मस्से का होम्योपैथिक इलाज और दवा - Masse Ka Homeopathic Ilaj in Hindi
मस्से हमारे शरीर में स्वतः विकसित होने वाली सरचनाएं हैं. कई बार ये हमारे शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों में हो जाता है जिससे बहुत विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए लोग ऐसे मस्सों से छुटकारा पाना चाहते हैं. मस्सा को चिकित्साविज्ञान के अनुसार एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है. यह प्रायः अलग-अलग आकार के हो सकते है. यह प्रायः हाथ या पैर पर होता है लेकिन इसके शरीर के अन्य भागों में भी होने की संभावना लगातार बनी ही रहती है. मस्सों के निकलने का मुख्य कारण मानव (ह्यूमन) पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है.
इस वायरस की 130 प्रकार देखे गये हैं और यह मानव शरीर को छुवाछूत के जरिए संक्रमित कर देते हैं. आम तौर से मस्सों के उपचार के लिये होम्योपैथिक दवा थूजा“ उपयोग एक चलन सा बन गया है. लेकिन आपको बता दें कि ‘थूजा’ हर एक मस्सों की दवा नहीं है. जब थूजा के इस्तेमाल से मस्सों में आराम नहीं मिलता तब लोगों को चिकित्सक की सहाता से अन्य दवाओं के इस्तेमाल पर गौर करना चाहिए. मस्सों के होम्योपैथिक इलाज की चर्चा करने से पहले मस्सों के निकलने के कारण और उनके प्रकारों पर भी नजर ड़ाल लेनी चाहिये.
आइए इस लेख के माध्यम से हम मस्से के होमियोपैथिक इलाज पर एक नजर डालें.
मस्से के प्रकार - Masse Ke Prakar
- सामान्य मस्सा या वररुका वुलगरिस: - एक उठा हुआ मस्सा जो रूखे सतह जैसा होता है एवं हाथों पर यह सामान्य रूप से पाया जाता है. लेकिन शरीर पर यह कहीं भी विकसित हो सकता हैं. कभी कभी इसे पामर मस्सा या जूनियर मस्सा के नाम से जाना जाता है.
- फ्लैट मस्सा या वररुका प्लाना: - एक छोटी, चिकना चपटा मस्सा जो चमड़े के रंग का होता है एवं बड़ी संख्या में भी हो सकता है. सामान्यता यह चेहरे, गर्दन, हाथ, कलाई और घुटनों पर सबसे ज्यादा पाया जाता है.
- फिलिफॉर्म या प्रांगुलित मस्सा: - यह एक धागे या अंगुली की तरह होता है और विशेष रूप से पलकों और होठों के पास पाया जाता है.
- जननांग मस्सा या वररुका अकुमिंटा: - एक प्रकार का मस्सा जो जननांग पर अमूमन पाया जाता है.
- मोज़ेक मस्सा: - यह मस्सा सामान्यतः हाथ या पैर के तलवों पर होता है. यह समूह में होते हैं और अपनी जगह से सख्ती से चिपके रहते है.
- परिङ्गुअल मस्सा: - एक फूलगोभी की तरह का मस्सा, सामान्यता नाखून के आसपास होता है.
- प्लांटर मस्सा: - पैरों के तलवॊ या उँगलियों में यह मस्सा पाया जाता है. यह गोख्ररू से मिलता जुलता है. लेकिन त्वचा की संरचनाओं के करीब अवलोकन से इसको विभेदित किया जा सकता है. त्वचा पर दिखने वाली स्ट्रापिस प्लान्टर वार्ट के आस पास पायी जाती है. अगर यह प्लान्टर वार्ट नही है तो यह स्ट्रीपस त्वचा की ऊपरी परत में जारी होती हैं. दूसरा प्लान्टर मस्सा में सीधे दबाब के बजाय दोनों तरफ़ से दबाने पर पीड़ा होती है जो कार्न के विपरीत होता है जहाँ सीधे द्बाब के कारण ही पीड़ा होती है.
मस्से का होमियोपैथिक उपचार - Masse Ka Homeopathic Ilaj
शरीर के विभिन्न में मस्सा होने पर दवाओं का उपयोग प्राय: अलग-अलग पाया जाता है.
- मुँह में मस्सा: caust, thuja, acid nitric
- भौं में: caust
- आँख की पलकॊ मॆ: Acid Nitric
- आँख में: sulphur
- नाक मॆं: thuja, caust
- मुँह के कोने में: condurango
- दाढी में: lyco
- जीभ मॆ: aurum mur
- गर्दन में: acid nitric
- वक्षमध्योस्थि मॆ: acid nitric
- बाँह मॆं: calc, caust, acid nitric, sepia, sulphur
- हाथ में: calc, lac can, lyco, acid nit, rhus tox, thuja,, sulphur
- तलहत्थी में: nat mur, anacardium
- अंगुली में: berb, calc, caust, lac can, nat mur, acid nit, sulphur, thuja, sepia
- अंगूठे में: lach
- लिंग के चर्म में, लिंग के मुख पर (छूने पर ही रक्त स्त्राव): cinnabaris
- लिंग मुख में: acid nit, acid phos, thuja
इसके अतिरिक्त मस्से किस प्रकार के हैं, यह भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं जैसे:
- पुराना मस्सा: caust, nat mur, sulphur
- रक्तस्त्रावी मस्से: cinnabaris, acid nit, sepia, silicea, staphys,sulphur
- जखम भरे: ars, calc, caust, hep sulph, lyco, nat mur, acid nit, phos, thuja
- दर्द भरे: caust, hepar sulph, lyco, ac nit, petro,phos, sepia, sulphur
- मुख चौड़ा: lachesis
- कड़ा: ant crud, calc, caust, acid flour,;achesis, rann bulb, silicea, sulphur
- चपटे मस्से: dulcamara
- सींग की तरह: ant crud, ac nit, sepia
- छोटे मस्से: calcarea, ferrum, hepar, lachesis, acid nitric, rhus, sarasa, sulphur, thuja
- प्रदाहित: amm carb, caust, ac nit
मस्सों में प्रयोग होने वाली होम्योपैथिक दवायें - Masse ko Hatane Ke Homeopathic Dawa
- calcarea carb: चेहरे पर, गर्दन और शरीर के ऊपरी अंश में मस्से. यह दवा glandular और scrofulous धातु के रोगियों पर विशेष काम करती है.
- causticum: पुराना मस्सा, नाक, भौं, मुँह, नाक के किनारे और अंगूठे का मस्सा. ठोस और उसका आकार छॊटा, चपटा, या नोकदार होता है. इसके विपरीत थूजा मा मसा फ़टा-फटा सा होता है.
- Lyco: फ़टा-फटा मस्सा.
- Natrum Mur: पुराना, मस्सा, कट जाने का दर्द, हाथ, अंगूठे मॆ अनगिनत मस्से. यह एनेमिक, कमजोर रोग ग्रस्त स्त्रियॊं में विशॆष काम करती है.
- Natrum sulph: गाँठ नुमा मस्से, मलद्वार में, पॆट और उरू के बीच मस्से की तरह उद्भेद.
- Nitric Acid: मस्से तर म भीगे-भीगे, फ़ूलगोभी की तर्ह, बद्बूदार, खूनी.
मस्से के उपचार के लिये दवा का चुनाव होम्योपैथिक चिकित्सक के विवेक और कौशल पर निर्भर करता है. इसमें कोई शक नहीं कि बहुधा एक सही सिमिलिमम तीर की तरह काम करता है.