मुहासे होने का कारण - Muhanse Hone Ka Karan!
आजकल पिंपल्स या मुहांसे लोगों में एक सामान्य समस्या बन गयी है जिससे कई लोग परेशान हैं. यह समस्या दो तरह से लोगों को परेशान करती है. सबसे पहलें तो इससे चेहरे के आकर्षण में कमी आती है. दूसरी तब, जब मुँहासे के खत्म होने के बाद उसके दाग रह जाते हैं. इन दागों से निदान पाना भी बहुत मुश्किल भरा होता है. यहाँ आपको ये भी जान लेना चाहिए कि ऑयली फेश वाले लोगों में मुँहासे अधिक होने कि संभावना रहती है. हालाँकि मुहांसे किसी को भी हो सकते है. आइए इस लेख के माध्यम से हम मुँहासे होने के कारणों पर एक नजर डालें ताकि इस विषय में लोगों की जानकारी बढ़ सके.
मुँहासे निर्मित होने की प्रक्रिया-
यदि हम मुंहासों के कारणों को पता करे तो ये मुख्य रूप से तेल ग्रंथियों का एक विकार है. यह तेल ग्रंथियां हमारे स्किन के नीचे स्थित होती हैं. किशोरावस्था में बॉडी कई परिवर्तनों से गुजरता है. यह हार्मोनल परिवर्तन तेल ग्रंथियों कि गतिविधियां से भी हो सकते हैं. मुहांसे मूल रूप से तेल ग्रंथियों से संबंधित एक विकार है. ये तेल ग्रंथियां त्वचा के नीचे मौजूद हैं. हार्मोनल परिवर्तनों के कारण तेल के ग्रंथि की गतिविधियां किशोरावस्था के दौरान बढ़ जाती हैं जिसके कारण मुँहासे उत्पन्न होते हैं. त्वचा के रोम छिद्र या पोर्स अंदर से तेल ग्रंथी वाली कोशिकाओं से जुड़े हुए होते हैं जिनके कारण सीबम ऑयल त्वचा के रोम छिद्र में उत्पन्न होता है. सीबम खराब सेल्स को रोम छिद्र से बाहर लाने मे मदद करता है और नये सेल्स बनाता रहता है. लेकिन हार्मोन असंतुलन के कारण जब ज्यादा सीबम तेल बनने लगता है, तब यह तेल इन रोम छिद्रों को बंद कर देता है जिसके कारण मुहांसे या दाने होते हैं. सीबम में बैक्टीरिया का विकास भी रोम छिद्रों को बंद कर मुहांसे को पैदा करता है.
किशोरावस्था में हार्मोन्स में बदलाव के कारण-
टीनेज और प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन में परिवर्तन होते रहते हैं. इस दौरान, तेल ग्रंथियों की गतिविधि बढ़ जाती है और कभी-कभी अत्यधिक सेबम का उत्पादन होने लगता है जो कि त्वचा के फॉलिकल को रोकता है और मुँहासे का कारण बनता है.
नींद की कमी भी है कारण-
किसी कारण पर्याप्त नींद ना मिलना, आपकी प्राकृतिक मेटाबोलिक रेट को प्रभावित कर सकता है. प्रयाप्त नींद के लिए स्ट्रेस एक मुख्य कारण होता है जिसका बॉडी में मेटाबोलिक एक्टिविटी पर सीधा प्रभाव पड़ता है. यदि ये प्रक्रियाएं अपनी क्षमता खो देती हैं तो शरीर में टॉक्सिक पदार्थ जमा हो जाते हैं जो अंत में मुँहासे का कारण बनता हैं.
त्वचा की नियमित सफाई न करना-
मुँहासे लोगों में त्वचा सम्बंधित एक सामान्य समस्या हैं. यह आमतौर पर चेहरे और गर्दन पर देखे जाते हैं. इनसे बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि आप अपनी त्वचा को साफ़ रखें. इसके लिए बाहरी ही नहीं, कभी-कभी आंतरिक कारणों के परिणामस्वरुप भी मुँहासे होते हैं. इसलिए अपने डाइट और लाइफ स्टाइल में बदलाव करने से आप मुहांसों से निजात पा सकते हैं.
क्रीम लोशन का आवश्यकता से अधिक उपयोग-
अपने चेहरे और गर्दन पर विशेष प्रकार के क्रीम और लोशन का इस्तेमाल करने से भी कभी-कभी मुँहासे का कारण होता है. ये त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं और कभी-कभी त्वचा विषाक्त पदार्थों से भर जाती है जिससे पिम्प्लस होते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि एक तो आप हर्बल या सही क्रीम ही इस्तेमाल करें और दूसरा आप सिमित मात्रा में ही इसका इस्तेमाल करें.
पाचन तंत्र में परेशानी भी है एक कारण-
जब पाचन क्रिया सही नहीं होती है, तब अन्य स्वास्थ्य संबंधित विकारों की समस्याएं होने लगती हैं. बॉडी में जमे टॉक्सिक पदार्थ पिम्प्लस के निर्माण में योगदान कर सकते हैं. आमतौर पर अनुचित पाचन तंत्र वात असंतुलन की वजह से होता है. यह सूखा, मसालेदार और ऑयली खाद्य पदार्थों के सेवन के कारण हो सकता है. कच्चे और अधपके भोजन तथा ठंडे पेय और आइसक्रीम जैसे ठंडे व्यंजनों से भी मुँहासे होते हैं. बेहतर पाचन के लिए स्वस्थ और गर्म भोजन खाएं.
मुँहासे से बचाव-
मुँहासे लोगों में त्वचा सम्बंधित एक आम डिसऑर्डर हैं. यह कहीं भी हो सकते हैं लेकिन आमतौर पर चेहरे और गर्दन पर विकसित होते हैं. इससे बचाव करने के लिए बहुत जरूरी है कि आप अपनी त्वचा को साफ़ रखें. केवल बाहरी ही नहीं, कभी-कभी आंतरिक कारणों कि वजह से भी मुँहासे होते हैं. इसलिए अपने डाइट और लाइफ स्टाइल में परिवर्तन करने से आप पिम्प्लस से निजात पा सकते हैं.