खिलाड़ी के शरीर को अलग पोषक तत्वों की जरूरत होगी वैसे ही एक गर्भवती महिला और सामान्य महिला की जरूरतें अलग होती हैं।
4. आर्थिक कारण और जागरूकता की कमी-
कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती किि वे पोषक खाना खा सकें। वहीं कुछ लोग सिर्फ पेट और स्वाद के लिए खाना खाते हैं और पोषक तत्वों की जरूरत को दरकिनार कर देते हैं।
5. पर्याप्त नींद न लेना-
आपको ये पढ़कर हैरानी होगी लेकिन पर्याप्त नींद न लेने से भी कुपोषण की समस्या पैदा हो सकती है। सामान्य वयस्क को रोजाना आठ घंटे की नींद जरूरी होती है। नींद की कमी होने से मेटाबोलिज्म गड़बड़ा जाता है। ऐसे में पोषक खाना खाने के बावजूद शरीर पोषण को अवशोषित नहीं कर पाता और धीरे-धीरे कुपोषण का शिकार बन जाता है।
लें संतुलित आहार
संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, आयरन, फाइबर, फैट, खनिज पदार्थ, पानी और प्रोटीन यह सात तत्व मौजूद होते हैं।
- कार्बोहाइड्रेट साबुत अनाज, फल, सब्जियों और फलियां वाले खाद्य पदार्थों में पाया जाता है।
- विटामिन ताजा फलों, सब्जियों, अंडे आदि से प्राप्त कर सकते हैं। फाइबर सिर्फ कब्ज ही नहीं, डाइबिटीज, अस्थमा, ह्रदय रोग और कैंसर को दूर भगाने में भी सहायक होते हैं। इनसे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
- पॉलीअनसेचुरेटेड स्रोतों जैसे - जैतून के तेल, नट्स और मछली में संतृप्त वसा पाई जाती है।
- सब्जियां खनिज और विटामिन पाने का सबसे आसान तरीका है। ऐसे में रोज के भोजन में ज्यादा से ज्यादा सब्जियों को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ विभिन्न रंगों की सब्जियों से आपको अलग-अलग पोषक तत्व मिल जाते हैं। पालक, बीन्स, ब्रोकली आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं।
- नियमित रूप से कम से 8-10 गिलास पानी का सेवन करना चाहिए।
- मछली, मांस, अंडा, पनीर और दालें प्रोटीन का सबसे अच्छा स्त्रोत हैं।
ये उपाय भी अपनाएं- ड्राई फ्रूट्स और जूस भी शरीर को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। अपने साथ किशमिश, काजू, अखरोट और मूंगफली रखें। इन्हें स्नैक्स के तौर पर खाएं।