मिर्गी का उपचार - Mirgi Ka Upchar!
मिर्गी उन बिमारियों में से है जिनका पहचान काफी पहले ही हो चुकी थी. आज हम मिर्गी के लक्षण, कारण और उपचार को लेकर बात करेंगे. विशेषज्ञों के अनुसार मिर्गी की बीमारी तंत्रिका तंत्र में विकार आने के कारण होती है. तंत्रिका तंत्र का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से है. जब मस्तिष्क में विकार आता है तो इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है. फिर मिर्गी का अटैक आता है और पीड़ित का शरीर अकड़ जाता है. इस बीमारी को लेकर पहले समाज में कई तरह की भ्रांतियां प्रचलित थीं. हलांकि अब भी कई लोग इसे भुत-प्रेत से जोड़कर देखते हैं. कई बार तो मिर्गी के मरीज को पागल की तरह भी ट्रीट किया जाता है. यहाँ ये बताना आवश्यक है कि मिर्गी भी बस एक बीमारी के सिवा कुछ नहीं है. इस लिए इसके मरीजों को तुरंत किसी चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए. हम मिर्गी के के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं.
मिर्गी होने का क्या कारण-
शरीर के सभी अंगों की संवेदनशीलता मस्तिष्क द्वारा तंत्रिका तंत्र को दिए गए निर्देश के अनुसार ही काम करती है. मस्तिष्क में स्थित न्यूरॉन्स ही तंत्रिका तंत्र को सिग्नल देते हैं. लेकिन जब इस प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है यानी कि न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र को सही निर्देश नहीं दे पाते हैं तब मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ता है. इसमें शरीर का अंग विशेष कुछ देर के लिए निष्क्रिय हो जाता है.
1. न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स जैसे कि अल्जाईमर.
2. अनुवांशिक कारण यानि आपके खानदान में किसी को रहा हो या हो.
3. ब्रेन ट्यूमर
4. जन्म से ही मस्तिष्क में ऑक्सीजन का आवागमन पूर्ण रूप से बंद होने पर.
5. मस्तिष्क ज्वर और इन्सेफेलाइटिस के के संक्रमण से.
6. ब्रेन स्ट्रोक के कारण ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुँचने से.
7. कार्बन मोनोऑक्साइड की विषाक्तता से.
8. अत्यधिक मात्रा में ड्रग लेना.
मिर्गी के उपचार और रोकथाम-
उपचार-
मिर्गी एक बेहद संवेदनशील बिमारी है. इसके उपचार के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय बताया जाता है कि जब भी मिर्गी का दौरा आए उस समय सीजर को नियंत्रित करना. इसे नियंत्रित करने के लिए एन्टी एपिलेप्टिक ड्रग थेरपी और कुछ सर्जरी होती है. हलांकि डॉक्टर्स का ये भी कहना है कि जिन लोगों पर दवाई का असर नहीं होता है उन्हें सर्जरी करने की सलाह दी जाती है. मिर्गी के मरीजों को ज्यादा वसा वाले खाने से दूर ही रहना चाहिए. खाने में ज्यादा से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे सीजर की आवृत्ति में कमी आती है.
रोकथाम के उपाय-
आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि अभी भी मिर्गी के कारणों का ठीक से पता नहीं लगाया जा सका है. हलांकि शिशुओं के जन्म के दौरान जेनेटिक स्क्रीनिंग की सहायता से माँ को बच्चे में इसके होने का पता लगाया जा सकता है. इससे बचने के लिए आप इस बात का ध्यान रखें की आपके सर में चोट न लगे. इसके अलावा आप ये उपाय कर सकते हैं-
1. जितना हो सके तनाव से दूर रहें.
2. खाने में संतुलित आहार लें.
3. डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का सही तरीके से सेवन करते रहें.
4. नियमित रूप से चिकित्सक से सलाह लेते रहें.
5. पर्याप्त नींद लेना भी अत्यंत जरुरी है.
मिर्गी का आयुर्वेदिक उपचार
1. लहसुन
लहसुुन भारतीय औषधियों में कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तमाल में लाया जाता रहा है. इससे शरीर की एैठन भी दूर होती है. इसमें एंटी-स्पास्म, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री विशेषता होती है जिससे दौरों से बचाव होता है. आधा कप दूध और पानी को मिलाकर इनमें 5 लहसन की कलियाँ डालकर उबाल लें. तब तक उबालें जब तक मिश्रण आधा न हो जाए. इस मिश्रण को नियमित रूप से पीने पर दौरे नहीं पड़ेंगे.
2. ब्रह्मी
ब्रह्मी एक ऐसा ही हर्ब है जिसे आयुर्वेद लेने की सलाह देता है. इससे तनाव भी कम होता है और शरीर को फ्री रैडिकल से बचाता है. यह दिमाग सम्बन्धी बीमारियों के उपचार के लिये काफी लाभदायक है. यह दिमाग में न्यूरोन का तालमेल ठीक करता है जिससे एपिलेप्सी के इलाज में मदद मिलती है. जिस इंसान को दौरे आते हैं उसे रोज़ ब्रह्मी के 5-6 पत्ते खाने चाहिए. इसके बाद एक ग्लास गर्म दूध पी लेना चाहिए. ऐसा करने से धीरे धीरे दौरे आना बंद हो जाएंगे.
3. तुलसी
भारतीय घरों में यह मिलना आम बात है तुलसी पूज्यनीय पेड़ है. यह दौरों को खत्म करने में भी काफी मददगार साबित होता है. इससे तनाव भी दूर होता है. तुलसी के पत्तों को रोज़ चबाना या एक चम्मच तुलसी का जूस पीने से दिमाग में न्यूरोन का तालमेल बैठता है और दौरे नहीं पड़ते.
4. ऐश गॉर्ड
इसे सफेद कद्दू या पेठा भी कहते हैं और इसका विवरण इसके रोगनाशक गुण की कारण 'चरक संहिता' में भी किया गया है. यह दौरे के इलाज के रूप में काफी असरदार सिद्ध हो सकता है. ऐश गॉर्ड को घिसकर इससे आधा कप जूस निकाल लें. सुबह उठकर यह जूस पीएं. इससे दौरे पड़ना बंद हो जाएंगे.
5. नारियल तेल
नारियल तेल से दौरों में काफी फायदा होता है. इससे दिमाग में न्यूरोन को ऊर्जा मिलती है और ब्रेन वेव पर इसका शांतिदायक असर पड़ता है. नारियल में जो फैटी ऐसिड होते हैं वह एपिलेप्सी से निजात पाने में मदद करते हैं. दिन में एक चम्मच नारियल का तेल खाएं. आप चाहें तो खाना नारियल तेल में ही बनाएं या सलाद पर डाल कर खाएं.